बैड लोन क्या है और इसे कैसे रोकें?
अगर आपका बैंक या फाइनेंस कंपनी आपको लगातार रिचार्ज नहीं कर रही, तो समझिए आप ‘बैड लोन’ की स्थिति में हैं। यानी उधारी पर ब्याज बढ़ता रहता है लेकिन repayment मुश्किल हो जाता है। इस लेख में हम सरल शब्दों में बताएँगे कि यह कब बनता है और कैसे बचा जा सकता है।
बैड लोन बनने के मुख्य कारण
1. **आय में अस्थिरता** – अगर आपकी आय अनियमित या घटती रहती है, तो समय पर EMI देना कठिन हो जाता है.
2. **अधिक उधारी** – कई जगहों से एक साथ कर्ज लेना बिना योजना के आपके भुगतान को भारी बनाता है.
3. **ब्याज दर में अचानक वृद्धि** – फ्लोटिंग रेट वाले लोन में RBI या बाजार की स्थिति बदलने पर ब्याज बढ़ सकता है, जिससे EMI भी बढ़ती है.
4. **खर्चों का अनियंत्रित होना** – बिना बजट के खर्च करने से बचत नहीं रहती और आप कर्ज चुकाने में पीछे रह जाते हैं.
बैड लोन को ठीक करने के व्यावहारिक कदम
• **आय‑व्यय का हिसाब रखें** – हर महीने की आय, खर्च और बकाया EMI लिखें. इससे आप देख पाएँगे कहाँ कटौती कर सकते हैं.
• **लोन रीफ़ाइनेंसिंग** – अगर मौजूदा ब्याज दर बहुत हाई है तो बैंक से कम दर पर नया लोन लेकर पुराने को बंद करें.
• **संरचना बदलें** – EMI में तनाव हो रहा हो तो टेन्योरिटी बढ़ा कर मासिक भुगतान घटा सकते हैं, लेकिन कुल इंटरेस्ट बढ़ेगा. अपने लक्ष्य के अनुसार चुनें.
• **वित्तीय सलाहकार से मिलें** – एक भरोसेमंद एक्सपर्ट आपके कर्ज को क्रमबद्ध करने में मदद करेगा और सही योजना सुझाएगा.
• **अतिरिक्त आय की तलाश** – पार्ट‑टाइम काम, फ्रीलांस प्रोजेक्ट या अपने स्किल का उपयोग करके अतिरिक्त पैसे कमाएँ और उसे पहले EMI पर लगाएँ.
ध्यान रखें, बैड लोन एक बार बन जाए तो इसे तुरंत नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. छोटे-छोटे कदमों से आप धीरे‑धीरे इस बोझ को हल्का कर सकते हैं. नियमित रूप से अपने वित्तीय लक्ष्य की समीक्षा करें और जरूरत पड़े तो पुनः योजना बनाएं। इससे न सिर्फ आपका क्रेडिट स्कोर सुधरेगा, बल्कि भविष्य में नया लोन लेना भी आसान होगा.
अंत में यह याद रखें: बचत ही सबसे बड़ी सुरक्षा है. हर महीने थोड़ी-बहुत राशि अलग रखिए और आप देखेंगे कि बैड लोन से बाहर निकलना इतना कठिन नहीं रहा।
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बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण 93.24% घटकर ₹54.62 करोड़ रहा
बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष में 93.24% की भारी गिरावट के साथ ₹54.62 करोड़ रहा। यह मुख्य रूप से ₹3,852 करोड़ के बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण कुल प्रावधानों में दोगुनी वृद्धि के कारण हुआ।