संजय कपुर की 30,000 करोड़ की संपत्ति विवाद में गोपनीयता याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उठाया सवाल

संजय कपुर की 30,000 करोड़ की संपत्ति विवाद में गोपनीयता याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उठाया सवाल
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 26 सितंबर 2025 0 टिप्पणि

विवाद की पृष्ठभूमि

जुन 2025 में पॉलो मैच के दौरान संजय कपुर की अचानक मृत्यु ने भारत के सबसे बड़े उत्तराधिकार विवादों में से एक को जन्म दिया। लगभग 30,000 करोड़ की वैभवी संपत्ति के दावे का केंद्र बिंदु बनी है एक ऐसी वसीयत, जिसका दिनांक 21 मार्च 2025 है। इस दस्तावेज़ में बताया गया है कि संजय ने अपनी पूरी निजी सम्पत्ति सिर्फ अपनी नई पत्नी प्रिया सचदेव कपुर को सौंप दी, जबकि उनके पहले की शादी से जन्मे दो बच्चों – समैरा और कियान (करिश्मा कपूर) – को पूरी तरह बाहर कर दिया।

परिचित परिवार में रानी कपुर, 80‑वर्षीय माँ, भी इस मुकदमे में प्रतिवादी के रूप में सामने आई हैं। उनका दावा है कि वह खुद क्लास‑1 हीर हैं और उनका हिस्सा भी विवाद में शामिल है। इसी बीच, करिश्मा कपूर के बच्चों ने जनसमिति में सार्वजनिक तौर पर कहा कि उनके पिता की बातों के बावजूद इस वसीयत को कभी भी पारिवारिक तौर पर नहीं देखा गया।

कोर्ट में गोपनीयता याचिका और उसकी चुनौती

कोर्ट में गोपनीयता याचिका और उसकी चुनौती

प्रिया सचदेव कपुर ने न्यायालय में एक विशिष्ट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने संजय के बच्चों और रानी कपुर को सभी दस्तावेज़ों पर नॉन‑डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (एनडीए) साइन करने की मांग की। उनका तर्क था कि साइबर सुरक्षा की वजह से वित्तीय विवरणों को सार्वजनिक होने से रोकना चाहिए, क्योंकि पहले ही कई प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया लीक हुई थीं। इसी संदर्भ में, न्यायालय ने इस याचिका को बहुत ही सख़्त सवालों के साथ देखा।

ज्योटी सिंह जस्टिस ने सीधे पूछा – "सील्ड कवर में कितना जा सकता है? कोर्ट की प्रक्रिया की सीमा क्या है?" उन्होंने एपरिल 2025 के रूल‑ऑफ़‑प्रोसीडिंग के तहत गोपनीयता की अनुमति देने वाले किसी भी जजमेंट का हवाला माँगा, परन्तु पक्षकारों ने ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिया। जस्टिस ने आगे कहा कि "यदि आश्रित पक्षों को संपत्ति के विवरण से सवाल नहीं किया जा सकता, तो उनका अधिकार तोड़ दिया जाएगा।"

करिश्मा कपूर के बच्चों के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमाननी ने वसीयत की वैधता पर गंभीर संदेह जताया। उन्होंने बताया कि यह वसीयत टाज होटल में अचानक ही सामने आई और कार्यकारी (एक्जीक्यूटर) को इसका पता एक दिन पहले ही चला था। इस चलते, उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ कभी भी परिवार को औपचारिक रूप से नहीं दिखाया गया, जिससे उसकी असली प्रकृति पर प्रश्न रह गया।

दूसरी ओर, प्रिया कपुर के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि बच्चों को पहले से ही परिवारिक ट्रस्टों के माध्यम से लगभग 1900 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "प्रिया एक विधवा हैं, छह साल की बच्ची की माँ हैं, और 15 सालों से ये बच्चे कहीं नहीं देखे गए।" यह कहना उनका यह भी संकेत था कि इन ट्रस्टों के माध्यम से बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा मिली हुई है, इसलिए उनका मामला वसीयत से नहीं, बल्कि पारिवारिक भावनात्मक असंतोष से जुड़ा है।

रानी कपुर के प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिवक्ता वैभव गगर ने इस पूरे विवाद को मुख्यतः प्रिया और करिश्मा के बीच के मतभेद के रूप में पेश किया। उनका मानना है कि इस मुकदमे में जड़ें उन भावनात्मक टकराव में हैं, न कि केवल वित्तीय रूप से।

जस्टिस सिंह ने अंतिम निर्देश दिया कि प्रिया को वसीयत की मूल प्रति पेश करनी होगी और सभी चल, अचल संपत्तियों की विस्तृत सूची भी कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और आगे की लिखित बयानों तथा उत्तरों की तैयारी में मदद करेगा।

विरोधी पक्ष ने 9 अक्टूबर 2025 को निर्धारित अगले प्रमुख सुनवाई में यह मांग की है कि प्रतिवादियों को सम्पत्ति बेचने, हस्तांतरित करने या ऋण लेने से रोका जाए। यह सुनवाई इस सम्पूर्ण 30,000 करोड़ की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ हो सकती है।

इस विवाद ने न केवल भारतीय धनी वर्ग में उत्तराधिकार के नियमों को फिर से सवालों के घेरे में डाल दिया है, बल्कि अदालतों में गोपनीयता याचिकाओं के प्रचलन पर भी नई कसौटियों का परिचय करवाया है। सभी संकेत यह दर्शाते हैं कि संजय कपुर संपत्ति विवाद का परिणाम न केवल इस परिवार की भाग्य रेखा, बल्कि भविष्य में बड़ी परिसंपत्तियों वाले लोगों के कानूनी रणनीतियों को भी आकार देगा।