बॉन्ड इश्यू: आसान समझ के साथ शुरुआत

आपने कभी ‘बॉन्ड इश्यू’ शब्द सुना होगा, लेकिन इसका असली मतलब जानना मुश्किल लग सकता है। चलिए इसे साधारण भाषा में तोड़ते हैं। जब कोई सरकार या बड़ी कंपनी पैसे चाहिए होते हैं, तो वो शेयर नहीं बेचती बल्कि बॉन्ड जारी करती है। इस प्रक्रिया को ही हम ‘बॉन्ड इश्यू’ कहते हैं।

बॉन्ड कैसे काम करता है?

सोचिए आप एक दोस्त से उधार ले रहे हैं और वादा करते हैं कि 5 साल बाद साथ-साथ ब्याज के साथ वापस देंगे। बॉन्ड भी यही करता है, बस यह ‘दोस्त’ सरकार या कंपनी होते हैं। निवेशक (आप) बॉन्ड खरीदते हैं, यानी आप उन्हें पैसे उधार दे देते हैं। बदले में आपको तय समय पर निश्चित दर से ब्याज मिलता रहता है और अंत में मूल धनराशि वापस मिलती है।

बॉन्ड के प्रकार और उनके फायदे-नुकसान

सरकारी बॉन्ड: भारत सरकार या राज्य सरकारें जारी करती हैं। इनका रिस्क सबसे कम माना जाता है, इसलिए ब्याज दर भी थोड़ा कम रहती है। अगर आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं तो सरकारी बॉन्ड पर विचार करें।

कॉरपोरेट बॉन्ड: बड़ी कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं। इन्हें जोखिम के हिसाब से ‘मध्यम’ माना जाता है, इसलिए ब्याज दर सरकारी बॉन्ड से थोड़ी ज़्यादा होती है। अगर आप थोड़ा अधिक रिटर्न चाहते हैं और रिस्क सह सकते हैं तो ये विकल्प अच्छा रहेगा।

ट्रेजरी बिल (T‑Bill):** 1 साल या उससे कम अवधि के लिए जारी होते हैं, जल्दी पैसा चाहिए हो तो उपयोगी।

पर्यायिक बॉन्ड (डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड):** अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आसानी से खरीद सकते हैं, कोई काग़ज़ नहीं, पूरी प्रक्रिया तेज़।

बॉन्ड इश्यू में क्या देखना चाहिए?

1. क्रेडिट रेटिंग: यह बताती है कि बॉन्ड जारीकर्ता कितना भरोसेमंद है। उच्च रेटिंग यानी कम रिस्क।

2. ब्याज दर (कूपन रेट):** जितनी ज्यादा, उतना बेहतर रिटर्न, लेकिन अक्सर इसका मतलब हाई रिस्क भी हो सकता है.

3. मियादी अवधि: लंबी अवधि वाले बॉन्ड में ब्याज अधिक मिल सकता है, पर पैसा लॉक रहता है। छोटी अवधि के लिए T‑Bill या 2-3 साल के बॉन्ड सही होते हैं.

4. टैक्स इम्पैक्ट: कुछ बॉन्ड पर टैक्स छूट मिलती है (जैसे सरकारी बांड), तो कुल रिटर्न को बेहतर समझने के लिए टैक्स का भी ध्यान रखें.

बॉन्ड खरीदने की आसान प्रक्रिया

आजकल आप सीधे बैंक, डिमेट खाते या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे NSE, BSE से बॉन्ड ले सकते हैं। कुछ स्टेप्स:

  • अपना डीमैट खाता खोलें (अगर नहीं है तो)।
  • बैंक या ब्रोकरेज वेबसाइट पर लॉगिन करें।
  • इच्छित बॉन्ड चुनें, मात्रा डालें और ऑर्डर कन्फ़र्म करें।

ध्यान रहे कि कुछ बॉन्ड सिर्फ संस्थागत निवेशकों के लिए होते हैं; व्यक्तिगत निवेशक आमतौर पर सरकारी या बड़े कॉरपोरेट बॉन्ड ले सकते हैं.

क्या बॉन्ड में रिस्क नहीं है?

कोई भी निवेश पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता। अगर जारीकर्ता डिफॉल्ट कर जाए तो आपका पैसा खतरे में पड़ सकता है। इसलिए हमेशा विविधीकरण (डायवर्सिफिकेशन) रखें – एक ही कंपनी के कई बॉन्ड न खरीदें, बल्कि अलग-अलग सेक्टर और गवर्नमेंट बॉन्ड मिलाकर पोर्टफोलियो बनाएं.

संक्षेप में, बॉन्ड इश्यू आपके पैसे को सुरक्षित रूप से बढ़ाने का अच्छा तरीका है, अगर आप सही जानकारी और सावधानी के साथ आगे बढ़ते हैं। अब जब आप समझ गए हैं कि बॉन्ड कैसे काम करता है, तो अपनी निवेश योजना में इसे जोड़ें और समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें।

मई

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IRFC शेयरों में 5% का उछाल: मजबूत Q4 परिणामों और ₹50,000 करोड़ के फंड जुटाने की योजनाओं से बढ़ा निवेशकों का विश्वास
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 21 मई 2024 0 टिप्पणि

IRFC शेयरों में 5% का उछाल: मजबूत Q4 परिणामों और ₹50,000 करोड़ के फंड जुटाने की योजनाओं से बढ़ा निवेशकों का विश्वास

इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) के शेयरों में वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में मजबूत प्रदर्शन और 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना के चलते 5% का उछाल देखा गया। कंपनी ने Q4 में 1,408 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 22% अधिक है।