PF का पैसा ATM या UPI से तुरंत मिल जाए—बिल्कुल बैंक जैसा अनुभव। यही तस्वीर Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) अपने बड़े अपग्रेड के जरिए बनाना चाहता है। इस प्रोजेक्ट का नाम है EPFO 3.0। मंजूरी मिल चुकी है, सिस्टम बन रहा है, लेकिन लॉन्च की घड़ी अभी थोड़ी दूर है।
EPFO 3.0 क्या है और कब आएगा?
केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री मंसुख मांडविया ने बताया था कि अपग्रेडेड प्लेटफॉर्म का लक्ष्य मई-जून 2025 के बीच रोलआउट करना था। लेकिन इंटीग्रेशन, सिक्योरिटी टेस्टिंग और बड़े पैमाने पर इम्प्लीमेंटेशन जैसी तकनीकी चुनौतियों के चलते टाइमलाइन आगे खिसक गई। नई तय तारीख पर औपचारिक घोषणा बाकी है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से कोर पेमेंट रेल के लिए मंजूरी मिल चुकी है। मतलब, तकनीकी रूप से UPI और बैंकिंग नेटवर्क का इस्तेमाल कर PF तक तुरंत पहुंच संभव है। अगला अहम कदम EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की समीक्षा और फेजवाइज रोलआउट की हरी झंडी है।
तकनीकी ढांचा बेहद बड़ा है—9 करोड़ से ज्यादा मेंबर्स, करोड़ों सक्रिय खाते, और हर दिन लाखों लेनदेन। इसी स्केल को देखते हुए EPFO ने IT पार्टनर्स के तौर पर इंफोसिस, विप्रो और TCS जैसे दिग्गजों को शॉर्टलिस्ट किया है। लक्ष्य है—बैंकिंग-ग्रेड प्लेटफॉर्म, जहां क्लेम से लेकर निकासी तक सब कुछ कुछ क्लिक में हो सके।
तो सिस्टम काम कैसे करेगा? बेसिक सोच साफ है—UAN एक्टिव, KYC-पूरा और आधार-बैंक लिंक खाता होगा तो मेंबर ATM/UPI के जरिए अनुमत सीमा तक पैसा तुरंत निकाल पाएगा। ATM मोड में कार्ड या कार्डलेस (ओटीपी/आधार ऑथ) दोनों तरह के विकल्प टेस्टिंग में हैं, जबकि UPI मोड में सीधे आपके बैंक खाते में फंड ट्रांसफर का रास्ता तैयार हो रहा है। शुरुआत सीमित उपयोग-केस और लिमिट के साथ होने की संभावना है, ताकि फ्रॉड-रिस्क और ऑपरेशनल लोड नियंत्रित रहे।
आज की व्यवस्था में PF एडवांस (जैसे मेडिकल, शिक्षा, विवाह, हाउसिंग आदि) के लिए इलेक्ट्रॉनिक क्लेम फाइल होता है और पैसे आमतौर पर 2–3 कार्यदिवस में NEFT/RTGS से आते हैं। EPFO 3.0 का फोकस इसी समय को घटाकर मिनटों या घंटों में लाना है—24x7, बिना शाखा चक्कर और बिना पेपर।

आपके लिए इसका मतलब क्या है—फीचर्स, नियम और तैयारी
EPFO 3.0 केवल निकासी नहीं, पूरे मेंबर अनुभव को बदलने की कोशिश है। नई सुविधाएं कई लेयर में आएंगी—फ्रंटएंड पर तेज़ी और बैकएंड पर ऑटोमेशन।
- तुरंत निकासी: ATM और UPI पर इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अनुमत श्रेणियों में ऑन-डिमांड PF एडवांस।
- ऑटो-क्लेम सेटलमेंट: वैलिड केस में सिस्टम-ड्रिवन अप्रूवल, जिससे मानवीय देरी घटेगी।
- डिजिटल करेक्शन: नाम, जन्मतिथि, बैंक डिटेल, KYC की छोटी-मोटी गलतियां OTP वेरिफिकेशन से ऑनलाइन सुधरेंगी।
- मोबाइल-फर्स्ट अनुभव: PF पासबुक, कॉन्ट्रिब्यूशन हिस्ट्री, क्लेम ट्रैकिंग—सब कुछ ऐप/वेब पर आसान इंटरफेस में।
कौन-सी निकासी तुरंत होगी? फिलहाल नियम कहते हैं—विशेष जरूरतों (स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, घर आदि) के लिए ऑटोमेटेड निकासी 5 लाख रुपये तक की सीमा में, आमतौर पर 3 दिनों के भीतर संभव है। EPFO 3.0 इस प्रक्रिया को रीयल-टाइम में लाने की दिशा है। फाइनल सेटलमेंट (जैसे नौकरी छोड़ने/रिटायरमेंट पर पूरी राशि) में डॉक्युमेंट चेक और नियोक्ता पुष्टि जैसी प्रक्रियाएं बनी रह सकती हैं, इसलिए यह हिस्सा शुरुआत में पूरी तरह ‘इंस्टेंट’ होने की गारंटी नहीं है।
UPI/ATM पर लिमिट कैसे तय होगी? शुरुआत में ट्रांजैक्शन कैप, डेली/मंथली लिमिट और केवल पात्र उद्देश्यों के लिए निकासी जैसे नियम लागू रहने की उम्मीद है। यह PF के मूल मकसद—रिटायरमेंट सुरक्षा—की रक्षा करता है।
ट्रेड यूनियनों की आपत्तियां भी सामने आई हैं। उनका तर्क है कि हर वक्त आसान निकासी PF को ‘खर्च करने लायक फंड’ बना देगी, जबकि यह लंबी बचत के लिए है। वे डर जताते हैं कि लोग नियमों के दायरे से बाहर इस्तेमाल की कोशिश कर सकते हैं या आसान पहुंच से अनावश्यक निकासी बढ़ेगी। इसी वजह से रेगुलेटेड-यूज़, उचित लिमिट और कड़े ऑथेंटिकेशन पर फोकस रहेगा।
सुरक्षा पर क्या इंतजाम होंगे? EPFO और NPCI स्टैक आमतौर पर मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, डिवाइस बाइंडिंग, रिस्क-स्कोरिंग और 24x7 फ्रॉड मॉनिटरिंग जैसे टूल्स इस्तेमाल करते हैं। Aadhaar ऑथ, UAN-आधारित जांच, बैंक KYC-मैच, और ओटीपी वेरिफिकेशन की परतें धोखाधड़ी का जोखिम घटाती हैं। छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन लिमिट और वैलिडेशन रूल्स भी रिस्क को कम करते हैं।
EPFO 3.0 से प्रशासनिक ढांचा भी सुधरेगा। नियोक्ता-अंशदाता रेकॉर्ड का मिलान, पेंडिंग क्लेम पर एलर्ट, ई-नॉमिनेशन की ट्रैकिंग और रीकंसिलिएशन—ये सब बैकएंड में तेज़ और साफ होगा। इससे गलतियों और विवादों की संख्या घटेगी और सदस्यों को सही समय पर सही रकम मिलेगी।
पेंशन पर भी चर्चा गर्म है। CBT बैठकों में न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,500–2,500 रुपये मासिक करने के विकल्प पर बातचीत चल रही है। यह अलग प्रक्रिया है, लेकिन PF सर्विस अपग्रेड के साथ सामाजिक सुरक्षा के बड़े एजेंडा का हिस्सा बन रही है। कोई भी बदलाव वित्तीय आकलन और नीतिगत मंजूरी पर निर्भर करेगा।
किसे सबसे ज्यादा फायदा? आपातकालीन जरूरत—जैसे अचानक अस्पताल का बिल—में 24x7 एक्सेस सबसे बड़ी राहत बनेगा। छोटे शहरों में जहां EPFO कार्यालय दूर हैं, डिजिटल करेक्शन और ऑटो-क्लेम समय और लागत दोनों बचाएंगे। वहीं, बार-बार छोटी निकासी की आदत PF बैलेंस को कमजोर कर सकती है, इसलिए फाइन-प्रिंट समझना जरूरी रहेगा।
अभी आपको क्या तैयार रखना चाहिए? तीन चीजें पक्की करें—UAN एक्टिव हो, KYC पूरा हो, और बैंक खाते से आधार और मोबाइल नंबर लिंक हों।
- UAN लॉगिन काम कर रहा हो; पासवर्ड अपडेट रखें।
- Aadhaar, PAN और बैंक खाते के KYC स्टेटस ‘अप-टू-डेट’ हों।
- ई-नॉमिनेशन जोड़ें/अपडेट करें, ताकि क्लेम प्रोसेस स्मूद रहे।
- UPI ID सक्रिय हो, वही मोबाइल नंबर EPFO प्रोफाइल में सेव हो।
- PF पासबुक समय-समय पर चेक करें; नियोक्ता का योगदान सही बैठ रहा है या नहीं।
लॉन्च के दिन क्या उम्मीद रखें? संभव है कि पहले फेज में सीमित शहरों/ज़ोन्स और चुनिंदा उपयोग-केस के लिए फीचर्स खुलें, फिर धीरे-धीरे देशभर में विस्तार हो। बड़े पब्लिक-फेसिंग सिस्टम इसी तरह रोलआउट होते हैं ताकि किसी गड़बड़ी का असर सीमित रहे और फीडबैक के आधार पर सुधार किए जा सकें।
क्या ATM से ‘कैश-आउट’ हर PF केस में मिलेगा? नहीं। PF एडवांस की श्रेणियां और नियम पहले जैसे ही रेगुलेशन-ड्रिवन रहेंगे। कार्ड/कार्डलेस ATM और UPI बस चैनल हैं—अनुमत उद्देश्य और लिमिट वही तय करेंगे कि कितना और कब निकाला जा सकता है।
आज के मुकाबले सबसे बड़ा फर्क क्या होगा? समय और नियंत्रण। अभी 2–3 दिन में आने वाली रकम कई मामलों में मिनटों में हाथ में होगी। क्लेम की स्थिति का रीयल-टाइम अपडेट मिलेगा और छोटी-छोटी गलतियों के लिए कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
तो कब तक इंतजार? आधिकारिक नई तारीख EPFO/मंत्रालय की ओर से घोषित की जानी है। NPCI इंटीग्रेशन, IT पार्टनरशिप और CBT की मंजूरी जैसे माइलस्टोन्स पूरे होते ही पायलट के संकेत मिलेंगे। तब तक, जो चीज आपके हाथ में है—KYC और प्रोफाइल—उसे दुरुस्त रखिए। लॉन्च होते ही आप कतार से आगे होंगे।