माइक्रोफ़ाइनेंस क्या है? सरल शब्दों में समझिए
आपने ‘माइक्रोफ़ाइनेंस’ नाम सुना होगा, लेकिन इसका मतलब अक्सर स्पष्ट नहीं रहता। असल में यह छोटे‑छोटे व्यवसायियों या जरूरतमंद लोगों को छोटी रकम वाले लोन देने का तरीका है। बैंक की बड़ी शर्तें यहाँ काम नहीं आतीं; इसके बजाय स्थानीय संस्थाएँ, NGOs और कुछ सरकारी योजनाएँ मदद करती हैं।
कैसे काम करता है माइक्रोफ़ाइनेंस?
सबसे पहले आप अपने पास मौजूद छोटे व्यवसाय या आय के स्रोत को बताते हैं। फिर संस्था आपके भरोसे और भुगतान क्षमता की जाँच कर लोन का आकार तय करती है—आमतौर पर 10,000 से लेकर 5 लाख रुपये तक। ब्याज दरें बैंक से थोड़ी अधिक हो सकती हैं, लेकिन प्रक्रिया तेज़ और कागज़ी काम कम होता है। अक्सर समूह में कई लोग मिलकर लोन लेते हैं; अगर एक सदस्य भुगतान नहीं कर पाता तो बाकी सहयोगी मदद करते हैं। इससे डिफॉल्ट कम रहता है।
माइक्रोफ़ाइनेंस के मुख्य फायदे
1. तुरंत उपलब्धता: आवेदन से लेकर पैसा मिलने में कुछ ही दिन लगते हैं।
2. कम दस्तावेज़ीकरण: आधार, पैन और व्यवसाय की बुनियादी जानकारी पर्याप्त होती है।
3. लचीलापन: ऋण का पुनर्भुगतान आप अपनी आय के अनुसार तय कर सकते हैं—साप्ताहिक या मासिक।
इन सुविधाओं के कारण कई ग्रामीण उद्यमी और शहरी स्ट्रीट वेंडर अपने व्यापार को बढ़ा पाए हैं। उदाहरण के तौर पर, एक महिला कढ़ाई वाला ने 20 हजार रुपये का लोन लेकर नया सिलाई मशीन खरीदा और अब महीने में दो गुना कमाई कर रही है।
सरकार भी इस दिशा में कदम उठा रही है। ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’, ‘स्टैंड अप इंडिया’ जैसी योजनाओं में माइक्रोफ़ाइनेंस को प्राथमिकता दी गई है, जिससे ब्याज दरें 7‑9% तक घटाई जा सकी हैं। आप अपने नजदीकी बैंक शाखा या सरकारी पोर्टल से आसानी से आवेदन कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि लोन लेने से पहले भुगतान क्षमता का सही अनुमान लगाएँ और समय पर किस्तें भरना ही सबसे बड़ा फायदा है। देर तक भुगतान करने पर जुर्माना और क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ सकता है, जो आगे के बड़े वित्तीय जरूरतों में बाधा बन सकता है।
समाप्ति नहीं, बल्कि शुरूआत है—छोटे कदम से बड़ी संभावनाएँ खुलती हैं। अगर आप या आपका परिचित माइक्रोफ़ाइनेंस की तलाश में हैं तो आज ही स्थानीय संस्थाओं से संपर्क करें और अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ।
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बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण 93.24% घटकर ₹54.62 करोड़ रहा
बंधन बैंक का चौथी तिमाही का शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष में 93.24% की भारी गिरावट के साथ ₹54.62 करोड़ रहा। यह मुख्य रूप से ₹3,852 करोड़ के बैड लोन के तकनीकी राइट-ऑफ के कारण कुल प्रावधानों में दोगुनी वृद्धि के कारण हुआ।