Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा

Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा

सेबी के सुझावों पर नितिन कामथ का दृष्टिकोण

निहिन कामथ, जो भारतीय ब्रोकरेज कंपनी जेरोधा के सह-संस्थापक हैं, उन्होंने हाल ही में फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) बाजार को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा दिए गए सुझावों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। कामथ ने यह साफ किया कि सरकार द्वारा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को बढ़ाए जाने के बाद भी SEBI के सुझावों से ऑप्शन्स वॉल्यूम पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

कामथ का मानना है कि SEBI के ये नियम बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से लाए गए हैं। उन्होंने बताया कि नए नियमों के अनुसार, स्टॉक एक्सचेंजों और मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थान को ऐसे शुल्क लगाने होंगे जो उनके लेबल के साथ मेल खाते हों। यह नियम लागू होने पर दलालों को जो कुल रकम प्राप्त होती है वह बिना किसी अनुचित लाभ के सीधे एक्सचेंजों को चुकानी होगी।

दलालों पर असर

इसके कारण दलालों के पास उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम उत्पन्न करने के लिए कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं रहेगा, जिससे बाजार बनाने वाली गतिविधियों में कमी आ सकती है। इससे ब्रोकिंग इंडस्ट्री की आमदनी में लगभग ₹2,000 करोड़ का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

कामथ ने यह भी जोर देकर कहा कि SEBI का प्रस्तावित नियम, जिसमें ग्राहक के डिमैट खातों में सीधी पेआउट की व्यवस्था शामिल है, ऑपरेशनों को सरल बनाएगा और ग्राहक संपत्तियों की सुरक्षा बढ़ाएगा।

SEBI के प्रस्तावित परिवर्तन

SEBI ने भी क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के लिए यह प्रावधान किया है कि वे दलालों को ऐसे तंत्र प्रदान करें जिससे वे अनेपेड प्रतिभूतियों और मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा के तहत आने वाले वित्त पोषित स्टॉक्स की पहचान कर सकें।

कामथ का मानना है कि भारतीय वित्तीय बाजार पहले से ही ग्राहक संपत्ति की सुरक्षा के मामले में सबसे सुरक्षित बाजारों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि SEBI के सुझावों का F&O वॉल्यूम पर पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा और इससे खुदरा व्यापारियों की भागीदारी में कोई कमी नहीं आएगी।

कामथ के इस दृष्टिकोण के कारण ब्रोकरेज इंडस्ट्री को आगे की संभावनाओं और चुनौतियों को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।

नए नियमों के दीर्घकालिक प्रभाव

नए नियमों के दीर्घकालिक प्रभाव

सेबी के इन नए प्रस्तावित नियमों से दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में काफी चर्चा की जा रही है। विशेष रूप से ऐसे समय में जब सरकार ने भी STT में वृद्धि की है, यह गौर करने योग्य है कि क्या ये परिवर्तन वास्तव में विकल्प वॉल्यूम पर असर डालेंगे या नहीं। इसके अलावा, यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि नया नियम दलालों और निवेशकों को कैसे प्रभावित करेगा।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि नए नियमों से बाजार में निष्पक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे खुदरा निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। हालांकि, इससे दलालों की आमदनी पर कुछ असर पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह सकारात्मक हो सकता है।

आने वाले समय में ये देखना होगा कि SEBI के ये परिवर्तन वास्तविक रूप में बाजार को कैसे प्रभावित करेंगे और इससे भारतीय वित्तीय क्षेत्र में क्या बदलाव आएंगे।