प्रधानमंत्री मोदी आज नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी आज नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 19 जून 2024 13 टिप्पणि

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था, जो बौद्ध धर्म के अध्ययन और अनुसंधान का केंद्र था। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। नालंदा का नाम संसार के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों में शामिल था और यह दुनिया भर के छात्रों और विद्वानों को आकर्षित करता था। इसकी प्रसिद्धि इतनी थी कि चीन, कोरिया, जापान और अन्य देशों से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे।

नए परिसर की विशेषताएं

2017 में शुरू हुए नए परिसर का निर्माण भारत सरकार के विशेष प्रयासों से संभव हुआ है। इस नए परिसर में आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं और यह विश्व स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिए तैयार है। इस परिसर में एक विशाल पुस्तकालय है जिसमें तीन लाख से अधिक किताबें होंगी। इसके अलावा, यहां छात्रों के लिए अत्याधुनिक कक्षाएं, होस्टल और अन्य सुविधाएं बनाई गई हैं।

समारोह और उपस्थित लोग

आज के उद्घाटन समारोह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत 17 साथी देशों के राजदूत भी शामिल होंगे। यह आयोजन भारत की बौद्ध कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे बौद्ध बहुल देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और लाओस के साथ संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

चीन की प्रतिक्रिया

चीन की प्रतिक्रिया

चीन ने इस आयोजन के प्रति अपनी सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ऐतिहासिक तौर पर चीन और इन बौद्ध बहुल देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, और भारत का यह कदम शांतिपूर्ण बौद्ध कूटनीति को बढ़ावा देने का प्रतीक देखा जा रहा है। इस दौरान अमेरिका के सीनेटरों का एक बड़ा दल दलाई लामा से भी मुलाकात करेगा, जिसे लेकर भी चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

नए नालंदा विश्वविद्यालय की महत्ता

भारत सरकार न केवल नालंदा की प्राचीन प्रतिष्ठा को पुनर्जीवित करना चाहती है, बल्कि इसे 21वीं सदी के एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में भी स्थापित करना चाहती है। नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर तियों के लिए खोले गए दरवाजों के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के विभिन्न आयामों को भी शामिल करेगा।

इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत अपने प्राचीन गौरव को पुनः प्राप्त करने के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा को भी बढ़ावा देना चाहता है। जिस प्रकार प्राचीन नालंदा ने दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित किया था, वैसे ही नई नालंदा विश्वविद्यालय भी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है।

शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी छलांग

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है, बल्कि यह भारत की शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है। इसमें आधुनिक अनुसंधान और अध्ययन के लिए सभी आवश्यक संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही, यह विश्वविद्यालय एशिया और पूरी दुनिया में शिक्षा के नए मापदंड स्थापित करेगा।

भविष्य की योजनाएं

भारत सरकार ने भविष्य में नालंदा विश्वविद्यालय को और भी अधिक विस्तारित करने की योजना बनाई है। यहां पर विभिन्न नये विभाग और अनुसंधान केंद्र खोले जाने की योजना है, जिससे यहां के छात्रों को और भी अधिक अवसर प्रदान किए जा सकें।

समाज में प्रभाव

समाज में प्रभाव

नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार न केवल शिक्षा में बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भी प्रभाव डालेगा। इससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों का जीवनस्तर सुधारने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों और विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।

अंतर्राष्ट्रीय महत्व

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल भारत बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा। इससे भारत की बौद्ध कूटनीति को भी मजबूती मिलेगी, जिससे बौद्ध बहुल देशों के साथ संबंध सुधरेंगे।

13 टिप्पणि

  • Image placeholder

    PANKAJ KUMAR

    जून 19, 2024 AT 20:11

    नालंदा के गौरवशाली इतिहास को फिर से उजागर करना वाकई सरहाना योग्य कदम है। इस नई परिसर से भारत के शैक्षणिक मानचित्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है। छात्रों को विश्वस्तरीय संसाधन मिलेंगे, यह आशा है।

  • Image placeholder

    Anshul Jha

    जून 20, 2024 AT 18:25

    चीन की इस ढेठ प्रतिक्रिया से साफ़ पता चलता है कि वे हमारे बौद्ध कूटनीति को कमजोर करने की कोशिश में हैं। नया नालंदा उनका सामना करने का हथियार बन सकता है। भारत की सांस्कृतिक शक्ति को कोई रोक नहीं सकता

  • Image placeholder

    Anurag Sadhya

    जून 21, 2024 AT 16:38

    नालंदा का पुनरुत्थान हमारे लिए गर्व की बात है 😊 यह छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर देगा। साथ ही यह बौद्ध ज्ञान के प्रसार में मदद करेगा।

  • Image placeholder

    Sreeramana Aithal

    जून 22, 2024 AT 14:51

    सच कहूँ तो चीन की यह बेवकूफ़ी की चाल हमें और अधिक दृढ़ बना देती है। उनका नकारात्मक रवैया केवल हमें आगे बढ़ाने का ईंधन है। ये नई पहल वास्तव में एक झटका है उनके मनोबल के लिए।

  • Image placeholder

    Anshul Singhal

    जून 23, 2024 AT 13:05

    समय के साथ शिक्षा के मानदंड बदलते रहे हैं, पर नालंदा जैसे प्राचीन संस्थान का पुनर्जागरण एक अनोखा मिश्रण लाता है। हमें पारम्परिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना चाहिए, तभी हम वास्तविक प्रगति देख पाएंगे। इस परिसर में स्थापित अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ और डिजिटल लाइब्रेरी छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएँगी। साथ ही, होस्टल सुविधाएँ और सांस्कृतिक केंद्र स्थानीय समुदाय को भी लाभ पहुँचेगा। इस तरह की पहल से बौद्ध धर्म के अध्ययन में नई ऊर्जा आएगी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मजबूत होगा।

  • Image placeholder

    DEBAJIT ADHIKARY

    जून 24, 2024 AT 11:18

    बहुत ही सराहनीय योजना है। इस तरह के निर्माण से स्थानीय रोजगार भी बढ़ेगा। सरकार को इस दिशा में और निवेश करना चाहिए।

  • Image placeholder

    abhay sharma

    जून 25, 2024 AT 09:31

    ओह बताओ फिर, अब नालंदा बन गया हाई‑टेक कैंपस, मानो कोई नया टॉपिक है। अभी तक नहीं देखा इतना शोर।

  • Image placeholder

    Abhishek Sachdeva

    जून 26, 2024 AT 07:45

    तुम्हारी इस व्यंग्यात्मक टिप्पणी से असली मुद्दा छूट रहा है। नई सुविधा से छात्रों को सच्ची मदद मिलेगी और देश की शिक्षा में अंतर आएगा। ये सिर्फ शोर नहीं, बल्कि वास्तविक प्रगति है।

  • Image placeholder

    Janki Mistry

    जून 27, 2024 AT 05:58

    नालंदा की इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड शिक्षा‑पोर्टफोलियो को मजबूती देती है।

  • Image placeholder

    Akshay Vats

    जून 28, 2024 AT 04:11

    बिल्कुल सही। एह नालंदा का नायाब अपडेट है।

  • Image placeholder

    Anusree Nair

    जून 29, 2024 AT 02:25

    पहले तो यह याद दिलाता है कि भारत की शैक्षिक विरासत कितनी समृद्ध रही है।
    आज हम इस विरासत को 21वीं सदी की तकनीकी जरूरतों के साथ संगठित कर रहे हैं।
    नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल पुस्तकालय बल्कि डिजिटल रीसर्च सेंटर भी होगा।
    विदेशी छात्र यहाँ आकर भारतीय बौद्ध साहित्य और दर्शन में गहराई से अध्ययन करेंगे।
    यह पहल भारत के अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक संबंधों को मज़बूत करेगी और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान को बढ़ावा देगी।
    सरकार ने इस परियोजना में पर्याप्त बजट आवंटित किया है, जिससे बुनियादी ढांचे में कुशलता आएगी।
    छात्रों को विश्व स्तरीय प्रयोगशालाओं में प्रयोग करने का मौका मिलेगा, जिससे अनुसंधान की गति बढ़ेगी।
    स्थानिक समुदाय भी इस से लाभान्वित होगा, क्योंकि कई रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
    बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में नए कोर्स और शोध प्रोजेक्ट शुरू होंगे, जो ज्ञान के क्षेत्र को विस्तारित करेंगे।
    इस केंद्र में आयोजित सेमिनार और कार्यशालाएँ युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगी।
    डिजिटल लाइब्रेरी में लाखों ई‑बुक और शोध पत्र उपलब्ध होंगे, जिससे सीखना आसान होगा।
    हॉस्टल सुविधाएँ छात्रों को सुरक्षित और आरामदायक वातावरण प्रदान करेंगे।
    स्थानीय व्यापारी भी इस बड़े influx के साथ आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।
    कुल मिलाकर, यह पहल भारत की शैक्षणिक दिशा को नई उँचाइयों पर ले जाएगी।
    आशा है कि भविष्य में नालंदा विश्व स्तर पर एक प्रमुख शैक्षणिक हब बन जाएगा।

  • Image placeholder

    Bhavna Joshi

    जून 30, 2024 AT 00:38

    आपके विस्तृत विश्लेषण ने इस पहल के संभावित प्रभाव को स्पष्ट किया है। मैं भी मानता हूँ कि यह नालंदा को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा।

  • Image placeholder

    Ashwini Belliganoor

    जून 30, 2024 AT 22:51

    नालंदा का पुनरुद्धार भारत की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करता है

एक टिप्पणी लिखें