दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुधवार को सीबीआई ने शराब नीति मामले में गिरफ्तार कर लिया। उन्हें सीबीआई ने राउज एवेन्यू अदालत में विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां सीबीआई ने उनकी हिरासत की मांग की। यह गिरफ्तारी तब हुई जब सीबीआई ने मंगलवार को तिहाड़ जेल में उनके बयान दर्ज किए थे।
सीबीआई का दावा है कि केजरीवाल ने शराब नीति में कथित अनियमितताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एजेंसी के अनुसार, केजरीवाल के अधिकारियों ने इस नीति में कई गड़बड़ियां की, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा। इसी केस में केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले, तिहाड़ जेल में उनसे गहन पूछताछ की गई थी।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके जमानत आदेश पर रोक लगाई थी, जिससे पहले एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें जमानत देने का फैसला किया था। कोर्ट ने यह आदेश देते वक्त मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 45 के तहत आवश्यक शर्तों का पालन नहीं होने की बात कही थी।
गौरतलब है कि केजरीवाल को 21 मार्च से हिरासत में लिया गया है, हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव प्रचार के लिए अस्थाई रूप से रिहा भी किया गया था। जून 21 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका जमानत आदेश रोक दिया था, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी रिहाई का विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अपनी याचिका वापस लेने और नई याचिका दाखिल करने की अनुमति दी है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के ताजा फैसले को चुनौती दी जाएगी।
सीबीआई की गिरफ्तारी और अदालत की कार्रवाइयों ने इस मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला देती है और केजरीवाल की जमानत याचिका पर क्या रुख अपनाती है।
दिल्ली की शराब नीति में बदलाव को लेकर काफी विवाद हुआ है। यह नीति दिल्ली सरकार ने 2020-21 में लागू की थी। आरोप है कि इस नीति के तहत कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई, जिससे खजाने को नुकसान हुआ। विपक्षी पार्टियों ने इस मामले को लेकर कई बार केजरीवाल सरकार को घेरा है और जांच की मांग की थी।
सरकार की इस नई नीति के वजह से कई छोटे दुकानदार और व्यापारी भी प्रभावित हुए। आम आदमी को शराब की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गईं। इसके अलावा, इस नीति के जरिए कथित तौर पर काले धन को सफेद बनाने के प्रयास भी किए गए हैं।
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही राजनीतिक हलचलों में तेजी आ गई। उनके समर्थकों का कहना है कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार अपने एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। वहीं, विपक्षी दल इस गिरफ्तारी को कानून के पालन की दिशा में एक सही कदम मान रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख नेताओं ने भी इस मामले में सरकार के खिलाफ कई बयान दिए हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल को झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। पार्टी ने जनता से भी अपील की है कि वे इस लड़ाई में उनका साथ दें।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस राजनीतिक घटनाक्रम का आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्या जनता इस वजह से आम आदमी पार्टी के प्रति सहानुभूति दिखाएगी या फिर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, यह देखने लायक होगा। इसके साथ ही, यह भी पता चल पाएगा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत मिलने या ना मिलने का असर उनकी राजनीतिक कैरियर पर कितना पड़ता है।
इस मामले में जनता की भी अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि इस गिरफ्तारी से दिल्ली सरकार की शराब नीति में गड़बड़ियां उजागर हो सकेंगी, जबकि कुछ अन्य केजरीवाल का समर्थन करते दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चाओं की बाढ़ आ गई है।
सपोर्टर्स का कहना है कि केजरीवाल ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की है और उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है। वहीं, विरोधियों का कहना है कि ऐसे मामलों में सच्चाई सामने आनी चाहिए और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं, जहां इस मामले की सुनवाई होनी है। केजरीवाल की जमानत याचिका पर क्या निर्णय आता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, सीबीआई द्वारा की जा रही पूछताछ और जांच में आने वाले नए तथ्यों पर भी सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
जो भी हो, इस मामले ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। आगामी दिनों में क्या-क्या घटनाक्रम घटते हैं, यह देखने लायक होगा।