ट्रम्प टैरिफ क्या था और क्यों बना चर्चा का विषय?

2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई देशों पर आयातित सामानों पर भारी टैक्स लगाना शुरू किया। उनका मकसद अमेरिकी कंपनियों को बचाना और व्यापार घाटा घटाना था। लेकिन टैरिफ सिर्फ एक कर नहीं, बल्कि दो बड़े अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव का कारण बन गया।

टैक्स कैसे काम करता है?

जब अमेरिका किसी देश से वस्तु आयात करता है, तो वह सामान पर अतिरिक्त प्रतिशत जोड़ता है। उदाहरण के लिये स्टील पर 25% टैरिफ और एल्युमिनियम पर 10% टैक्स लगाया गया। इससे अमेरिकी कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाव मिला, लेकिन साथ ही उन सामानों की कीमत भी बढ़ गई।

भारत पर ट्रम्प टैरिफ का सीधा असर

हिंदुस्तान ने कई क्षेत्रों में इस नीति के कारण दोहरी चुनौतियों का सामना किया:

  • निर्यात घटना: स्टील, रबर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख एक्सपोर्ट आइटम पर टैरिफ लगा, जिससे अमेरिकी खरीदारों ने कीमतें देख लीं और भारतीय सप्लायर्स का ऑर्डर कम हो गया।
  • इम्पोर्ट की बढ़ती लागत: अमेरिका से टेक्नोलॉजी, मशीनरी और कच्चे तेल की कीमत में उछाल आया, जिससे भारत के उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ी। इससे अंततः उपभोक्ताओं को भी महंगाई झेलनी पड़ी।
  • वित्तीय बाजारों पर प्रभाव: डॉलर के मुकाबले रूपया कमजोर हुआ क्योंकि ट्रेड टेंशन से निवेशकों का विश्वास घटा, जिससे विदेशी पूंजी प्रवाह में कमी आई।

इन सबके बावजूद भारत ने कई उपाय अपनाए। नई ट्रेड डिप्लोमा पर बातचीत तेज की, वैकल्पिक बाजारों (जैसे यूरोप और एशिया) से निर्यात बढ़ाया, और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये सविंग्स स्कीम लॉन्च की।

अगर आप एक व्यापारी या सामान्य पाठक हैं, तो यह समझना जरूरी है कि टैरिफ सिर्फ टैक्स नहीं बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव लाता है। आपके व्यवसाय को बचाने के लिए वैकल्पिक सोर्सिंग, लागत नियंत्रण और निर्यात-आधारित बाजारों की पहचान करना फायदेमंद रहेगा।

भविष्य में ट्रम्प जैसी नीति बदल सकती हैं, इसलिए नियमित अपडेट पढ़ते रहें। हिंदी यार समाचार पर हम हर बड़े बदलाव को सरल भाषा में समझाते रहेंगे, ताकि आप सूचित फैसले ले सकें।

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ब्लैक मंडे 2.0? 1987 की गिरावट और ट्रम्प टैरिफ से फिर बाजार में घबराहट
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 23 अगस्त 2025 0 टिप्पणि

ब्लैक मंडे 2.0? 1987 की गिरावट और ट्रम्प टैरिफ से फिर बाजार में घबराहट

19 अक्टूबर 1987 को Dow में 22.6% की एकदिनीय गिरावट ने इतिहास रचा। आज ट्रेड नीतियों और ट्रम्प के संभावित टैरिफ से वैसी ही बेचैनी झलक रही है। फर्क ये है कि अब सर्किट ब्रेकर, एल्गो निगरानी और केंद्रीय बैंकों की तरलता सुविधाएं हैं। फिर भी एल्गो ट्रेडिंग, डॉलर की चाल और व्यापार घाटे जैसे कारक जोखिम बढ़ा रहे हैं। इतिहास दोहराता नहीं, पर तुक जरूर करता है।