GDP क्या है? समझिए आसान भाषा में
GDP यानी Gross Domestic Product, यानी एक देश की सीमा के अंदर बनाये गये सभी सामान और सेवाओं की कुल कीमत। अगर आप बाजार में रोज़ देखे जाने वाले चीज़ों की कीमतें जोड़ दें, तो वही आपके देश का GDP है। यह आंकड़ा हमें बताता है कि अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ी से बढ़ रही है या गिर रही है।
हर साल सरकार और आर्थिक संस्थान इस नंबर को निकालते हैं, फिर इसे पिछले साल से मिलाते हैं। अगर नंबर बढ़ रहा है, तो आमतौर पर कहा जाता है कि अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है। लेकिन सिर्फ हाई नंबर ही नहीं, बढ़ोत्तरी की दर भी देखनी चाहिए।
GDP कैसे निकाला जाता है?
GDP निकालने के तीन मुख्य तरीके हैं: उत्पादन विधि, आय विधि और व्यय विधि। उत्पादन विधि में हर उद्योग द्वारा बनाए गए अंतिम उत्पाद की कीमतें जोड़ी जाती हैं। आय विधि में सभी लोगों की कमाई—जैसे मजदूरी, किराया, ब्याज—को जोड़ते हैं। व्यय विधि में घरों, व्यापारियों और सरकार की ख़र्च को जोड़ते हैं।
इन तीनों तरीकों से एक ही नंबर मिलना चाहिए, इसलिए अगर कोई असमानता दिखे तो डेटा में गड़बड़ी हो सकती है। भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) और रिज़र्व बैंक ये आँकड़े तैयार करते हैं।
GDP को अक्सर दो रूप में बताया जाता है: नाममात्र (Nominal) और वास्तविक (Real)। नाममात्र में मौजूदा कीमतें का इस्तेमाल होता है, जबकि वास्तविक में महँगाई को हटाकर मूल उत्पादन की ताकत दिखायी जाती है। इसलिए वास्तविक GDP ही विकास का सही आँकड़ा माना जाता है।
GDP का रोज़गार और आपकी जेब पर असर
जब GDP बढ़ता है, तो कंपनियों को नई फैक्ट्री, नई मशीन, और नए कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। इसका मतलब है ज्यादा नौकरी के अवसर और अक्सर बेहतर वेतन। लेकिन अगर GDP केवल कुछ बड़े उद्योगों में बढ़ रहा है, तो आम जनता को सिर्फ़ थोड़ा‑बहुत फायदा ही मिल सकता है।
GDP का असर सीधे आपके खर्चे पर भी पड़ता है। जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो लोग ज्यादा खरीदारी करते हैं, जिससे दुकानों के दाम कभी‑कभी बढ़ सकते हैं। लेकिन अगर बढ़ोतरी तेज़ है, तो सरकार अक्सर आय कर और वस्तु एवं सेवा कर (GST) में समायोजन करती है, जिससे आपकी जेब पर थोड़ा दबाव पड़ सकता है।
निवेश करने वाले लोगों के लिये GDP एक संकेतक है। अगर GDP तेजी से बढ़ रहा है, तो स्टॉक्स और म्यूचुअल फ़ंड के रिटर्न बेहतर हो सकते हैं। लेकिन अचानक गिरावट या मंदी के संकेत मिलने पर उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए।
सारांश में, GDP सिर्फ़ एक संख्या नहीं, बल्कि आपके रोज़मर्रा के जीवन में कई तरह के बदलाव लाता है। चाहे नौकरी मिलना हो, दाम‑दर में बदलाव या आपके पैसे को निवेश करने का फैसला, GDP को समझना बहुत फायदेमंद है।
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GDP 7.8%: जून तिमाही में पांच तिमाहियों की सबसे तेज रफ्तार, अनुमान से आगे
जून तिमाही (Q1 FY26) में भारत की GDP 7.8% रही, जो अनुमानित 6.5% से काफी ऊपर और पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज है। नाममात्र GDP 8.8% रही। सेवाएं 9.3% के साथ सबसे आगे रहीं, निर्माण 7.6% और विनिर्माण 7.7% पर। उपभोग 7% बढ़ा और इसका हिस्सा 60.3% पहुंचा—15 साल में Q1 का उच्चतम। अमेरिकी 50% टैरिफ के बावजूद गति कायम दिखी।