मुथा नदी – क्या है, कहाँ बहती है और क्यों महत्वपूर्ण है?
आपने शायद मुथा नाम की कई नदियों के बारे में सुना होगा। भारत में कई राज्यें ऐसी नदियों को ‘मुथा’ कहते हैं क्योंकि उनका जल हमेशा साफ़ रहता है। इस लेख में हम प्रमुख मुथा नदियों, उनके वर्तमान स्थिति और आप कैसे मदद कर सकते हैं, यह बताएँगे।
मुख्य मुथा नदियाँ – जहाँ‑कहाँ बहती हैं?
1. मुथा नदी (उत्तराखंड) – गढ़वाल के कुटी जिले से उत्पन्न, यह अल्मोला और किन्नौर जैसे पर्यटन स्थलों को पानी देती है।
2. मुथा नदी (बिहार) – मुजफ़रपुर में शुरू होकर कई छोटे गांवों में खेती का स्रोत बनती है।
3. मुथा नदी (उड़ीसा) – समुद्र तट के पास एक छोटी झील से निकलकर स्थानीय मत्स्य उद्योग को सपोर्ट करती है।
वर्तमान जल स्तर और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
पिछले दो साल में बारिश की अनियमितता ने मुथा नदियों पर दबाव डाला है। 2024 में उत्तराखंड में औसत जल स्तर 15% घट गया, जबकि बिहार में बाढ़ के कारण अचानक बढ़ी हुई धारा ने किनारे वाले गांवों को खतरे में डाल दिया। यह दोहरे प्रभाव से स्थानीय लोग परेशान हैं और सरकार भी जल्दी समाधान खोज रही है।
मुख्य समस्याएँ हैं:
- अधिक जल निकासी – कृषि के लिए गहरी खींचाई ने नदियों की नींव को कमजोर किया।
- कचरा प्रबंधन में कमी – प्लास्टिक और औद्योगिक कचरे का बहाव पानी को दूषित करता है।
इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ सरल कदम हैं: घर‑घर जल संग्रहण टैंक लगाएँ, नदियों के किनारे सफाई अभियानों में भाग लें और प्लास्टिक की जगह पुनः प्रयोज्य सामग्री उपयोग करें।
पर्यटन और आर्थिक महत्व
मुथा नदी के आसपास कई ट्रैकिंग रास्ते और पिकनिक स्पॉट हैं। उत्तराखंड में ‘हिल स्टेशन’ से नज़र आने वाला दृश्य साल भर पर्यटकों को आकर्षित करता है। बाढ़‑नियंत्रण परियोजनाओं ने स्थानीय बाजारों में नई रोजगार संभावनाएँ पैदा की हैं, जैसे जल शुद्धि प्लांट और इको‑टूरिज़्म गाइड।
यदि आप पर्यटन का आनंद लेना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय जुलाई‑सितंबर के बीच है, जब जलस्तर स्थिर रहता है और मौसम सुहावना होता है। स्थानीय रेस्तरां में ‘मुथा फिश’ का स्वाद ज़रूर चखें – यह मछली न केवल स्वादिष्ट बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
सरकारी योजनाएँ और भविष्य की दिशा
केन्द्र और राज्य सरकार ने ‘मुथा संरक्षण योजना’ 2025 के तहत निम्नलिखित कदम तय किए हैं:
- हर 10 किमी पर जल निकाय निरीक्षण केंद्र स्थापित करना।
- स्थानीय स्कूलों में जल सुरक्षा शिक्षा कार्यक्रम चलाना।
- किसानों को कम‑खर्चीय सिंचाई तकनीक प्रदान करना।
इन योजनाओं का लक्ष्य अगले पाँच साल में नदियों के जल स्तर को 10% तक बढ़ाना और प्रदूषण को आधा करना है। आप इन अभियानों में स्वयंसेवक बनकर या ऑनलाइन दान देकर मदद कर सकते हैं।
संक्षेप में, मुथा नदी सिर्फ एक पानी की धारा नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण का अहम हिस्सा है। अगर हम सब मिलकर छोटे‑छोटे बदलाव लाएँ, तो यह नदियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवित रहेंगी।
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पुणे में भारी बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ा, मकान जलमग्न, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया
पुणे शहर में रातभर हुई भारी बारिश और लगातार हो रही बौछारों के कारण बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। इससे मुथा नदी के किनारे बसे नीचले इलाकों में पानी भर गया है। खड़कवासला बांध से पानी छोड़ा जा रहा है। सेना, एनडीआरएफ और फायर बिग्रेड की टीमें तैनात की गई हैं। रातभर हुई तेज बारिश ने शहर में भारी जलभराव कर दिया है।