IMF की कर्ज मंजूरी और भारत का विरोध
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की अगली किस्त जारी कर दी है। यह रकम 'एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी' (EFF) कार्यक्रम के तहत दी गई है, जिसमें अब तक कुल 2 अरब डॉलर पाकिस्तान को मिल चुके हैं। पूरा पैकेज करीब 7 अरब डॉलर का है, जो 39 महीनों में सात हिस्सों में देने की योजना है। यह ताजा कर्ज ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान और भारत के बीच सीमा पर तनाव चरम पर है।
भारत ने IMF के इस कदम का तीखा विरोध किया है। नई दिल्ली ने IMF बोर्ड की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और साफ संदेश दिया कि पाकिस्तान आतंक का संसाधन बना हुआ है। भारतीय पक्ष का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मदद सीमा पार आतंक को खाद-पानी देने जैसी है, जिससे गलत संदेश जाएगा। भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान फंड्स का इस्तेमाल अपनी सैन्य गतिविधियों और ड्रोन हमलों में कर सकता है।
सेना की बढ़ती हलचल के बीच आया IMF का फैसला
हाल ही में, पाकिस्तान के सेना ड्रोन के जरिए जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब में भारतीय शहरों को निशाना बना रहे हैं। खासकर फिरोजपुर में नागरिकों के घायल होने की खबर के बाद भारत ने सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी है। इन हमलों से सीमावर्ती इलाकों में ब्लैकआउट्स, अलर्ट और जवाबी तैयारी जैसी घटनाएं देखने को मिली हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने IMF की मंजूरी को भारत के ‘दबाव की राजनीति’ पर बड़ी जीत के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि IMF की यह सहायता दुनियाभर में पाकिस्तान की आर्थिक सुधार योजनाओं पर भरोसा दिखाती है।
दूसरी तरफ IMF ने भी अपनी शर्तें पाकिस्तान सरकार के सामने रख दी हैं, जिनमें टैक्स स्ट्रक्चर बदलने, ऊर्जा सेक्टर में सुधार और यूटिलिटी दामों को सुसंगत करने जैसे बड़े कदम शामिल हैं। मार्च में दोनों पक्षों के बीच हुई समीक्षा में पाकिस्तान ने कार्बन लेवी लाने और बिजली दरें फिर से तय करने की सहमति दी थी।
रुपये की कीमत लगातार गिर रही है, महंगाई चरम पर है और आम लोगों के लिए ईंधन और बिजली बिल अर्से से बोझ बन चुके हैं। इन संकटों के बावजूद सरकार को उम्मीद है कि IMF की राशि से आर्थिक स्थायित्व लौटेगा। लेकिन भारत जैसे पड़ोसी देश इस पैकेज को लेकर पूरी तरह आशंकित हैं और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से आतंकवाद की फंडिंग पर सख्ती की मांग कर रहे हैं।
Anshul Jha
मई 10, 2025 AT 19:03IMF की मदद से पाकिस्तान फिर बड़े कूदेगा भारत को सतर्क रहना चाहिए
Anurag Sadhya
मई 12, 2025 AT 12:43यह देखना दिलचस्प है कि आर्थिक राहत से भी देश के अंदरूनी तनाव नहीं घटता। हमें सभी पक्षों को समझने की ज़रूरत है। आशा है कि जनता को राहत मिलेगी 😊
Sreeramana Aithal
मई 14, 2025 AT 06:23इसे देखते हुए मैं कहूँगा कि IMF का हाथ देना बस एक साजिश जैसा है-पाकिस्तान को फिर से उकसाने का। यह सब केवल बक्से में धूल घुमाने जैसा है :)
Anshul Singhal
मई 16, 2025 AT 00:03IMF ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का कर्ज जारी किया, जो आर्थिक संकट के बीच में आया है।
यह राशि देश के बाहरी भुगतान और मौद्रिक स्थिरता को कुछ हद तक सुदृढ़ कर सकती है।
लेकिन भारत ने इस कदम को कड़े शब्दों में निंदा की, क्योंकि वह इसे आतंक वित्तपोषण का साधन मानता है।
सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी और भी गहरी हुई है।
पाकिस्तान की सरकार ने इस निधि को बेजोड़ अवसर बताया, जिससे आर्थिक सुधार योजनाएँ तेज़ हो सकें।
IMF की शर्तें भी स्पष्ट हैं, जैसे कर संरचना में बदलाव और ऊर्जा क्षेत्र का पुनर्गठन।
इन सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक क्षमता चाहिए।
दूसरी ओर, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि नई धनराशि से आतंकवादी नेटवर्क को फंड मिल सकता है।
यह चिंता वास्तविक है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में ड्रोन हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
फिर भी, आर्थिक स्थिरता के बिना सामाजिक असंतोष को रोकना मुश्किल हो सकता है।
महंगाई और रुपये के अवमूल्यन ने आम जनता पर बोझ बढ़ा दिया है।
यदि IMF का कर्ज सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो बुनियादी सुविधाओं में सुधार संभव है।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।
आर्थिक सहायता और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाना नीतिनिर्माताओं की बड़ी चुनौती है।
अंत में, यह स्पष्ट है कि मानवीय राहत और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच का संतुलन ही भविष्य का मार्गदर्शक होगा।
DEBAJIT ADHIKARY
मई 17, 2025 AT 17:43IMF द्वारा प्रदान किया गया वित्तीय सहायता पाकिस्तान की मौद्रिक नीति को स्थिर करने में सहायक सिद्ध हो सकता है, परंतु इसके उपयोग में पारदर्शिता अनिवार्य है।
abhay sharma
मई 19, 2025 AT 11:23हाँ हाँ बहुत अच्छा लग रहा है जैसे किसी को कर्ज देकर नतीजा बदल दिया जाये
Abhishek Sachdeva
मई 21, 2025 AT 05:03पाकिस्तान की आर्थिक हालत को देखते हुए यह कर्ज अनिवार्य है लेकिन शर्तों को पालना न हो तो यह एक बोझ बन जाएगा।
Janki Mistry
मई 22, 2025 AT 22:43कर्ज‑पैकेज में EFF क्लॉज और स्ट्रक्चरियल रिफॉर्म एजेंडा शामिल हैं, जिससे फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी की संभावना बढ़ती है।
Akshay Vats
मई 24, 2025 AT 16:23IMF ke fund se Pakistan ki econmy thodi improve ho sakti he par India to har waqt ijtiraaz karta rehta he
Anusree Nair
मई 26, 2025 AT 10:03हम सबको चाहिए कि आर्थिक मदद को रोकने की बजाय संवाद के जरिये क्षेत्रों में शांति स्थापित की जाये, जिससे सभी का भला हो।
Bhavna Joshi
मई 28, 2025 AT 03:43वित्तीय इन्जेक्शन और बीमा‑सेक्टर मॉडेल को इंटीग्रेट करने से मैक्रोइकोनॉमिक वैरिएबिलिटी कम हो सकती है, बशर्ते नियामक फ्रेमवर्क मजबूत हो।
Ashwini Belliganoor
मई 29, 2025 AT 21:23यह लेख थोड़ा लम्बा है और बेवजह की जानकारी पर थामा है
Hari Kiran
मई 31, 2025 AT 15:03सही बात है, लेकिन कभी‑कभी विस्तृत पृष्ठभूमि भी समझने में मदद करती है, फ्रेंड :)
Hemant R. Joshi
जून 2, 2025 AT 08:43IMF के कार्यक्रम में कई चरण होते हैं और प्रत्येक चरण के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। पहला चरण आमतौर पर राजकोषीय अनुशासन पर केंद्रित होता है, जिससे सरकारी खर्चों को नियंत्रित किया जा सके। दूसरा चरण में बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की बात होती है, जैसे बिजली और जल वितरण। इस दौरान ऊर्जा सब्सिडी को क्रमिक रूप से कम किया जाता है ताकि उपभोक्ता मूल्य स्थिर रहें। तीसरा चरण अक्सर वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर ध्यान देता है, जिसमें बैंकिंग रेगुलेशन का आधुनिकरण शामिल है। इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिये प्रशासनिक निरूपण आवश्यक है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास पुनः स्थापित करने के लिये पारदर्शी नीतियाँ अपनानी होंगी। अंततः, यदि ये कदम सही क्रम में और समय पर उठाए जाएँ तो आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समृद्धि दोनों ही संभव हो सकते हैं।
guneet kaur
जून 4, 2025 AT 02:23इसी तरह के कर्ज के बाद हर बार वही पुरानी कहानियां दोहराई जाती हैं, पैसा सिर्फ़ भ्रष्ट नेताओं के हाथों में ही जाता है, साफ़ है.
PRITAM DEB
जून 5, 2025 AT 20:03आइए हम उम्मीद रखें कि कड़ी निगरानी और सार्वजनिक भागीदारी से इस फंड का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।