माक्र्सवादी अनुरा कुमारा डिसानायके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीती, पारंपरिक धड़े को किया खारिज

माक्र्सवादी अनुरा कुमारा डिसानायके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीती, पारंपरिक धड़े को किया खारिज
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 24 सितंबर 2024 19 टिप्पणि

अनुरा कुमारा डिसानायके की ऐतिहासिक जीत

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों में अनुरा कुमारा डिसानायके की जीत ने देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह जीत माक्र्सवादी नेता के लिए एक आदर्श मानी जा रही है, जिन्होंने पारंपरिक दलों की धारा के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ा था। चुनाव आयोग के अनुसार, डिसानायके ने कुल 5,740,179 वोट हासिल करके बड़ी जीत दर्ज की, जबकि उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी सजित प्रेमदासा को 4,530,902 वोट मिले। डिसानायके की जीत से यह जाहिर होता है कि श्रीलंका के लोग पारंपरिक राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर नए नेतृत्व की तलाश में हैं।

प्रो-लेबर और एंटी-एलीट नीतियों की आकर्षकता

प्रो-लेबर और एंटी-एलीट नीतियों की आकर्षकता

डिसानायके ने अपनी प्रो-लेबर और एंटी-एलीट प्लेटफार्म पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ा। विशेष रूप से युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनका यह संदेश कि आम लोगों की आवाज़ सुनी जाएगी और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा, ने उन्हें जनता के करीब ला दिया। जहां एक ओर पारंपरिक दलों ने जनता की उम्मीदों को हाशिये पर रखा, वहीं दूसरी ओर डिसानायके ने लोगों की परेशानियों को महसूस कर उन्हें अपना समर्थन दिया।

विकट आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि

इस चुनाव का महत्व इस कारण भी था कि यह श्रीलंका के इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौरान हुआ। देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था और इस चुनाव ने जनमत को जाहिर करने का एक मंच प्रदान किया। अनुरा कुमारा डिसानायके ने इस विकट स्थिति को समझकर ही अपने चुनावी अभियानों का संचालन किया और जनता की सुनवाई की। वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद पद संभाला था, उनके सुधारात्मक नीतियों के खिलाफ यह चुनाव एक प्रकार का जनमत संग्रह माना जा रहा है।

IMF के साथ पुनर्गठन और चुनौतियां

IMF के साथ पुनर्गठन और चुनौतियां

डिसानायके ने IMF के साथ वर्तमान सरकार के समझौते का पुनर्गठन करने का इरादा जाहिर किया है, ताकि कुछ कठोर कदमों को नरम किया जा सके। वहीं, विक्रमसिंघे ने चेतावनी दी है कि किसी भी तरह के बदलाव देनदारियों के पुनर्नियोजन को कठिन बना सकते हैं और इससे आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है। इस चुनावी प्रक्रिया ने पारंपरिक राजनीतिक तंत्र के खिलाफ जनता की नाराजगी को रेखांकित किया है।

युवाओं का समर्थन

डिसानायके की यह जीत युवाओं के जोरदार समर्थन के बिना मुमकिन नहीं थी। उनकी नीतियों ने युवाओं के दिलों को छू लिया और उन्हें एक नई दिशा दी। जहां पारंपरिक दल असमर्थ रहे, वहां अनुरा कुमारा ने युवाओं को एक नया मार्ग दिखाया।

वर्तमान की आर्थिक चुनौतियां

वर्तमान की आर्थिक चुनौतियां

श्रीलंका में अभी भी कई सारी आर्थिक समस्याएं विद्यमान हैं। अत्यधिक ऋण, उच्च कर दरें, और महंगाई ने जनता की जीवनशैली को प्रभावित किया है। इससे निपटने के लिए डिसानायके को कई कठोर कदम उठाने होंगे। उन्होंने यह कहा है कि आर्थिक संकट के समाधान के लिए वह जनता के साथ मिलकर काम करेंगे और उनकी जरूरतों को प्राथमिकता देंगे।

आगे की राह

आने वाले समय में, अनुरा कुमारा डिसानायके को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें न केवल IMF के साथ समझौते का पुनर्गठन करना होगा, बल्कि देश की आर्थिक विकास को भी सुनिश्चित करना होगा। इस पर विश्व की भी नज़र होगी कि कैसे यह माक्र्सवादी नेता आर्थिक स्थिरता और विकास की नई परिभाषाएँ गढ़ता है।

इस चुनावी नतीजे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि श्रीलंका की जनता अब पुराने राजनीतिक दलों की बजाय नए नेतृत्व में विश्वास जता रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अनुरा कुमारा डिसानायके कैसे इन उम्मीदों को पूरा करते हैं और देश को एक नई दिशा में ले जाते हैं।

19 टिप्पणि

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    PANKAJ KUMAR

    सितंबर 24, 2024 AT 02:07

    अनुरा कुमारा की जीत वास्तव में एक आशाजनक बदलाव का संकेत है। इस तरह के नेतृत्व से आर्थिक सुधार की दिशा में नई ऊर्जा आ सकती है। युवाओं का उत्साह और जनसाधारण का भरोसा दोनों मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाते हैं। हमें अब इन नयी नीतियों को धरातल पर देखना होगा और समर्थन देना चाहिए।

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    Anshul Jha

    सितंबर 24, 2024 AT 03:47

    इसी जीत से हमारे हिंदुस्तान का राजनैतिक वजन बढ़ेगा

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    Anurag Sadhya

    सितंबर 24, 2024 AT 05:27

    अनुरा कुमारा की नीति में वास्तव में जनता की आवाज़ है 😊
    यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचना चाहिए ताकि सबको फायदा हो।

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    Sreeramana Aithal

    सितंबर 24, 2024 AT 07:07

    ये तो बिल्कुल हीरकुंड जैसा हॉट टॉपिक बन गया है! आखिरकार एक ऐसा नेता आया है जो नहीं डरता पारम्परिक दलों के धमाके से। लेकिन याद रहे, आदर्शवाद के पीछे हकीकत की कड़वी दवाएँ भी होंगी। अगर वो IMF के साथ समझौते को फिर से लिखे तो हमारी आर्थिक जंग में नया मोड़ आएगा।

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    Anshul Singhal

    सितंबर 24, 2024 AT 08:47

    श्रीलंका की इस ऐतिहासिक जीत को समझने के लिए हमें बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा। प्रथम, यह राजनीति में वर्ग-आधारित बंधनों को तोड़ता है और एक नई सामाजिक नींव रखता है। द्वितीय, मार्क्सवादी विचारधारा का प्रयोग करके यह दर्शाता है कि विकास सिर्फ आर्थिक नीतियों से नहीं, बल्कि वर्ग संघर्ष से भी जुड़ा है। तृतीय, युवाओं की संलग्नता यह संकेत देती है कि भविष्य का कार्यबल सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देगा। चौथा, IMF के साथ समझौते को पुनः लिखने की इच्छा यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय संप्रभुता को पुनर्स्थापित करना आवश्यक है। पाँचवाँ, यह परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया रहेगी, जिसमें नीति निर्माताओं को निरंतर जनसंवाद बनाए रखना पड़ेगा। छठा, आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि में यह जीत जनता के असंतोष का प्रतिफल है। सातवाँ, नई सरकार को मौद्रिक स्थिरता, विदेशी ऋण पुनर्गठन और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को संतुलित करना होगा। आठवाँ, राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए विविध हितधारकों को शामिल करना अनिवार्य है। नौवाँ, यह जीत एक संकेत है कि पारम्परिक पार्टी संरचनाएँ अब काम नहीं कर रही हैं। दसवाँ, इस नई दिशा में कार्यवाही के दौरान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ग्यारहवाँ, स्थानीय उद्योगों को समर्थन देने के लिए रणनीतिक निवेश की आवश्यकता होगी। बारहवाँ, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार को प्राथमिकता देनी होगी। तेरहवाँ, पर्यावरणीय नीतियों को भी इस विकास योजना में सम्मिलित किया जाना चाहिए। चौदहवाँ, सामाजिक बुराइयों जैसे भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। पंद्रहवाँ, अंत में, इस सबका मूल सार यह है कि जनता की आवाज़ को सुनना ही सफलता की कुंजी है।

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    DEBAJIT ADHIKARY

    सितंबर 24, 2024 AT 10:27

    यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन प्रतीत होता है। हम सभी को इस विकास की दिशा में संयमित विचार रखना चाहिए।

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    abhay sharma

    सितंबर 24, 2024 AT 12:07

    ओह बॉस, क्या बात है यह सदी की सबसे बड़ी खबर है

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    Abhishek Sachdeva

    सितंबर 24, 2024 AT 13:47

    डिसानायके की नीति में जनता की असली आवाज़ है, यह एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन IMF के साथ पुनः बातचीत में सावधानी बरतनी होगी। वास्तविक आर्थिक सुधार तब ही संभव है जब मौद्रिक नीतियों का संतुलन बना रहे।

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    Janki Mistry

    सितंबर 24, 2024 AT 15:27

    वित्तीय स्थिरता और नीति समायोजन के लिए मैक्रोइकॉनॉमिक फ्रेमवर्क आवश्यक है।

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    Akshay Vats

    सितंबर 24, 2024 AT 17:07

    कहो न तो? इशकी दादु....

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    Anusree Nair

    सितंबर 24, 2024 AT 18:47

    श्रीलंका की नई दिशा की आशा हमें भी प्रेरित करती है। इस सकारात्मक ऊर्जा को हम सभी क्षेत्रों में फैलाते रहें।

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    Bhavna Joshi

    सितंबर 24, 2024 AT 20:27

    डिसानायके का मंचन ब्लू-हाउस के मॉडल से दूर, अधिक समावेशी है। हालांकि, नीति कार्यान्वयन में चुनौतियाँ अपरिहार्य होंगी। हमें उनके कदमों का विश्लेषण करके आगे बढ़ना चाहिए।

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    Ashwini Belliganoor

    सितंबर 24, 2024 AT 22:07

    यह समाचार उत्तम है परन्तु वास्तविकता में किस हद तक बदलाव लाएगा, समय बताएगा

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    Hari Kiran

    सितंबर 24, 2024 AT 23:47

    अभी की स्थिति में जनता का भरोसा बनाए रखना अति आवश्यक है। नई सरकार को अपनी नीतियों में पारदर्शिता लानी चाहिए।

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    Hemant R. Joshi

    सितंबर 24, 2024 AT 22:40

    अनुरा कुमारा की जीत पर विस्तृत विश्लेषण करना अत्यावश्यक है क्योंकि यह एक बहु-आयामी घटना है। प्रथम बिंदु यह है कि आर्थिक संकट के समय में जनमानस में जो असंतोष उत्पन्न हुआ, वह एक सामूहिक शक्ति के रूप में उभरा। दूसरा, मार्क्सवादी विचारधारा के तहत वर्ग संघर्ष को प्रमुखता देना न केवल एक विचारात्मक कदम है बल्कि व्यवहारिक भी है, क्योंकि यह नीति निर्माण में सामाजिक न्याय के सिद्धांत को प्रमुखता देता है। तीसरा, युवा वर्ग का सक्रिय समर्थन इस बात का प्रमाण है कि नई पीढ़ी राजनैतिक बदलावों के लिए तैयार है और वे आर्थिक सुधार की दिशा में संवेदनशील हैं। चौथा, IMF के साथ समझौते को पुनः चर्चा करने की इच्छा राष्ट्रीय संप्रभुता की पुनर्स्थापना का संकेत देती है, परन्तु साथ ही इसे सावधानी से संभालना होगा, क्योंकि बाहरी वित्तीय संस्थानों के साथ संतुलन बनाना जटिल है। पाँचवाँ, आर्थिक स्थिरता, ऋण पुनर्गठन और सामाजिक सुरक्षा को एक साथ चलाना एक जटिल समीकरण है, जिसके लिये सामरिक योजना आवश्यक है। छठा, यह परिवर्तन निरंतर प्रक्रिया होगी; इसलिए नीति निर्माताओं को सतत जनसंवाद स्थापित करना चाहिए। सातवाँ, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर निवेश आकर्षित करने एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने में। अंततः, यह सब तभी सफल हो सकता है जब जनता की आवाज़ को वास्तविक शक्ति दी जाए और निर्णय‑लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनी रहे।

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    guneet kaur

    सितंबर 25, 2024 AT 01:27

    यदि नई सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह सब सिर्फ एक शोबाज़ी रहेगी।

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    PRITAM DEB

    सितंबर 25, 2024 AT 03:07

    आइए, इस नई उम्मीद को साथ मिलकर साकार करें। सकारात्मक सोच और ठोस प्रयासों से ही हम आर्थिक चुनौतियों को पार करेंगे।

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    Saurabh Sharma

    सितंबर 25, 2024 AT 04:47

    डिसानायके की नीति में स्ट्रैटेजिक फोकस और इनोवेटिव फ्रेमवर्क दोनों हैं। यदि हम इन पहलुओं को सही ढंग से लागू करें तो सस्टेनेबल ग्रोथ संभव है।

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    Suresh Dahal

    सितंबर 25, 2024 AT 06:27

    नए नेतृत्व से आशा की किरण उभरी है, हमें सहयोगी रहना चाहिए।

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