दशहरा 2025 की तिथि – 2 अक्टूबर गुरुवार, शुभ मुहूर्त और रावण दहन की घड़ी

दशहरा 2025 की तिथि – 2 अक्टूबर गुरुवार, शुभ मुहूर्त और रावण दहन की घड़ी
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 30 सितंबर 2025 9 टिप्पणि

जब भगवान राम, अयोध्या के राजपूत योद्धा ने रावण को परास्त किया, तो भारत में हर साल उस दिन को विजयादशमी (दशहरा) के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 2025 का दिन 2 अक्टूबर, गुरुवार निर्धारित किया गया है, और इससे जुड़े मुहूर्तों ने इस त्यौहार को खास बनाकर दिखाया है।

दशहरा 2025 का कैलेंडर और मुहूर्त

ज्योतिषी पंचांग के अनुसार दशहरा 2025 की दशमी तिथि अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि 1 अक्टूबर 2025 को शाम 7:02 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 को शाम 7:10 बजे समाप्त होती है। इस कारण मुख्य समारोह 2 अक्टूबर को ही आयोजित किया जाएगा।

  • रावण दहन का शुभ समय: 2 अक्टूबर 2025, शाम 6:03 से 7:10 बजे तक
  • चार चौगाँठ (Char Chaughadia): सुबह 10:40 से 11:30 बजे
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 बजे
  • लाभ योग: दोपहर 12:10 से 1:39 बजे
  • रवि योग का उदय: पूरे दिन अत्यधिक शौभा वाला योग

इस वर्ष बध्रा और पंचक जैसे अनुपयुक्त काल नहीं पड़ेंगे – बध्रा 3 अक्टूबर 2025 को सुबह 6:57 बजे शुरू होगी, जबकि पंचक भी उसी दिन से शुरू होगा। इसलिए पूजा‑पाठ और रावण दहन के लिए कोई बाधा नहीं रहेगी।

धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा

दशहरा दो महान कथा‑जड़ के संग जुड़ा है। पहला – जब भगवान राम ने दस सिर वाले रावण को मारकर सीता को मुक्त किया। दूसरा – जब देवी दुर्गा ने महिषासुर को हराकर शत्रुता पर विजय पाई। इन दोनों घटनाओं को मिलाकर ही दशहरा के नाम का अर्थ – ‘दस (दश) को हराना (हारा)’ – बना।

इस दिन शस्त्र पूजा (शस्त्र पुजा) भी की जाती है; कई लोग इस अवसर पर हथियार, औज़ार और वाहन की पूजा करके सफलता की कामना करते हैं।

रावण दहन का शुभ समय और अनुष्ठान

रावण दहन मुख्य रूप से शाम 6:03 बजे से 7:10 बजे तक किया जाना चाहिए, क्योंकि यह समय सूर्यास्त के साथ मेल खाता है और विष्ठनीय शक्ति को निष्क्रिय करता है। कई शहरों में बड़े मंच तैयार किए जाते हैं, जहाँ रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।

परम्परागत रूप से, पुतले की आँखों में धनुष‑तीर, गुप्ताक्ति और गांटनियां सजाई जाती हैं, जिससे बुराई का नर्तक रूप उभरे। यह कर्म भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग‑अलग शैली में होता है, पर मूल भावना समान रहती है – बुराई का नश्‍ट।

देशभर में उत्सव के स्वर

विविधतापूर्ण भारत में हर राज्य अपनी रीति‑रिवाज जोड़ता है। उत्तर प्रदेश में अयोध्या के मंदिरों में शत्रु रावण की आकृति को जलाने के साथ‑साथ रामलीला का मंचन होता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद बड़े पंडाल में शत्रु रावण के पुतले को जलाया जाता है। कर्नाटक में मैसूर की “दुर्गा दशहरा” में शत्रु रावण के साथ ही बहराम पूजन भी किया जाता है।

दिल्ली के सफेद महल रोड पर हर साल गजोधर के रावण दहन का बड़ा आयोजन होता है, जहाँ सैकड़ों लोग जुटकर उत्सव मनाते हैं। इसी प्रकार, जयपुर में रोहिणी मीठे‑मीठे ‘रावण दहन’ की धूम रहती है। यह विविधता दर्शाती है कि दशहरा केवल एक धार्मिक त्यौहार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है।

ज्योतिषीय विशेषज्ञों की राय

सिंह सिद्धान्त के विख्यात ज्योतिषी डॉ. राजीव बड़ोले ने बताया कि इस साल रवि योग का गठन निवेश, नई‑नौकरी, वाहन खरीद और घर की बंधक कर्ज़ चुकाने जैसे आर्थिक कदमों के लिए अत्यधिक अनुकूल है। उन्होंने कहा, “रवि योग सूर्य‑शुक्र की गतियों से बनता है, और यह शक्ति‑उत्सर्जन के साथ जुड़ा होता है। इस योग में की गई कोई भी पूजा सफल होने की अधिक संभावना रखती है।”

एक और वैदिक ज्योतिषी श्रीमती आयशा अग्रवाल ने कहा, “अभिजीत मुहूर्त और चार चौगाँठ के दौरान किए गए अष्टकर्म (अष्ट नऊ परन) के फल फलदायी होते हैं। यह विशेष रूप से युवाओं के लिए शिक्षा और करियर प्रणालियों में मददगार रहेगा।”

भविष्य की संभावनाएँ और ध्यान‑योग

दशहरा 2025 में सामाजिक दूरी के नियम अब लागू नहीं हैं, इसलिए बड़े इवेंट्स फिर से खुले मंच पर आयोजित होंगे। लेकिन सुरक्षा कारणों से कई शहरों ने सड़कों पर भीड़‑भाड़ को नियंत्रित करने हेतु अतिरिक्त पुलिस व्यवस्था बनाई है।

पर्यटक और दर्शक इस मौके पर खासकर फोटो‑फोटो फुटेज के साथ रावण दहन की वीडियो को सोशल‑मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जिससे त्योहार की पुनःस्थापना डिजिटल युग में भी कायम है।

Frequently Asked Questions

दशहरा 2025 का सबसे शुभ समय कब है?

विजयादशमी की प्रमुख तिथि 2 अक्टूबर 2025 है। रावण दहन का सबसे शुभ समय शाम 6:03 से 7:10 बजे तक है, जबकि पूजा‑पाठ के लिए चार चौगाँठ (10:40‑11:30 सुबह) और अभिजीत मुहूर्त (11:45‑12:32 दोपहर) को सबसे अनुकूल माना गया है।

रावण दहन में किन‑किन पुतलों को जलाया जाता है?

परम्परागत रूप से रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। कुछ क्षेत्रों में शत्रु रावण के साथ‑साथ उसके दस सिरों को अलग‑अलग रूप में दर्शाया जाता है, जिससे बुराई का सम्पूर्ण विनाश प्रतीक बनता है।

क्या 2025 में कोई बिधि‑विरोधी समय (पंचक/बध्रा) असर करेगा?

नहीं। पंचक और बध्रा दोनों का प्रभाव 3 अक्टूबर 2025 को सुबह 6:57 बजे से शुरू होता है, यानी दशहरा समाप्त होने के बाद। इसलिए इस वर्ष इन अनुपयुक्त कालों का उत्सव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

रवि योग का क्या महत्व है और इसे कैसे उपयोग किया जा सकता है?

रवि योग सूर्य‑शुक्र की अनुकूल गति के कारण बनता है और यह व्यापार, वाहन खरीद, नई‑नौकरी तथा गृहप्रवेश जैसे कार्यों में सफलतापूर्ण परिणाम देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस योग में की गई शस्त्र‑पूजा या नई‑व्यापारिक योजनाओं की शुरुआत अधिक शुभ होती है।

दशहरा 2025 में विभिन्न राज्यों में विशेष अनुष्ठान क्या हैं?

उत्त प्रदेश में अयोध्या की रामलीला, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन के बाद रावण दहन, कर्नाटक में मैसूर की दुर्गा दशहरा, दिल्ली में सफेद महल रोड का विशाल रावण दहन और जयपुर में रोहिणी मीठे‑मीठे रावण दहन प्रमुख हैं। प्रत्येक राज्य अपनी स्थानीय संस्कृति के रंग बिखेरता है, लेकिन सभी में बुराई के पराजय का संदेश समान रहता है।

9 टिप्पणि

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    Govind Kumar

    सितंबर 30, 2025 AT 22:13

    ध्यान दें, दशहरा 2025 के शुभ मुहूर्‍त शनिकाल में हैं, यानी शाम 6:03 से 7:10 बजे तक रावण दहन का समय अनुकूल माना गया है। इस अवधि में सूर्यास्त के साथ सूर्य‑शुक्र की गति भी लाभकारी योग बनाती है। आपके परिवार के लिये शस्त्र पूजा या नई वाहन की खरीदारी इस समय किया जा सकता है, क्योंकि रवि योग आर्थिक कदमों को सुदृढ़ करता है। इसके अलावा अभिजीत मुहूरत में शैक्षणिक तथा करियर‑संबंधी कार्य हेतु प्रार्थना करनी उपयुक्त है। शुभकामनाएँ।

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    Shubham Abhang

    अक्तूबर 11, 2025 AT 08:13

    अरे! आप लोग देखिए, दशहरा-2025‑का‑दिवस‑बिल्कुल‑सही‑है,, परन्तु‑कभी‑कभी‑रिकॉर्ड‑भूल हो जाता है।। रावण‑दहन‑का‑समय‑भूल‑नहीं‑होना‑चाहिए,,, क्योंकि शुभ‑मुक्ति‑के‑लिए‑इही‑दौर‑है… पर‑ध्यान‑दे कि‑बध्रा‑और‑पंचक‑का‑असर‑नहीं‑पड़ेगा...!!

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    Trupti Jain

    अक्तूबर 21, 2025 AT 18:13

    भाई, यह लेख अच्छा है लेकिन कुछ हिस्से थोड़ा उबाऊ लगते हैं; फिर भी रंग‑बिरंगी जानकारी ने पढ़ने में मज़ा बढ़ा दिया।

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    deepika balodi

    नवंबर 1, 2025 AT 03:13

    अयोध्या में रामलीला के समय‑समय पर एक विशेष संगीत समूह अवश्य सुनें; यह सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखता है।

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    Priya Patil

    नवंबर 11, 2025 AT 13:13

    दशहरा के समय सभी को शुभकामनाएँ! रावण दहन के दौरान सुरक्षा के लिये पुलिस की अतिरिक्त व्यवस्था ग़ौर करने योग्य है, विशेषकर भीड़‑भाड़ वाले क्षेत्रों में। यदि आप किसी छोटे शहर में हैं, तो स्थानीय रुप में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेकर समुदाय के साथ जुड़ाव बढ़ा सकते हैं। साथ ही, चार चौगाँठ और अभिजीत मुहूरत के दौरान भजन‑कीर्तन करिए, यह आध्यात्मिक ऊर्जा को सुदृढ़ करेगा।

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    Rashi Jaiswal

    नवंबर 21, 2025 AT 23:13

    वाह भाई, ये दसमका मुहुर्त देख के तो मन उछल पड़ा!! रवी‑योग में नई कार या घर खरीदना वाक़ई लकी रहेगा, बस जल्दी‑जल्दी गोली से एंट्री हो जाये..!!

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    Vibhor Jain

    दिसंबर 2, 2025 AT 09:13

    भीड़ में फँसना तो दशहरा का ही हिस्सा है, है ना?

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    Ashutosh Kumar Gupta

    दिसंबर 12, 2025 AT 19:13

    देखिए, यह केवल रावण को जलाने का उत्सव नहीं, यह निंदक बुराई के विरुद्ध मानवता का प्रतिज्ञा है; यदि हम इस पवित्र अदाकारी को हलके में लेंगे तो सामाजिक पतन की घोषणा करेंगे, इसलिए हर कोई शाश्वत सत्य के लिए ईमानदारी से भाग ले।

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    Swetha Brungi

    दिसंबर 23, 2025 AT 05:13

    आपकी बात में गहराई है; वास्तव में रावण दहन का प्रतीकात्मक अर्थ बुराई का विनाश है और इस भावना को आज के युवा वर्ग में सकारात्मक ऊर्जा के रूप में अनुवादित किया जा सकता है। साथ ही, विभिन्न राज्यों की विविधता हमें यह सिखाती है कि एक ही मूल्यमान को विभिन्न रूपों में मनाया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय एकता में मजबूती आती है।

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