नालंदा विश्वविद्याल: इतिहास से वर्तमान तक
क्या आप जानते हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय भारत की सबसे पुरानी शैक्षणिक संस्थाओं में से एक है? लगभग 5वीं सदी ईस्वी में स्थापित इस महाविद्यालय ने विज्ञान, दर्शन और भाषा में अद्भुत योगदान दिया। आज भी इसकी छवि शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा देती है।
प्राचीन नालंदा का शिखर
बौद्ध धर्म के समर्थन से विकसित नालंदा ने हजारों छात्र-छात्राओं को आकर्षित किया था। यहाँ पर भूगोल, गणित और वैदिक विज्ञान पढ़ाए जाते थे। कई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ यहीं लिखे गये। इतिहासकार बताते हैं कि नालंदा की पुस्तकालय में लाखों पांडुलिपियाँ रखी थीं, जो उस समय के ज्ञान का केंद्र थी।
आधुनिक पुनरुद्धार और चुनौतियां
आज सरकार और निजी संस्थानों ने नालंदा को फिर से जीवित करने की कोशिश शुरू कर दी है। नई रिसर्च सेंटर, डिजिटल लाइब्रेरी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इसे विश्व स्तर पर लाया जा रहा है। लेकिन फंडिंग, बुनियादी ढाँचा और विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।
यदि आप नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई या शोध करना चाहते हैं, तो सबसे पहले ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कोर्स और प्रवेश प्रक्रिया देखें। अधिकांश कार्यक्रम अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर चलते हैं, जिससे दूर‑दराज़ क्षेत्रों के छात्रों को भी अवसर मिलता है।
नालंदा की सफलता का मूल कारण था उसका खुले विचारों वाला माहौल। यहाँ विभिन्न धर्म और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग मिलते थे, जिससे ज्ञान का आदान‑प्रदान तेज़ी से होता था। इस भावना को आज भी बरकरार रखना आवश्यक है, तभी नालंदा वास्तव में पुनरुत्थित हो पाएगा।
आपकी सहभागिता भी अहम है—यदि आप नालंदा के लिए दान देना चाहते हैं या स्वयंसेवा करना चाहते हैं, तो वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्पों को देखें। छोटे‑छोटे योगदान मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं।
संक्षेप में कहा जाए तो नालंदा विश्वविद्याल सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि भारत की शैक्षणिक आत्मा का जीवंत प्रतीक है। इसे बचाने और आगे बढ़ाने के लिए हमें सभी को मिलकर काम करना होगा।
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प्रधानमंत्री मोदी आज नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे। यह आयोजन भारत की प्राचीन शिक्षा परंपराओं को पुनर्जीवित करने के प्रयास का हिस्सा है और इसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित 17 साथी देशों के राजदूत शामिल होंगे। नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर और विशाल पुस्तकालय शिक्षा के 21वीं सदी के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।