Q1 FY26 के प्रमुख वित्तीय अपडेट

FY26 का पहला तिमाही (अप्रैल‑जून 2025) भारतीय अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है। बजट, बैंकिंग नियम, कृषि सबसिडी और शेयर बाजार की हरकतें अब रोज़मर्रा की जिंदगी को सीधे प्रभावित कर रही हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि ये बदलाव आपके जेब पर कैसे असर डालेंगे, तो आगे पढ़ें।

बजट 2025‑26 और नीतियों का असर

1 फ़रवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया। मुख्य बातों में टैक्स राहत, कृषि समर्थन के लिए अतिरिक्त फंड और स्टेट्स को अधिक वित्तीय स्वायत्तता देना शामिल था। खास बात यह है कि बजट में PM‑Kisan की 20वीं किस्त जल्द ही आने वाली है, जिससे लाखों किसान को तुरंत ₹2,000 मिलेंगे। इस दौरान eKYC और आधार लिंकिंग को अनिवार्य कर दिया गया है, इसलिए अगर आपका खाता अभी तक लिंक नहीं है, तो आज ही कर लें।

बजट ने UPI लेन‑देनों पर सख्त नियम भी पेश किए। अब 10 लाख रुपये से ऊपर की ट्रांजेक्शन पर अतिरिक्त ड्यू डिलिजेंस ज़रूरी है, और बड़े कॉर्पोरेट्स को दो‑स्तरीय प्रावधान अपनाने होंगे। यह कदम वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने के लिए है, लेकिन छोटे व्यापारी थोड़ी झंझट महसूस कर सकते हैं।

बजट में पर्यावरणीय पहल भी उल्लेखनीय थीं—सौर ऊर्जा पर सब्सिडी बढ़ाने, कार्बन टैक्स को धीरे‑धीरे लागू करने और जल संरक्षण के लिए विशेष फंड स्थापित करने का फैसला किया गया। ये नीतियां दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को मजबूत कर सकती हैं, खासकर जब वैश्विक ऊर्जा कीमतें अस्थिर हों।

बैंकिंग और भुगतान के नए नियम

1 अगस्त से शुरू हुए कई बैंकिंग बदलाव भी Q1 FY26 को हमारी यादों में कायम रखेंगे। PNB ने KYC की अंतिम तिथि तय कर दी, जिसका मतलब है कि इस तारीख के बाद किसी भी बिन‑कम्प्लायंट अकाउंट को फ्रीज़ किया जाएगा। वहीं, SBI के क्रेडिट कार्ड पर इंश्योरेंस बंद हो रहा है, इसलिए अगर आपके कार्ड में बीमा जुड़ा हुआ था, तो नई पॉलिसी के लिए अलग से आवेदन करें।

FASTag यूज़र्स के लिए सालाना पास की सुविधा आने वाली है, जिससे नियमित ड्राइवरों को रिफंड और पॉइंट्स मिलेंगे। यह छोटा बदलाव ट्रैफ़िक जाम को कम करने और राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा।

बजट और बैंकिंग नियमों के साथ ही, शेयर बाजार में भी हलचल बनी रही। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि ट्रम्प‑टैरिफ जैसी वैश्विक ट्रेड नीतियों का असर अभी भी महसूस किया जा रहा है। एल्गो ट्रेडिंग और डॉलर की अस्थिरता के कारण निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन सर्किट ब्रेकर और तरलता सुविधाएं बाजार को कुछ हद तक सुरक्षित रख रही हैं।

संक्षेप में, Q1 FY26 में आर्थिक नीतियों का फोकस टैक्स में छूट, कृषि सशक्तिकरण, भुगतान सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता पर रहा है। यदि आप इन अपडेट्स को अपनी वित्तीय योजना में शामिल करेंगे, तो बजट के लाभ उठाना और नए नियमों के साथ सहज रहना आसान होगा।

अगले महीने में सरकार और RBI से और भी निर्देश आ सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से हिंदी यार समाचार पर नजर रखें। आप अपने सवाल या सुझाव कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं, हम आपके फीडबैक का इंतज़ार करेंगे।

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GDP 7.8%: जून तिमाही में पांच तिमाहियों की सबसे तेज रफ्तार, अनुमान से आगे
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 30 अगस्त 2025 0 टिप्पणि

GDP 7.8%: जून तिमाही में पांच तिमाहियों की सबसे तेज रफ्तार, अनुमान से आगे

जून तिमाही (Q1 FY26) में भारत की GDP 7.8% रही, जो अनुमानित 6.5% से काफी ऊपर और पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज है। नाममात्र GDP 8.8% रही। सेवाएं 9.3% के साथ सबसे आगे रहीं, निर्माण 7.6% और विनिर्माण 7.7% पर। उपभोग 7% बढ़ा और इसका हिस्सा 60.3% पहुंचा—15 साल में Q1 का उच्चतम। अमेरिकी 50% टैरिफ के बावजूद गति कायम दिखी।