यौन उत्पीड़न: पहचानें, रोकें, कार्रवाई करें
हर दिन कई लोग अनजाने में या जानबूझकर यौन उत्पीड़न का सामना करते हैं। यह सिर्फ शारीरिक हमला नहीं, बल्कि शब्दों, इशारों और ऑनलाइन व्यवहार तक भी हो सकता है। अगर आप या आपका कोई परिचित इस समस्या से जूझ रहा है तो सही जानकारी बहुत मददगार होती है।
यौन उत्पीड़न के मुख्य लक्षण क्या हैं?
आमतौर पर यह तब शुरू होता है जब किसी का व्यक्तिगत क्षेत्र अनचाहे तरीकों से छेड़ा जाता है – जैसे अनपेक्षित स्पर्श, अनुचित टिप्पणी, निजी फोटो की मांग या सोशल मीडिया पर लगातार परेशान करना। अगर आप असहज महसूस कर रहे हैं, बार‑बार डर लग रहा है या काम में ध्यान नहीं लग पा रहा तो यह संकेत हो सकते हैं कि आप उत्पीड़न का शिकार हैं।
क़ानूनी अधिकार और रिपोर्ट कैसे करें?
भारत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कई क़ानून मौजूद हैं – जैसे महिला के विरुद्ध हिंसा (विकल्प) अधिनियम, आपराधिक न्याय कोड की धारा 354‑362 आदि। किसी भी घटना को तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन या महिलाओं की हेल्पलाइन (181) पर रिपोर्ट करें। शिकायत लिखते समय तारीख, समय, स्थान और गवाहों का विवरण दें; यह आगे की जांच में काम आता है।
यदि आप नौकरी या शिक्षा संस्थान में उत्पीड़न झेल रहे हैं तो अपने HR या प्रिंसिपल को लिखित रूप में सूचित करें। कई कंपनियों के पास ‘सेक्सुअल हार्मोनाइजेशन पॉलिसी’ होती है, जिससे आंतरिक जांच शुरू हो सकती है।
ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में साक्ष्य बचाना जरूरी है – चैट स्क्रीनशॉट, ई‑मेल या सोशल मीडिया पोस्ट को सुरक्षित रखें और प्लेटफ़ॉर्म की रिपोर्टिंग सुविधा का उपयोग करें। अधिकांश बड़े पोर्टल्स पर ‘हिंसा रोकें’ बटन मौजूद होता है, जो तुरंत सामग्री हटाने में मदद करता है।
सिर्फ क़ानूनी कदम ही नहीं, बल्कि मानसिक समर्थन भी उतना ही जरूरी है। विश्वसनीय दोस्त या परिवार के सदस्य से बात करें, मनोवैज्ञानिक सलाह लें या नज़दीकी NGO की मदद ले सकते हैं। कई NGOs मुफ्त कानूनी सहायता और परामर्श देती हैं – जैसे ‘सेक्सुअल हेज़र्ड प्रोटेक्शन फंड’।
अंत में याद रखें, यौन उत्पीड़न का सामना करना आपका दोष नहीं है। आप सुरक्षित रहने के लिए कदम उठा सकते हैं, और सही मदद मिलने से यह अनुभव आपके जीवन को नयी दिशा दे सकता है। अगर अभी भी संकोच है तो एक छोटी सी कॉल या संदेश से शुरू करें – हर बड़ी लड़ाई छोटे कदमों से ही शुरू होती है।
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मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में सुधार के लिए हेमा समिति की रिपोर्ट जारी: यौन उत्पीड़न और लिंग समानता पर जोर
हेमा समिति की रिपोर्ट मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में सुधार लाने के उद्देश्य से जारी की गई है। रिपोर्ट यौन उत्पीड़न, शोषण और लिंग असमानता की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान के लिए कई सिफारिशें प्रस्तुत करती है। इसमें आंतरिक शिकायत समिति और ग्रेवांस रेड्रेसल सेल की स्थापना पर जोर दिया गया है। केरला हाई कोर्ट ने इन सिफारिशों का समर्थन किया है।