डेटा सुरक्षा: क्यों जरूरी है और कैसे रखें आप सुरक्षित?
जब हम डेटा सुरक्षा, डिजिटल युग में व्यक्तिगत, व्यावसायिक या संवेदनशील जानकारी को अनधिकृत पहुंच, चोरी या नुकसान से बचाने की प्रक्रिया. Also known as डेटा प्रोटेक्शन, it हर इंटरनेट उपयोगकर्ता के लिए एक बुनियादी आवश्यकता बन गई है। यह सिर्फ बड़े कंपनियों का काम नहीं, हर मोबाइल, लैपटॉप और क्लाउड अकाउंट को सुरक्षित रखने का सवाल है।
डेटा सुरक्षा का पहला पहलू एन्क्रिप्शन, सूचनाओं को कोड में बदलकर अनजाने हाथों से बचाना है। अगर आपका डेटा एन्क्रिप्टेड नहीं है तो हैकर आसानी से पढ़ सकते हैं, जैसे खुली किताब। दूसरा महत्वपूर्ण तत्व गोपनीयता, व्यक्तिगत जानकारी को सीमित लोगों तक सीमित करने की नीति है। जब आप अपनी सोशल मीडिया सेटिंग्स या ऐप परमिशन को सही तरीके से कॉन्फ़िगर करते हैं, तो आप गोपनीयता को मजबूत बनाते हैं, और इसका सीधा असर डेटा सुरक्षा पर पड़ता है। इस तरह डेटा सुरक्षा एन्क्रिप्शन और गोपनीयता दोनों को साथ लेकर ही पूरी रहती है। इन दो बुनियादी सिद्धांतों को समझने से आप आगे की सुरक्षा रणनीति के लिए तैयार हो जाते हैं।
डेटा सुरक्षा के मुख्य घटक और उनका उपयोग
तीसरा जरूरी घटक फ़ायरवॉल, नेटवर्क ट्रैफ़िक को फ़िल्टर करके अनधिकृत आवक को रोकना है। चाहे वह घर का राउटर हो या कंपनी का एंटरप्राइज़ फ़ायरवॉल, यह पहले लाइन का बचाव करता है। फ़ायरवॉल बिना अनुमति के पोर्ट खोलता नहीं है, इसलिए यह डेटा सुरक्षा की पहली परत बन जाता है। चौथा पहलू क्लाउड सुरक्षा, ऑनलाइन स्टोरेज और सर्विसेज को सुरक्षित रखने की तकनीकें और नीतियां है। कई लोग अपने फ़ाइलें, बैकअप और एप्लिकेशन क्लाउड में रखते हैं, इसलिए क्लाउड प्रोवाइडर की एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल और नियमित ऑडिट को समझना ज़रूरी है। इन दोनों—फ़ायरवॉल और क्लाउड सुरक्षा—को मिलाकर आप डेटा को नेटवर्क और स्टोरेज दोनों स्तरों पर सुरक्षित रख सकते हैं।
अंत में दो अतिरिक्त जोखिम कारकों पर ध्यान दें: बॉट, स्वचालित स्क्रिप्ट जो वेब साइट या सर्वर को ढेर सारे अनुरोध भेजते हैं और मालवेयर, दुष्ट सॉफ्टवेयर जो सिस्टम में घुसकर डेटा चोरी या नुकसान करता है। बॉट्स अक्सर डिनायल‑ऑफ़‑सर्विस अटैक में इस्तेमाल होते हैं, जबकि मालवेयर व्यक्तिगत डेटा को एन्क्रिप्ट कर लेता है या बैकडोर खोल देता है। इन खतरों से बचने के लिए एंटी‑वायरस, रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग और सॉफ़्टवेयर अपडेट अनिवार्य हैं। साथ ही, व्यक्तिगत डेटा—जैसे पहचान पत्र, बैंक विवरण और लोकेशन—को केवल भरोसेमंद ऐप्स में ही शेयर करें और दो‑स्तरीय प्रमाणीकरण (2FA) अपनाएं। इन बिंदुओं को अच्छे से समझकर आप अपने डिजिटल जीवन में डेटा सुरक्षा की मजबूत नींव रख सकते हैं। नीचे आने वाले लेखों में हम इन विषयों के व्यावहारिक पहलुओं, ताज़ा घटनाओं और आसान टिप्स को विस्तार से देखते रहेंगे, ताकि आप हमेशा एक कदम आगे रह सकें।
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