बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण 93.24% घटकर ₹54.62 करोड़ रहा

बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण 93.24% घटकर ₹54.62 करोड़ रहा
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 17 मई 2024 14 टिप्पणि

बंधन बैंक ने पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 93.24% की भारी सालाना गिरावट दर्ज की है। बैंक का शुद्ध लाभ ₹54.62 करोड़ रहा, जो मुख्य रूप से ₹3,852 करोड़ के बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण कुल प्रावधानों में दोगुनी वृद्धि के कारण हुआ। ये बैड लोन ज्यादातर बैंक के माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट से थे।

बैंक ने इस कदम को अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए 'विवेकपूर्ण और रूढ़िवादी' बताया, साथ ही महामारी के दौरान माइक्रोफाइनेंस व्यवसाय के सामने आई चुनौतियों का हवाला दिया। तिमाही के लिए बैंक के कुल प्रावधान बढ़कर ₹1,774.32 करोड़ हो गए, जो पिछले साल की इसी अवधि में ₹734.77 करोड़ थे।

इसके बावजूद, बैंक की जमा पुस्तिका में सालाना आधार पर 25% की वृद्धि हुई और उसकी कुल ऋण पुस्तिका भी इसी अवधि के दौरान 14% बढ़ी। तिमाही के लिए शुद्ध ब्याज आय (NII) सालाना आधार पर 16% बढ़कर ₹2,866 करोड़ हो गई।

बैंक की एसेट क्वालिटी में भी सुधार

बैंक की एसेट क्वालिटी में भी सुधार हुआ, जिसमें गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) सालाना आधार पर 9.69% घटीं और सकल NPA अनुपात 103 आधार अंकों की गिरावट के साथ 3.84% रहा।

बैंक अपने एमडी और सीईओ, चंद्र शेखर घोष के 9 जुलाई को सेवानिवृत्त होने के साथ प्रबंधन परिवर्तन से गुजरने वाला है। उनके उत्तराधिकारी को ढूंढने के लिए एक खोज समिति का गठन किया गया है।

नई मैनेजमेंट टीम और भविष्य के विकास पर भरोसा

घोष ने नई प्रबंधन टीम और बैंक के भविष्य के विकास पर विश्वास व्यक्त किया, जिसे 'बंधन 2.0' नाम दिया गया है। उन्होंने एक गारंटी योजना के तहत बैंक द्वारा दायर किए गए ऋण दावों पर नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) द्वारा चल रहे ऑडिट से एक सकारात्मक परिणाम की भी उम्मीद जताई।

बंधन बैंक की वित्तीय हाइलाइट्स

वित्तीय मैट्रिक्स Q4 FY23 Q4 FY22 बदलाव (%)
शुद्ध लाभ (₹ करोड़ में) 54.62 806.60 -93.24%
शुद्ध ब्याज आय (₹ करोड़ में) 2,866 2,470 +16%
जमा (₹ करोड़ में) 1,02,283 81,793 +25%
ऋण पुस्तिका (₹ करोड़ में) 99,338 87,054 +14%
सकल NPA (%) 3.84% 4.87% -103 bps

हालांकि बंधन बैंक को चौथी तिमाही में भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन बैंक के प्रमुख वित्तीय मैट्रिक्स जैसे जमा, ऋण पुस्तिका और शुद्ध ब्याज आय में अच्छी वृद्धि देखी गई। बैंक ने तकनीकी राइट-ऑफ के जरिए अपने पोर्टफोलियो की गुणवत्ता बेहतर करने की कोशिश की है।

भविष्य की संभावनाएं

नई मैनेजमेंट टीम के नेतृत्व में 'बंधन 2.0' के रूप में बैंक के भविष्य के विकास की संभावनाएं उज्ज्वल दिखती हैं। NCGTC ऑडिट का सकारात्मक परिणाम भी इसमें मददगार होगा। माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में बैंक की मजबूत उपस्थिति और ग्रामीण इलाकों में इसकी पहुंच भविष्य में विकास के नए अवसर प्रदान कर सकती है।

हालांकि, बंधन बैंक को अपने क्रेडिट मूल्यांकन और जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं को और मजबूत करने पर ध्यान देना होगा ताकि भविष्य में बैड लोन की समस्या से बचा जा सके। कुल मिलाकर, बंधन बैंक लंबी अवधि में विकास की संभावना रखता है, लेकिन अल्पावधि में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

14 टिप्पणि

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    Sreeramana Aithal

    मई 17, 2024 AT 20:22

    बंधु नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि बैड लोन की धूल ने इस बैंक को किस तरह ध्वस्त किया 😡। इतनी बड़ी रकम को तकनीकी रूप से राइट‑ऑफ़ करना सजगता की निशानी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की भूल है। बैंक को अपने ग्रामीण ग्राहकों के साथ दया नहीं, बल्कि सख्त नियमों की जरूरत है। अगर प्रबंधन अपनी विफलताओं को स्वीकार नहीं करेगा तो भविष्य में और भी गंभीर पतन देखना पड़ेगा। 😤

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    Anshul Singhal

    मई 22, 2024 AT 11:29

    बिल्कुल, बंधन बैंक का इस तिमाही में घटा हुआ शुद्ध लाभ एक डरावना आँकड़ा लग सकता है, लेकिन इसे केवल नुकसान के रूप में नहीं देखना चाहिए। वित्तीय आंकड़े अक्सर अल्पावधि की धुंधली छाया होते हैं, जबकि दीर्घकालिक रणनीति का प्रकाश हमेशा सामने रहता है। इस बैंक की जमा वृद्धि 25% तक पहुँच गई है, जो दर्शाता है कि लोगों का भरोसा अभी भी बना हुआ है। एसेट क्वालिटी में सुधार और NPA में कमी यह प्रमाण है कि प्रबंधन ने सही दिशा में कदम बढ़ाए हैं। तकनीकी राइट‑ऑफ को दया नहीं मानना चाहिए, बल्कि इसे एक कठिन लेकिन आवश्यक निर्णय के रूप में देखना चाहिए, जिससे भविष्य में सादे और स्वस्थ पोर्टफोलियो बन सके। माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट की गहरी उपस्थिति ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करती है, और यह सामाजिक दायित्व को भी पूरा करती है। नई मैनेजमेंट टीम का आगमन, "बंधन 2.0" का नाम, एक नई आशा की किरण लाता है, जो नवाचार और ग्राहक‑उन्मुखता को बढ़ावा देगा। चंद्र शेखर घोष के सेवानिवृत्त होने से अनुभवों का संक्रमण हो सकता है, लेकिन यह एक नए दृष्टिकोण के उभरने का भी अवसर है। NCGTC द्वारा ऑडिट का सकारात्मक परिणाम बैंक की विश्वसनीयता को और मज़बूत करेगा। हालाँकि, बैड लोन का इतना बड़ा राइट‑ऑफ यह संकेत देता है कि जोखिम प्रबंधन में कुछ खामियां थीं, जिन्हें अब सुधारा जाना चाहिए। जोखिम नियंत्रण तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग मददगार हो सकता है। इस प्रकार, बैंक का शुद्ध ब्याज आय 16% बढ़ी है, जो इंगित करता है कि मूलभूत व्यापार मॉडल अभी भी लाभदायक है। जमा में 25% की वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि ग्राहक अभी भी बैंक पर भरोसा रख रहे हैं, जो आगे के विकास के लिए एक मजबूत आधार है। ऋण पुस्तिका भी 14% बढ़ी है, जिससे पता चलता है कि बैंक के पास आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त पूँजी है। इस सकारात्मक प्रवृत्ति को जारी रखने के लिए प्रबंधन को निरंतर नवाचार, डिजिटलकरण, और ग्रामीण ग्राहकों की वित्तीय समझ बढ़ाने पर काम करना चाहिए। अंत में, वित्तीय क्षेत्र में स्थायित्व केवल संख्याओं से नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों से भी जुड़ा है; इस संतुलन को समझते हुए बंधन बैंक भविष्य में एक विश्वसनीय संस्थान बन सकता है।

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    DEBAJIT ADHIKARY

    मई 27, 2024 AT 02:36

    बढ़ी हुई जमा और ऋण पुस्तिका के आंकड़े सकारात्मक संकेत हैं, परंतु बैड लोन राइट‑ऑफ का प्रभाव नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। प्रबंधन को जोखिम मूल्यांकन प्रक्रिया को सुदृढ़ करना आवश्यक है। भविष्य में इस प्रकार की हानि को न्यूनतम करने के लिए कड़े अनुक्रमणिकाएँ अपनानी चाहिए।

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    abhay sharma

    मई 31, 2024 AT 17:42

    वाह बंधन बैंक, इतना बड़ा राइट‑ऑफ और फिर भी जोड़‑जोड़ कर बढ़ते जमा, कमाल है

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    Abhishek Sachdeva

    जून 5, 2024 AT 08:49

    ये राइट‑ऑफ सिर्फ नंबरों का जुगाड़ नहीं, बल्कि मैनेजमेंट की अयोग्यता का प्रमाण है। बैड लोन की इतनी बड़ी मात्रा को पहले ही पहचान लेना चाहिए था, लेकिन दलालों को सिर पर हाथ रखकर मौन रहने की आदत है। अब तक की वृद्धि संभावित झूठी लग रही है, क्योंकि वास्तविक लाभ नज़रबंद हो गया। प्रबंधन को तुरंत कठोर पुनरुद्धार योजना अपनानी चाहिए, नहीं तो आगे का भविष्य गहरा अंधेरा होगा। यह संकल्प नहीं, बल्कि जवाबदेही का सवाल है।

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    Janki Mistry

    जून 9, 2024 AT 23:56

    बैंक के प्रोविजन में उछाल, इश्यू रिसॉल्यूशन रेट और इंटर्नल रेटिंग को पुनः समायोजित करता है। मैक्रो‑उपकरणों के साथ एल्गोरिथ्म‑आधारित मॉडेल्स को इंटीग्रेट करना आवश्यक है।

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    Akshay Vats

    जून 14, 2024 AT 15:02

    ये बैंंके को दिक्कत का कारण बेआदबी नहीं, बल्कि उधार लेने वालों की गैरजिम्मेवारी है। यदि कस्टमर सत्यापित करे तो इस तरह के बैड लोन दुबारा नहीं आएंगे। सही सुधार लेनें से ही बंधन 2.0 सफल हो सकेगा। देखो, जिम्मेदारी अपनाओ।

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    Anusree Nair

    जून 19, 2024 AT 06:09

    बँधन बैंक के नए प्रबंधन को बहुत‑बहुत बधाई! ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना न सिर्फ आर्थिक विकास में मदद करेगा, बल्कि सामाजिक स्थिरता भी लाएगा। आशा है कि आगे भी इस सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ता रहेगा।

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    Bhavna Joshi

    जून 23, 2024 AT 21:16

    जैसा कि हम मैक्रो‑इकोनॉमिक ट्रेंड्स को देखते हैं, बैड लोन राइट‑ऑफ को एक स्ट्रैटेजिक री‑कैलिब्रेशन माना जा सकता है, जो एसेट क्वालिटी को पुनः संतुलित करने में सहयोगी है। हालांकि, जोखिम पॉलिसी को डिटेल्ड सेक्टर‑वाइस मॉनिटरिंग के साथ मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की बैड लोन की संभावना घट सके।

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    Ashwini Belliganoor

    जून 28, 2024 AT 12:22

    सही है, यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बैंक ने कठिन निर्णय लिये हैं परंतु यह पर्याप्त नहीं लगते।

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    Hari Kiran

    जुलाई 3, 2024 AT 03:29

    मैं समझता हूँ कि बंधन बैंक को इस चरण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मैं उनके प्रयासों को सराहता हूँ। आशा है कि नई टीम इन समस्याओं को हल कर सकेगी। सभी को शुभकामनाएँ।

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    Hemant R. Joshi

    जुलाई 7, 2024 AT 18:36

    आपने बहुत ही विस्तृत और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जिसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ। वास्तव में, वित्तीय संस्थानों के लिए राइट‑ऑफ को केवल नुकसान नहीं, बल्कि पुनर्स्थापनात्मक प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए। इस प्रक्रिया में एसेट री‑पोर्टफोलियो को साफ़ करने की आवश्यकता होती है, जिससे भविष्य में जोखिम‑समायोजन बेहतर हो सके। साथ ही, डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन को अपनाकर ग्राहक‑सर्विस को सुधारना और डेटा‑एनालिटिक्स के माध्यम से लोन वैलिडेशन को सुदृढ़ करना संभव है। नई मैनेजमेंट टीम को चाहिए कि वह इस अवसर का उपयोग करके जोखिम संरचना को पुनः डिज़ाइन करे, जबकि जमा और लोन वॉल्यूम को संतुलित रखे। इसके साथ ही, बैंकों को एनजीओ और सरकारी योजनाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए, जिससे ग्रामीण स्तर पर वित्तीय साक्षरता में सुधार हो। अंततः, स्थायी विकास को हासिल करने के लिए सतत मूल्य‑निर्धारण और पारदर्शी रिपोर्टिंग आवश्यक हैं। मैं आशा करता हूँ कि बंधन 2.0 इन सिद्धांतों को अपनाकर एक मजबूत एवं विश्वसनीय वित्तीय संस्था बन सकेगा। आपका विस्तृत विश्लेषण इस दिशा में एक प्रेरक मार्गदर्शन का कार्य करेगा।

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    guneet kaur

    जुलाई 12, 2024 AT 09:42

    आपके तीखे शब्दों में कुछ सच्चाई है, लेकिन इस तरह के निरंतर नकारात्मकता से समाधान नहीं निकलेगा। हमें रचनात्मक कदम उठाने चाहिए, न कि केवल आलोचना करने की आदत।

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    PRITAM DEB

    जुलाई 17, 2024 AT 00:49

    नयी टीम को मेरी ओर से शुभकामनाएँ, आशा है कि वे डिजिटल इनोवेशन से बंधन बैंक को आगे ले जाएँगे।

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