सिक्योरिटीज़ ट्रांज़ैक्शन टैक्स (STT) क्या है?

जब आप शेयर, डेरिवेटिव या डिबेंचर जैसे सिक्योरिटी खरीदते‑बेचते हैं तो सरकार एक छोटा टैक्स लेती है। इसे ही हम सिक्योरिटीज़ ट्रांज़ैक्शन टैक्स (STT) कहते हैं. इस टैक्स का मुख्य उद्देश्य बाजार में ट्रेडिंग को क़ानूनी बनाना और राजस्व बढ़ाना है.

STT की दरें कब और कैसे लागू होती हैं?

STT अलग‑अलग सिक्योरिटी पर अलग-अलग प्रतिशत लेती है:

  • इक्विटीज़ खरीद/बिक्री (इंट्रा‑डेज): 0.025% (सेल) और 0.015% (बाय)
  • इक्विटीज़ डेरिवेटिव (फ़्यूचर/ऑप्शन): 0.01%
  • डेबेंचर: 0.125% (सेल) या 0.05% (बाय)

इन दरों में थोड़ा‑बहुत बदलाव हो सकता है, इसलिए हमेशा अपडेटेड रेट देखना जरूरी है.

STT कैसे बचा सकते हैं?

अगर आप नियमित निवेशक हैं तो कुछ तरीके अपनाकर टैक्स लाइट रख सकते हैं:

  1. लॉन्ग‑टर्म होल्डिंग – 1 साल से अधिक शेयर रखें, तो STT के साथ कैपिटल गेन टैक्स भी कम पड़ता है.
  2. डायरेक्ट प्लान में निवेश – डिस्काउंट ब्रोकर्स या डीमैट अकाउंट का उपयोग करें; इनकी फीस आमतौर पर कम होती है, जिससे कुल खर्च घटता है.
  3. इंडेक्स फंड/ETF – ये अक्सर कम ट्रेडिंग करते हैं, इसलिए STT कम लगता है.

ध्यान रहे, टैक्स बचाने के लिए ट्रांज़ैक्शन को टालना नहीं चाहिए; सही रणनीति अपनाना ज़रूरी है.

STT का आपके रिटर्न पर असर

स्टॉक ट्रेडिंग में हर रुपये की मार्जिन मायने रखती है. अगर आप 1 लाख के शेयर खरीदते हैं और 0.025% STT भरते हैं, तो टैक्स सिर्फ 25 रुपए ही होगा. छोटा लग सकता है, लेकिन बार‑बार ट्रेडिंग करने पर यह रकम जल्दी बढ़ सकती है.

इसीलिए छोटे-छोटे निवेशकों को हर ट्रांज़ैक्शन का हिसाब रखना चाहिए और अपने ब्रोकरेज स्टेटमेंट में STT की डिटेल देखनी चाहिए. इससे आप समझ पाएँगे कि आपका कुल खर्च कितना हो रहा है और क्या बचत के लिए कोई विकल्प बेहतर रहेगा.

अंत में, याद रखें: STT सिर्फ एक छोटा टैक्स है, लेकिन इसका सही प्रबंधन आपके निवेश को ज्यादा लाभदायक बना सकता है. नियमित रूप से रिटर्न की समीक्षा करें, ट्रेडिंग प्लान अपडेट रखें और अपने वित्तीय लक्ष्य के अनुसार टैक्टिकल बदलाव करते रहें.

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Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 31 जुलाई 2024 0 टिप्पणि

Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा

जेरोधा के सह-संस्थापक निथिन कामथ ने हाल ही में F&O बाजार पर SEBI के सुझावों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उनका मानना है कि सरकार द्वारा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) में वृद्धि के बावजूद, SEBI के प्रस्तावों से विकल्प वॉल्यूम पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।