तुलसी माता: धर्म, संस्कृति और दैनिक जीवन में उनका स्थान
तुलसी माता एक तुलसी माता, हिंदू धर्म में पवित्र वृक्ष और भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी के रूप में मानी जाने वाली देवी हैं, जिन्हें तुलसी के पौधे के रूप में भी पूजा जाता है. इन्हें वृंदावन, हरि प्रिया और कृष्णा भी कहते हैं। ये केवल एक पौधा नहीं, बल्कि भारतीय घरों का आधार हैं — जहाँ उनकी जड़ें धर्म से जुड़ी हैं, और पत्तियाँ दिनभर के अनुष्ठानों को जीवन्त बनाती हैं।
तुलसी माता का संबंध हिंदू धर्मभारत की प्रमुख धार्मिक परंपरा, जिसमें तुलसी को देवी के रूप में विशेष स्थान दिया गया है से इतना गहरा है कि उनकी पूजा दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है। हर सुबह तुलसी के सामने जल चढ़ाना, दीप जलाना और नमस्कार करना लाखों घरों की आदत है। ये आदतें केवल आस्था की नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर भी आधारित हैं — तुलसी के पत्ते में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो हवा को साफ करते हैं। इसलिए तुलसी का पौधा घर के मुख्य द्वार के पास लगाना आयुर्वेद और धर्म दोनों के अनुसार सही माना जाता है।
तुलसी का नाम तुलसी वनतुलसी के पौधों के समूह को कहते हैं, जो भारतीय गाँवों में आमतौर पर एक छोटे मंदिर के रूप में बनाया जाता है से भी जुड़ा है। ये छोटे वन घरों के बीच एक पवित्र जगह होते हैं, जहाँ लोग शाम को आकर भजन गाते हैं, और विशेष दिनों पर तुलसी की विवाह की रीत भी निभाई जाती है। ये वन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामुदायिक जीवन का भी केंद्र हैं। तुलसी के पौधे के नीचे बैठकर बातचीत करना, बच्चों को कहानियाँ सुनाना, या फिर दुखी लोगों को शांति देना — ये सब भारतीय जीवन के अनूठे पहलू हैं।
तुलसी माता के साथ तुलसी मंदिरभारत भर में बने विशेष मंदिर, जहाँ तुलसी की मूर्ति के साथ विष्णु या कृष्ण की पूजा की जाती है भी जुड़े हुए हैं। वाराणसी, वृंदावन, और उत्तर प्रदेश के कई गाँवों में ऐसे मंदिर हैं, जहाँ लोग दूर-दूर से आकर तुलसी की आराधना करते हैं। ये मंदिर केवल भक्ति के लिए नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। आज भी यहाँ तुलसी की विवाह की रीत, तुलसी चौपाई का पाठ और तुलसी के फूलों से गुड़हल का उपयोग जारी है।
अगर आप भी तुलसी के पौधे को घर में लगाए हुए हैं, तो आप इसकी गहराई को समझ रहे हैं। ये पौधा कोई बाहरी सजावट नहीं, बल्कि आपके घर की आत्मा है। यहाँ आपको तुलसी माता से जुड़े कई खबरें मिलेंगी — कुछ में उनकी पूजा की विधि है, कुछ में उनके नाम का इतिहास, कुछ में तुलसी के फूलों से बनने वाले घरेलू उपचार, और कुछ में उनकी भक्ति के बारे में लोगों के अनुभव। ये सब एक ही जड़ से निकले हुए हैं — जो आपके घर के सामने भी खड़ी हो सकती है।
1
तुलसी विवाह 2025: 2 नवंबर को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जपें ये मंत्र, बन जाएंगे दूर सब बाधाएं
तुलसी विवाह 2025 के लिए 2 नवंबर की तिथि घोषित, जब भक्त राधा कृष्ण मंदिर और जेके योग के अनुसार शलिग्राम और तुलसी माता के विवाह का अनुष्ठान करेंगे। मंत्र जप से विष्णु की कृपा पाएं।