कैथोलिक चर्च – क्या है और क्यों महत्त्वपूर्ण?
अगर आप सोचते हैं कि कैथोलिक चर्च सिर्फ यूरोप या अमेरिका तक सीमित है, तो फिर से सोचना पड़ेगा। असल में ये धर्म पूरे विश्व में फैला हुआ है और भारत में भी इसका काफी असर है। इस लेख में हम देखेंगे कि यह क्या है, कब शुरू हुआ, और हमारे देश में इसकी मौजूदगी कैसे दिखती है।
कैथोलिक चर्च का मूल परिचय
कैथोलिक शब्द लैटिन "catholic" से आया है जिसका मतलब होता है ‘सभी के लिए’ या ‘विश्वव्यापी’। इसका मुख्यालय वेटिकन सिटी में पोप के पास है, और हर साल लाखों लोग पवित्र स्थान पर आते हैं। प्रमुख मान्यताएँ जैसे त्रित्व (त्रि-एक), बपतिस्मा, संस्कार आदि सभी कैथोलिक सिद्धांतों में शामिल हैं।
भारत में कैथोलिक चर्च की कहानी
इंडिया में पहली बार 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने मिशनरी काम शुरू किया। गोवा, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे स्थानों में कई चर्च बने। आज भारत में लगभग 20 मिलियन कैथोलिक हैं – यह संख्या देश के कुल ईसाई जनसंख्या का बड़ा हिस्सा बनाती है। ये लोग स्कूल, अस्पताल और सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय हैं।
उदाहरण के तौर पर कोलकाता की ‘सेंट जॉन द बॉप’ बिशप कॉलेज या चेन्नई की ‘सेन्त पॉल्स चर्च’ जैसी संस्थाएँ शिक्षा क्षेत्र में मान्यता रखती हैं। इनके माध्यम से कई गरीब बच्चों को पढ़ाई का मौका मिलता है।
धार्मिक तौर पर भी कैथोलिक त्योहार जैसे क्रिसमस, ईस्टर और सेंट फादर्स डे बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन अवसरों पर स्थानीय समुदाय एक साथ आकर प्रार्थना करता है, भोजन बांटता है और सामाजिक कार्य करता है।
अगर आप किसी कैथोलिक समारोह में गए हों, तो आपको ‘मिसा’ (उपासना) सुनाई देगा – जिसमें गीत, पढ़ी हुई बाइबिल की बातें और दान की प्रक्रिया शामिल होती है। यह सभी के लिए खुला होता है, चाहे वे धर्मीय हों या नहीं।
कैथोलिक चर्च का एक खास पहलू उसके सामाजिक कार्य हैं। गरीबों को भोजन देना, बेघर लोगों के लिए आश्रय बनाना और स्वास्थ्य कैंप चलाना इसके नियमित काम में शामिल है। कई बार सरकारी योजनाओं में भी इनके साथ मिलकर काम किया जाता है।
आजकल युवा वर्ग भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर चर्च की बातों को सुन रहा है – यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज और इंस्टाग्राम अकाउंट्स के ज़रिए धार्मिक शिक्षाएँ पहुँचाई जा रही हैं। इससे नई पीढ़ी भी इस धर्म से जुड़ी रह सकती है।
संक्षेप में, कैथोलिक चर्च सिर्फ एक धार्मिक संस्था नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी बड़ा हिस्सा है। भारत में इसकी जड़ें पुरानी लेकिन लगातार बढ़ती जा रही हैं। अगर आप इस बारे में और जानना चाहते हैं तो स्थानीय पैरिश या ऑनलाइन स्रोतों से संपर्क कर सकते हैं।
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पोप फ्रांसिस ने नियुक्त किए 21 नए कार्डिनल, यूक्रेन सहित कई देशों को मिला प्रतिनिधित्व
पोप फ्रांसिस ने 21 नए कार्डिनल्स की नियुक्ति की, जिससे कार्डिनल्स की नस्ल का आकार काफी बढ़ गया। इस कदम के माध्यम से पोप फ्रांसिस ने अपने उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए कार्डिनल्स कॉलेज में निर्णायक प्रभाव डाला है। यूक्रेन के बिशप माईकोला बायचोक, जो ऑस्ट्रेलिया में यूक्रेनी ग्रीक कैथोलिक चर्च के प्रमुख हैं, को यूक्रेन का एकमात्र कार्डिनल नामित किया गया।