फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल: क्या है, क्यों महत्वपूर्ण?

जब आप दवा के परीक्षण की बात सुनते हैं, तो अक्सर फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल, दवा विकास प्रक्रिया का वह चरण है जहाँ सुरक्षा के साथ साथ प्रभावकारिता को बड़े समूह में परखा जाता है. इसे कभी‑कभी दूसरा परीक्षण चरण भी कहा जाता है। इस चरण में क्लिनिकल ट्रायल, विभिन्न चरणों में विभाजित मानव परीक्षणों का सामूहिक रूप है का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है, जबकि दवा विकास, नए उपचार को प्रयोगशाला से बाजार तक ले जाने की पूरी प्रक्रिया में इसका योगदान अनिवार्य है।

फेज 2 ट्रायल का मुख्य लक्ष्य दो चीज़ें हैं: रोगी सुरक्षा डेटा इकट्ठा करना और दवा की प्रभावकारिता की शुरुआती पुष्टि करना। यहाँ पर लगभग 100‑300 रोगियों को शामिल किया जाता है, इसलिए रोगी भर्ती (Recruitment) और डोज़ ऑप्टिमाइज़ेशन दोनों ही बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। दवा की माइक्रोडोज़ से लेकर थैरेप्युटिक डोज़ तक की रेंज को परीक्षण में तय किया जाता है, जिससे अगले फेज़ (फेज 3) के लिए सही खुराक मिल सके। साथ ही, बायोमार्कर और एन्डपॉइंट्स को मापकर यह पता चलता है कि दवा लक्ष्य रोग पर कितना असर डाल रही है। यह चरण अक्सर “सुरक्षा डेटा” और “प्रभावकारिता डेटा” के बीच एक संतुलन स्थापित करने की कोशिश करता है, जिससे नियामक संस्थाएं (Regulatory Approval) को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रमाण मिल सके।

कॉलोनी की तरह दोहराने वाले प्रश्न और हल

क्या फेज 2 में सभी साइड इफ़ेक्ट्स सामने आ जाते हैं? अक्सर नहीं—फेज 1 में मुख्य सुरक्षा संकेत मिले होते हैं, लेकिन फेज 2 में बड़े समूह में दोहराव से दुर्लभ या देर से दिखने वाले प्रभाव सामने आते हैं। इस कारण डेटा मॉनिटरिंग कमेटी (Data Monitoring Committee) लगातार आँकड़ों को देखती है और यदि कोई गंभीर जोखिम दिखता है तो ट्रायल को रोक सकती है। एक और सवाल: फेज 2 की सफलता कितनी मायने रखती है? अधिकांश दवाओं के लिए फेज 2 में 60‑70% सफलता दर देखी गई है, और यही दर अक्सर फेज 3 में प्रवेश करने का गेटकीपर बनती है।

फेज 2 में उपयोग होने वाले प्रोटोकॉल में अक्सर दो प्रकार के डिज़ाइन होते हैं—रेट्रोस्पेक्टिव और प्रॉस्पेक्टिव। रेट्रोस्पेक्टिव में पहले से जमा डेटा का विश्लेषण होता है, जबकि प्रॉस्पेक्टिव में नया डेटा एकत्र किया जाता है। दोनों ही तरीके दवा की “इफ़िकेसी” (’efficacité) को सटीक आंकड़े में बदलते हैं, जो आगे के नियामक दस्तावेज़ों में शामिल होता है।

अगर आप दवा विकास में काम करते हैं या सिर्फ़ स्वास्थ्य समाचार में रूचि रखते हैं, तो फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल का ज्ञान आपको समझाने में मदद करेगा कि क्यों कुछ दवाएँ बाजार में आती हैं और कुछ नहीं। नीचे आप कई लेखों में विभिन्न फेज‑2 ट्रायल के केस स्टडी, सुरक्षा आँकड़े और नियामक चुनौतियों को देखेंगे, जिससे इस जटिल प्रक्रिया की एक सम्पूर्ण तस्वीर मिल सकेगी। अब आगे बढ़ते हैं और देखें कि यह टैग पेज कौन‑से रोचक पोस्ट प्रस्तुत करता है।

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SPARC की SCD-044 फेज‑2 विफलता ने शेयरों को गिरा दिया 20%
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 27 सितंबर 2025 0 टिप्पणि

SPARC की SCD-044 फेज‑2 विफलता ने शेयरों को गिरा दिया 20%

6 जून 2025 को Sun Pharma Advanced Research Company (SPARC) के प्रयोगात्मक ड्रग SCD-044 की फेज‑2 परीक्षण में लक्ष्य नहीं मिलने के कारण शेयरों में 20% की गिरावट आई। इस विफलता ने पैरेंट कंपनी Sun Pharma के स्टॉक्स को भी नीचे खींचा और पिछले साल की दो बड़ी क्लिनिकल निराशाओं को दोहराया। कंपनी ने अब एटोपिक डर्मेटाइटिस के लिए विकास बंद कर दिया, जबकि भविष्य की रणनीति पर पुनर्विचार कर रही है।