शुभ मुहूर्त: सही तिथि‑समय के साथ कौन‑से काम करें
जब किसी काम की सफलता की इच्छा हो, तो कई लोग शुभ मुहूर्त, वह समय‑और‑तिथि है जो वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की अनुकूल स्थिति से प्रेरित होती है. इसे अस्थायी तिथि भी कहा जाता है, जबकि इसका मुख्य उद्देश्य जीवन के महत्वपूर्ण कदमों को सकारात्मक ऊर्जा से घेरना है। इस पेज पर हम बताएंगे कि कैसे शुभ मुहूर्त को पंचांग के आधार पर निकाला जाता है, कौन‑से उपकरण मददगार हैं, और कौन‑से कारक इस चयन को प्रभावित करते हैं।
शुभ मुहूर्त का मूल भाग पंचांग, वर्ष, महिना, तिथि, वार और नक्षत्र की जानकारी देने वाला वैदिक कैलेंडर है। पंचांग के पाँच अंग (तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करन) मिलकर समय का पूरा चित्र बनाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी कार्य को नवमी तिथि पर निकाला जाता है और नक्षत्र असविन हो, तो यह योग‑पंचांग का एक विशिष्ट संयोजन बनाता है, जो अक्सर शुभ माना जाता है। इसी प्रकार, ग्रह, सूर्य, चंद्र, मंगल आदि का आकाशीय स्थान भी अंतिम फैसला में अहम भूमिका निभाते हैं; शनि की हस्तक्षेप वाले दिन आमतौर पर असंदिग्ध नहीं होते।
शुभ मुहूर्त चुनते समय किन बातों को देखना चाहिए
पहला नियम: ग्रह स्थिति को देखें। यदि चंद्रमा सकारात्मक भाव (जैसे धनु, मकर) में है और शनि, राहु‑केतु जैसे ऋषि ग्रह अंकुश नहीं कर रहे, तो वह समय योजना के लिए अनुकूल माना जाता है। दूसरा नियम: तिथि‑योग का मेल। जैसे विक्रमादिति या शिवयोग अक्सर शुभ होते हैं, जबकि भयानक योग से बचना चाहिए। तीसरा नियम: निशिचर या प्रातःकाल में कार्य शुरू करना उत्तम माना जाता है; इन हिस्सों में पवन और सूर्य की ऊर्जा संतुलित रहती है।
व्यावहारिक रूप में, कई लोग मुहूर्त कैलकुलेटर, ऑनलाइन टूल जो ग्रह‑स्थिति और पंचांग को मिलाकर स्वच्छित समय देता है का प्रयोग करते हैं। इन टूल्स में आपका जन्मतिथि डालते ही व्यक्तिगत मुहूर्त मिल जाता है, जिससे शादी, घर खरीदने, नई नौकरी या व्यापार शुरू करने जैसे बड़े निर्णयों में मदद मिलती है। हालाँकि, एक बार गणना करने के बाद भी स्थानीय पंडित या वैदिक ज्योतिषी से सलाह लेना फायदेमंद रहता है, क्योंकि वह लिंग, जन्मसमय और व्यक्तिगत नॉड्स को भी जोड़कर अधिक सटीक सलाह दे सकते हैं।
एक और महत्वपूर्ण पहलू है व्यक्तिगत रिवायत। कई परिवारों में पीढ़ियों से चलती हुई खास तिथियाँ या नक्षत्र होते हैं, जिन्हें हमेशा पालन किया जाता है। इन रिवायतों को पंचांग के सामान्य नियमों के साथ मिलाकर देखें, तो अक्सर एक संतुलित परिणाम मिलता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके दादाजी ने कहा था कि शादी के लिए शरद ऋतु की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि सबसे अनुकूल रही, तो उसी के अनुसार ही योजना बनाना व्यापक रूप से स्वीकार्य होता है।
इन सभी बातों को जोड़ते हुए, हम इस पेज पर प्रस्तुत लेखों में विभिन्न स्थितियों के लिए शुभ मुहूर्त को कैसे पहचानें, कौन-से टाइम‑टेबल सबसे प्रभावी हैं, और कौनसे अपडेटेड टूल्स आपके काम में मदद कर सकते हैं, यह सब कवर किया है। आप यहाँ पढ़ने वाले लेखों में खेल, राजनीति, व्यापार, सामाजिक कार्यक्रमों के लिए भी मुहूर्त के उदाहरण पाएँगे, जिससे यह समझ सकेंगे कि किस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों में शुभ समय का प्रयोग होता है।
नीचे की सूची में आपको नवीनतम समाचार, प्रतियोगी विश्लेषण, और व्यावहारिक मार्गदर्शन मिलेगा – सभी इस बात पर केन्द्रित कि कैसे सही समय चुनना आपके परिणामों को बेहतर बना सकता है। तैयार रहें, क्योंकि अगली लाइनों में हम आपको वास्तविक केस स्टडी और त्वरित टूल सुझाव देंगे, जिससे आप तुरंत अपनी योजना में सुधार कर सकेंगे।
30

दशहरा 2025 की तिथि – 2 अक्टूबर गुरुवार, शुभ मुहूर्त और रावण दहन की घड़ी
दशहरा 2025 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा, रावण दहन 6:03‑7:10 बजे; रवि योग, चार चौगाँठ और अभिजीत मुहूरत के साथ शुभ मुहूर्त, बध्रा‑पंचक अनुपस्थित, भारत भर में विविधतापूर्ण उत्सव.