भक्तियों के लिए नवरात्रि द्वितीय दिवस का महत्व
२2 सितम्बर‑23 सितम्बर के बीच सुरू हुई शरद नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचरिणी को समर्पित है। इस माँ को तपस्ये की देवी कहा जाता है; वह सफ़ेद साड़ी में धूप‑धूप धारण करती हैं, जो शुद्धता का प्रतीक है। उनके बाएँ हाथ में कमण्डल और दाएँ हाथ में जपा माला होती है, जो आध्यात्मिक अभ्यास और ध्यान को दर्शाता है। इस दिन का शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि में होना इसे और भी पवित्र बनाता है।
माँ ब्रह्मचरिणी का आशीर्वाद ले कर कई लोग अपने जीवन में शक्ति, ज्ञान और आत्मविश्वास की प्राप्ति की कामना करते हैं। विशेष रूप से वे जो आध्यात्मिक उन्नति, जीवन की कठिनाइयों पर जीत और मन की शांति चाहते हैं, उन्हें इस दिन अतिरिक्त लाभ मिलता है।

पूजा विधि, अनुष्ठान और विशेष टॉपिक्स
पूजा में लाल रंग का प्रयोग सबसे प्रमुख है; यह रंग प्रेम, ऊर्जा और दिव्य शक्ति को दर्शाता है। मुसलमानों में भी लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- जास्मिन के फूल – माँ को अर्पित करने के लिए सबसे प्रिय।
- चावल और चंदन – कलश में रखकर शुद्धता का प्रतीक।
- अभिषेक के लिए दूध, दही और शहद – यह मिश्रण शरीर व मन को पवित्र करता है।
- विशेष भोग – शर्करा (चीनी) का मिठाई तैयार कर माँ को अर्पित करें।
पूजा की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त (भोर का पहला समय) या अभिजीत मुहूर्त में करना सबसे लाभदायक माना जाता है। इस दौरान chanting, mantra recitation और ध्यान से ऊर्जा का संचार अधिक होता है।
द्वितीय दिवस पर कई लोग शिवजी की पूजा भी साथ में करते हैं, क्योंकि ब्रह्मचरिणी और शिव का गहरा आध्यात्मिक संबंध है। इस मिलन से मन की शुद्धि और जीवन में संतुलन स्थापित होता है।
व्रत के कई रूप अपनाए जाते हैं: कुछ लोग पूरे दिन पानी न पीकर केवल फलाहार लेते हैं, जबकि कुछ लोग केवल एक बार विशेष समय पर अन्न परिष्कृत करते हैं। यह व्रत शरीर को डिटॉक्सिफ़ाई करता है और मन को स्थिर करता है।
राशियों की बात करें तो मेष (Aries) और तुला (Libra) के जातकों को इस दिन विशेष लाभ मिलता है। मेष राशि के लोग अपने भीतर नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे, जिससे करियर में नई उँचाइयों तक पहुँच सकते हैं। तुला राशि वालों को आध्यात्मिक शांति और व्यक्तिगत रिश्तों में सामंजस्य मिलेगा। दोनों राशियों के जातकों को इस दिन लाल वस्त्र पहनने और ब्रह्मचरिणी की अर्चना करने से अतिरिक्त शक्ति प्राप्त होगी।
नवरात्रि के बाद के दिनों में भी इस दो‑दिन के अनुभव को बनाये रखने के लिए रोज़ाना शुद्ध जल, हल्का व्यायाम और सकारात्मक सोच को अपनाना आवश्यक है। ऐसा करने से माँ की दी गई शक्ति और शांति पूरे नवरात्रि के दौरान बने रहती है।