तुलसी विवाह: पौराणिक परंपरा, तिथि, और भारत में इसका महत्व

तुलसी विवाह एक तुलसी विवाह, हिंदू धर्म में तुलसी के वृक्ष का श्रीकृष्ण के साथ वैवाहिक सम्मान का प्रतीकात्मक अनुष्ठान है, जो भारत के घरों और मंदिरों में दिवाली के पहले दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक संकेत है—जहाँ एक पौधा, जो घरों के आँगन में पाया जाता है, उसे भगवान की पत्नी के रूप में सम्मानित किया जाता है। यह विवाह वैष्णव परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ तुलसी को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और श्रीकृष्ण के रूप में विष्णु के साथ उसका संगम भक्ति का अंतिम स्वरूप माना जाता है।

इस परंपरा में तुलसी, एक पवित्र औषधीय पौधा जो हिंदू घरों में आँगन में लगाया जाता है और दैनिक पूजा में शामिल होता है को शादी के लिए सजाया जाता है—कंचन के बर्तन में बैठाया जाता है, लाल चूड़ियाँ पहनाई जाती हैं, और उसके ऊपर चंदन और फूलों की माला चढ़ाई जाती है। इसके सामने एक शामियाना बनाकर श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, जिनके साथ तुलसी का विवाह माना जाता है का मूर्ति या चित्र रखा जाता है, जिसे वर के रूप में लिया जाता है। यह अनुष्ठान अक्टूबर-नवंबर के महीनों में, विशेषकर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होता है, जो दिवाली से ठीक पहले आता है। यह समय तुलसी के फूलों के खिलने और ऋतु के बदलाव के साथ मेल खाता है, जिसे प्रकृति के अनुकूल जीवन का प्रतीक माना जाता है।

इस विवाह का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक भी है। जब एक परिवार तुलसी के विवाह के लिए इकट्ठा होता है, तो यह एक छोटा सा उत्सव बन जाता है—जहाँ बुजुर्ग बच्चों को कहानियाँ सुनाते हैं, महिलाएँ भजन गाती हैं, और घर में शुद्धता और शांति का वातावरण बनता है। यह एक ऐसा रिवाज है जो आधुनिक जीवन की तेज़ गति में भी हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ हमारा संबंध क्या है। आज भी देश के हर कोने में, छोटे गाँव से लेकर बड़े शहरों तक, लाखों घरों में यह अनुष्ठान होता है।

इस विवाह के साथ जुड़े कई प्रसंग हैं—जैसे तुलसी का वैवाहिक जीवन, विष्णु के अवतारों के साथ उसका संबंध, और यह कि इस विवाह के बाद क्यों तुलसी के पत्ते भगवान के चरणों में चढ़ाए जाते हैं। इन सब बातों को लेकर हमारी वेबसाइट पर अलग-अलग लेख उपलब्ध हैं, जो इस परंपरा को उसके इतिहास, धार्मिक महत्व और विभिन्न राज्यों की विशेषताओं के साथ समझाते हैं। चाहे आप इसके तिथि के बारे में जानना चाहते हों, या फिर इसके लिए क्या उपाय करने हैं, यहाँ आपको सब कुछ मिलेगा—सरल हिंदी में, बिना किसी जटिलता के।

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तुलसी विवाह 2025: 2 नवंबर को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जपें ये मंत्र, बन जाएंगे दूर सब बाधाएं
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 1 नवंबर 2025 1 टिप्पणि

तुलसी विवाह 2025: 2 नवंबर को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जपें ये मंत्र, बन जाएंगे दूर सब बाधाएं

तुलसी विवाह 2025 के लिए 2 नवंबर की तिथि घोषित, जब भक्त राधा कृष्ण मंदिर और जेके योग के अनुसार शलिग्राम और तुलसी माता के विवाह का अनुष्ठान करेंगे। मंत्र जप से विष्णु की कृपा पाएं।