अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल में डाइट पर मचा बवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तिहाड़ जेल में डाइट को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच चल रही खींचतान अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुकी है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने हाल ही में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और भाजपा पर केजरीवाल की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। यह आरोप तब सामने आया जब यह पता चला कि तिहाड़ जेल में केजरीवाल की डाइट में बदलाव और उनकी चिकित्सकीय रिपोर्ट को छुपाने की कोशिश की गई है।
AAP का साजिश का आरोप
संजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया कि भाजपा और उपराज्यपाल सक्सेना ने मिलकर केजरीवाल की जान लेने की साजिश रची है। उन्होंने कहा कि पहले भाजपा यह दावा कर रही थी कि केजरीवाल ने मिठाई खाई जिससे उनकी शुगर लेवल बढ़ गई, लेकिन अब वे कह रहे हैं कि केजरीवाल ने खाना कम कर दिया है, जिससे उनकी जान को खतरा है।
संजय सिंह ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल, जो इस समय न्यायिक हिरासत में हैं, उनकी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि उनकी शुगर लेवल गिर गई है और उन्हें हाइपरग्लाइसीमिया के लक्षण भी दिख रहे हैं। इसके बावजूद उनका इंसुलिन डोज कम कर दिया गया है जो की गंभीर समस्या है।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी
आम आदमी पार्टी ने इस मामले में आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का केस दर्ज कराने की योजना बनाई है। संजय सिंह ने कहा कि उनके पास एक कॉपी है जोकेजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट की है, जो यह साबित करती है कि उनकी हालत बिगड़ रही है और यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है।
यह आरोप तब सामने आया जब केजरीवाल ने 7 जुलाई को डिनर से पहले इंसुलिन लेने से इनकार कर दिया। आम आदमी पार्टी ने कहा कि यह स्थिति एक जानलेवा साजिश का हिस्सा है।
चुनावी राजनीति का हिस्सा?
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आरोप और प्रत्यारोप आगामी चुनावों के मद्देनजर लगाए जा रहे हैं। हालांकि, केजरीवाल की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चल रही यह खींचतान दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है।
लंबे समय से विवादों में घिरे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर हमेशा विवादों और संघर्षों से भरा रहा है। उनके तिहाड़ जेल में रहते हुए उनकी डाइट और स्वास्थ्य से सम्बंधित यह मामला उनके राजनीतिक जीवन के संघर्षों की एक और कहानी है।
मेडिकल जांच के परिणाम
मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, केजरीवाल की शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव देखा गया है। हाइपरग्लाइसीमिया की स्थिति को देखते हुए उन्हें चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है।
इस मुद्दे पर दिल्ली के कई प्रमुख नेताओं ने भी चिंता जताई है और मांग की है कि उपराज्यपाल और जेल प्रशासन इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें।
जनता के बीच प्रतिक्रिया
केजरीवाल के समर्थकों के बीच इस मुद्दे को लेकर गहरी चिंता है। उनके समर्थकों का मानना है कि सरकार इस मामले में जल्द से जल्द जांच करे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
वहीं, विपक्ष का कहना है कि यह सब चुनावी राजनीतिक खेल का हिस्सा है जो जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटका रहा है।
जो भी हो, इस मुद्दे ने दिल्ली की राजनीति में एक नई खींचतान की शुरुआत कर दी है। अब देखना यह होगा कि इस मामले का अंत किस दिशा में जाता है और क्या दिल्ली सरकार इस मुद्दे की सच्चाई सामने ला सकेगी।
abhay sharma
जुलाई 21, 2024 AT 19:06डाइट का मुद्दा तो हर पार्टी का फ़ेवरेट एक्सरसाइज बन गया है
Abhishek Sachdeva
जुलाई 21, 2024 AT 19:48AAP की इस डाइट षड्यंत्र की बात सुनकर मेरा दिमाग घुमा दिया गया है।
भले ही यह एक राजनीतिक स्टेजिंग हो, लेकिन साक्ष्य के बिना यह बस एक बुनियादी फर्जी आरोप है।
संजय सिंह ने जिस तरह से रोगी के इंसुलिन डोज़ को लेकर अफ़वाहें फैलाईं, वह नैतिकता की हदें लांघता है।
स्वास्थ्य को लेकर प्रयोगशालाओं में मैन्युअल डेटा को बदलना एक गंभीर अपराध है।
भाजपा और उपराज्यपाल का नाम ले कर हत्या की साज़िश खड़ा करना सिर्फ़ एक डरावना PR ट्रिक है।
जेल प्रशासन को इस तरह की रिपोर्ट छुपाने के लिए बाध्य करना असंभव है जब तक कि अंदरूनी संपर्क न हो।
इस केस में आईपीसी की धारा 307 का हवाला देना कानूनी पब्लिसिटी को बढ़ावा देगा।
लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इस तरह के आरोपों से जनता का ध्यान वास्तविक स्वास्थ्य मुद्दों से हटाया जा रहा है।
अगर केजरीवाल की हालत वाकई में जोखिम भरी है, तो तुरंत चिकित्सीय सहायता देना चाहिए, न कि राजनैतिक जलाते हुए बत्ति।
वर्तमान में कई विशेषज्ञ कहते हैं कि हाइपरग्लाइसीमिया के गंभीर लक्षणों में निचली ग्लूकोज़ लवल तक भी गिरना शामिल है।
इंसुलिन डोज घटाना बिना डॉक्टरी निगरानी के करना एक पेशेवर लापरवाही है।
यह मामला सिर्फ़ एक स्वास्थ्य नीति नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति के दुरुपयोग का उदाहरण बन सकता है।
अधिकांश मीडिया ने इस पर सतही रिपोर्ट ही दी, गहराई से जांच की कोई कोशिश नहीं दिखी।
सतही विश्लेषण से जनता को भ्रमित किया जाता है और सच्ची जांच में बाधा आती है।
ऐसे समय में, सच्ची जानकारी के बिना, सामाजिक उत्पात का माहौल बन जाता है।
इसलिए मैं कहूँगा, चाहे आप किसी भी पक्ष के हों, इस मुद्दे को सिर्फ़ एक और चुनावी हथियार नहीं बनाना चाहिए।
Janki Mistry
जुलाई 21, 2024 AT 20:46डाइट प्रोटोकॉल में कैलोरी इनटेक और ग्लाइसेमिक इंडेक्स का संतुलन आवश्यक है। मेडिकल रिकॉर्ड के ऑडिट से डेटा टेम्परर्रीज की पुष्टि हो सकती है। एपीपी को क्लिनिकल एविडेंस के आधार पर केस फाइल करना चाहिए। जल्द ही स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए
Akshay Vats
जुलाई 21, 2024 AT 21:28सर फाइल कर रहे है केस में काफि गड़बड़ी है. जेल वाला भी जिम्मेवारी से काफि कोसिस कर रहा है पर政? केजरीवाल जी की सेहत नज़रअंदाज़ नहीं होनी चाहिए. पर ये सब झूठा खेल हि है. ओहिस बातों को लोग इडली कर लेते है इनका.
Anusree Nair
जुलाई 21, 2024 AT 22:26हम सबको चाहिए कि इस विवाद में शांति रखें और वास्तविक स्वास्थ्य जरूरतों को प्राथमिकता दें। राजनीतिक जाल में फंसने की बजाय, डॉक्टरों की राय को सुनना ज़रूरी है। सभी पार्टियां मिलकर एक पारदर्शी जांच प्रक्रिया बनाएं। इससे जनता का भरोसा भी बना रहेगा और केजरीवाल जी को भी सही देखभाल मिलेगी।