F&O बाजार की बुनियादी समझ

अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं तो F&O शब्द सुनते ही थोड़ा घबराते हो सकते हैं. फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स (F&O) वास्तव में दो अलग‑अलग डेरिवेटिव्स होते हैं, जो आपको स्टॉक्स के दामों की भविष्यवाणी पर ट्रेड करने का मौका देते हैं।

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक निश्चित तारीख को तय कीमत पर शेयर या इंडेक्स खरीदने/बेचने का समझौता है. ऑप्शन में दो प्रकार होते हैं – कॉल (खरीद) और पुट (बिक्री). आप सिर्फ प्रीमियम देते हुए अधिकार ले लेते हैं, लेकिन बाध्य नहीं होते। यह छोटा निवेश बड़े लाभ या नुकसान दोनों की संभावना रखता है.

शुरुआती के लिए जरूरी टिप्स

1. मार्जिन समझें: F&O में मार्जिन कम होता है, लेकिन इसका मतलब नहीं कि जोखिम भी कम है। हर दिन मार्केट बदल सकता है, इसलिए अपने पोर्टफोलियो का 10‑15 % से ज्यादा मार्जिन न लगाएँ.

2. स्टॉप‑लॉस सेट करें: कोई भी पोजिशन खोलते समय पहले ही तय कर लें कि किस कीमत पर नुकसान को रोकेंगे. यह भावनाओं से बचाता है और बड़े नुक्सान को सीमित करता है.

3. ट्रेंड का विश्लेषण: टेक्निकल संकेतक जैसे EMA, RSI या MACD की मदद से ट्रेंड पहचानें. अगर बाजार में स्पष्ट दिशा नहीं दिखे तो साइडवे ट्रेडिंग पर विचार करें.

जोखिम प्रबंधन के सरल उपाय

F&O में लेवरेज का प्रयोग अक्सर आकर्षक लगता है, लेकिन इससे नुकसान भी बढ़ता है। नीचे कुछ आसान कदम हैं:

  • अपना निवेश केवल एक सेक्टर तक सीमित न रखें; विविधीकरण से जोखिम घटता है.
  • हर ट्रेड पर अधिकतम 2‑3 % पूंजी ही जोखिम में डालें. इससे कई हानियों के बाद भी आप बचे रहेंगे.
  • मार्केट न्यूज और इकॉनोमिक कैलेंडर को फॉलो करें – महँगी नीति बदलाव या कंपनी की कमाई रिपोर्ट बड़ी चाल चल सकते हैं.

याद रखें, F&O में लाभ अक्सर जल्दी आता है, पर साथ ही नुकसान भी तेज़ी से बढ़ सकता है. इसलिए योजना बनाकर और अनुशासन के साथ ट्रेड करना चाहिए.

अंत में एक बात – यदि आप अभी पूरी तरह भरोसा नहीं कर पाते तो पहले डेमो अकाउंट या छोटे साइज की ट्रेडिंग करके अभ्यास करें. समय के साथ समझ बढ़ेगी और आत्मविश्वास भी.

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Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 31 जुलाई 2024 0 टिप्पणि

Nithin Kamath के अनुसार, SEBI के सुझावों से F&O वॉल्यूम पर असर नहीं पड़ेगा

जेरोधा के सह-संस्थापक निथिन कामथ ने हाल ही में F&O बाजार पर SEBI के सुझावों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उनका मानना है कि सरकार द्वारा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) में वृद्धि के बावजूद, SEBI के प्रस्तावों से विकल्प वॉल्यूम पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।