भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और इसी कड़ी में वाराणसी सीट पर सबकी नजरें टीकी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो कि वाराणसी से 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं, तीसरी बार अपनी सीट बचाने के लिए चुनावी मैदान में हैं। इस बार विपक्षी INDIA गठबंधन ने उनके खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय को मैदान में उतारा है।
नरेंद्र मोदी ने 2014 में वाराणसी से अपने पहले चुनाव में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 4 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। इसके बाद 2019 में समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को पराजित किया और इस दौरान उन्होंने 63 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। मोदी का वाराणसी से जुड़ाव सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आधार पर भी है, जिसने उन्हें स्थानीय जनता का असीम समर्थन दिलाया है।
2024 के चुनाव में, मोदी का लक्ष्य 5 लाख से भी अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज करना है। यह चुनाव उनके राजनीतिक करियर के महत्वपूर्ण पड़ावों में से एक माना जा रहा है। भाजपा के लिए यह सीट न केवल प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि मोदी की लोकप्रियता का भी प्रतिबिंब है।
विपक्षी INDIA गठबंधन ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को मैदान में उतारा है। राय इससे पहले भी 2014 और 2019 में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, किंतु अब वह विपक्ष के एकजुट समर्थन के साथ मैदान में हैं। उनकी उम्मीदवारी इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना देती है।
चुनाव में मुख्य मुद्दों में विकास कार्यों का कार्यान्वयन, स्थानीय जनसुविधाओं में सुधार, और सांस्कृतिक पहचान को सहेजने के प्रयास शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला दे रहे हैं। वहीं, विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को लेकर प्रश्न उठा रहे हैं।
वाराणसी का चुनाव सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं है; यह भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के प्रभाव का मापदंड भी है। वाराणसी को काशी के नाम से भी जाना जाता है और इसका भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व है। ऐसे में यहां की जनता का प्रतिनिधित्व करना निश्चित रूप से एक बड़ा गौरव है।
इस बार के चुनाव परिणामों पर देशभर की निगाहें टीकी हैं और यह देखना रोचक होगा कि क्या नरेंद्र मोदी एक बार फिर से अपने लोकप्रिय जनाधार को साबित करेंगे, या फिर अजय राय की मेहनत रंग लाएगी। देशवासियों की उम्मीदें और राजनीतिक समीक्षकों के विश्लेषण इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना देते हैं।
आखिरी दौर की प्रचार प्रसार और मतदान का दौर इस बात का संकेत देगा कि वाराणसी की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है। एक ओर नरेंद्र मोदी हैं, जिनकी कार्यशैली और उनके विकास कार्यों के प्रति लोगों में विश्वास है। दूसरी ओर अजय राय हैं, जो अपने जुझारू स्वभाव और जनता के मुद्दों पर उनके कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं। इसलिए, यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा।