ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है? समझिए और सुरक्षित रहिए

शेयर बाजार या वस्तु व्यापार में अक्सर ऐसा शब्द सुनते हैं – ग्रे मार्केट प्रीमियम। अगर आप नए निवेशक हैं तो यह थोड़ा उलझा सकता है, पर असल में यह एक साधारण अवधारणा है। ग्री मार्केट का मतलब वो ट्रेडिंग स्पेस जहाँ नियमों और मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं होता। इसमें खरीदार‑बेचने वाले अक्सर अतिरिक्त कीमत (प्रीमियम) ले लेते हैं क्योंकि जोखिम ज्यादा होता है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम क्यों लगती है?

पहली बात, सुरक्षा की कमी. जब कोई सिक्योरिटी या कॉमोडिटी आधिकारिक एक्सचेंज पर नहीं होती तो ट्रेडर को भरोसा कम रहता है। इसलिए वे एक ‘इन्श्योरेन्स’ जैसी अतिरिक्त रकम ले लेते हैं – वही प्रीमियम। दूसरी, तरलता का मुद्दा. ग्री मार्केट में खरीदार‑बेचने वाले कम होते हैं, तो कीमतें जल्दी नहीं बदलतीं। इस अस्थिरता को भरपाई करने के लिए भी प्रीमियम लगती है. तीसरी, नियामकीय जोखिम. यदि भविष्य में सरकार या नियामक इस मार्केट पर रोक लगा दें, तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है. इसलिए ट्रेडर अपने संभावित नुक्सान को कवर करने के लिये अतिरिक्त चार्ज लेता है.

कैसे पहचानें कि कोई डील ग्री मार्केट प्रीमियम वाले क्षेत्र में है?

1. **ऑफ‑एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म** – अगर शेयर या कॉन्ट्रैक्ट किसी मान्य एक्सचेंज (NSE, BSE) के बाहर ट्रेड हो रहा है, तो प्रीमियम लागू हो सकता है. 2. **अस्पष्ट दस्तावेज़ीकरण** – खरीद‑बिक्री समझौते में कम जानकारी या अस्पष्ट शर्तें अक्सर ग्री मार्केट की निशानी होती हैं. 3. **उच्च कीमत के साथ कम वॉल्यूम** – अगर किसी एसेट का मूल्य बाजार औसत से बहुत अधिक है लेकिन लेन‑देन की संख्या घट रही हो, तो प्रीमियम पर सवाल उठता है. 4. **बिना लाइसेंस वाले ब्रोकर** – अनलाइसेंस्ड ब्रोकर्स अक्सर ग्री मार्केट में काम करते हैं और उच्च फीस लेते हैं.

इन संकेतों को पहचान कर आप खुद को अनावश्यक जोखिम से बचा सकते हैं.

ग्रेसी बाजार प्रीमियम से बचने के उपाय

सही एक्सचेंज चुनें: हमेशा मान्यता प्राप्त NSE, BSE या MCX जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेड करें। यहाँ नियम स्पष्ट और पारदर्शी होते हैं.

ड्यू डिलिजेंस करें: कंपनी के रजिस्ट्रेशन, वित्तीय स्टेटमेंट्स और प्रॉस्पेक्टस को अच्छी तरह पढ़ें. अगर कोई जानकारी छिपी हुई लगती है तो आगे न बढ़ें.

ब्रोकर की विश्वसनीयता जांचें: SEBI द्वारा लाइसेंस प्राप्त ब्रोकर चुनें, उनकी रेटिंग और कस्टमर फीडबैक देख लें.

प्रीमियम को समझें: अगर कीमत में 5‑10% से अधिक अतिरिक्त प्रीमियम जुड़ी है तो सवाल उठेगा. ऐसे ऑफ़र अक्सर “सुरक्षित” दिखते हैं, पर असल में जोखिम बड़ा हो सकता है.

विकल्प देखें: वही एसेट अगर आधिकारिक एक्सचेंज पर उपलब्ध है तो उस विकल्प को चुनें। इससे प्रीमियम नहीं लगेगा और आपका निवेश सुरक्षित रहेगा.

इन सरल कदमों से आप ग्री मार्केट में फँसने की संभावना घटा सकते हैं और अपने पोर्टफ़ोलियो को स्थिर बना सकते हैं.

ग्रेसी मार्केट प्रीमियम का भविष्य

नियामक निकाय इस क्षेत्र पर कड़ा ध्यान दे रहे हैं। 2024‑25 में SEBI ने कई नए दिशानिर्देश जारी किए, जिससे ऑफ‑एक्सचेंज ट्रेडिंग को सीमित किया गया है। इसका मतलब है कि धीरे‑धीरे ग्री मार्केट की जगह मुख्यधारा के एक्सचेंज ले लेंगे और प्रीमियम कम होगा.

फिर भी, छोटी कंपनियां या निचले स्तर के एसेट अभी भी ग्री मार्केट में रह सकते हैं। इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना जरूरी है – हमेशा जानकारी अपडेट रखें, भरोसेमंद स्रोतों से सीखें और बिना समझे कोई डील नहीं करें.

समझदारी से कदम उठाएं, प्रीमियम की जाल से बचें और अपने पैसे को सुरक्षित रास्ते पर लगाएं। आपका निवेश तभी फल देगा जब आप जोखिम को सही तरह से पहचान कर उसका सामना करें।

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Bansal Wire IPO: महत्वपूर्ण विवरण और 65 रुपये के ग्रे मार्केट प्रीमियम
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 2 जुलाई 2024 0 टिप्पणि

Bansal Wire IPO: महत्वपूर्ण विवरण और 65 रुपये के ग्रे मार्केट प्रीमियम

बंसल वायर इंडस्ट्रीज का आईपीओ 23 मार्च 2023 को खुलेगा और 27 मार्च 2023 को बंद होगा। इसका प्राइस बैंड 55-60 रुपये प्रति शेयर रखा गया है। ग्रे मार्केट में इसका प्रीमियम 65 रुपये है। कंपनी का उद्देश्य आईपीओ के माध्यम से 45.5 करोड़ रुपये जुटाना है।