यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) क्या करता है?
ECB यूरोपीय संघ के 19 देशों का मौद्रिक प्रबंधन करने वाला संस्थान है। इसका काम ब्याज दर तय करना, महँगी को कंट्रोल करना और बैंकिंग सिस्टम को स्थिर रखना है। जब भी यूरो की वैल्यू में उतार-चढ़ाव आता है या महँगाई बढ़ती है, ECB कदम उठाता है।
हालिया नीति बदलाव और उनका असर
अक्टूबर 2024 में ECB ने मुख्य पुनर्योजी दर को 0.25% से घटाकर 3.75% कर दिया। इसका कारण था यूरो ज़ोन की आर्थिक गति धीमी होना और ऊर्जा कीमतों में गिरावट। इस कदम से कंपनियों को उधार लेना सस्ता हुआ, इसलिए निवेश बढ़ने का मौका मिला। लेकिन साथ ही यह डॉलर के मुकाबले यूरो को थोड़ा कमजोर भी बना सकता है, जिससे भारत में आयात पर असर पड़ता है।
दूसरी बात, ECB ने बैंकों को लिक्विडिटी सप्लाई बढ़ाने की योजना बताई। इससे यूरोपीय बैंक ज्यादा पैसा उधार दे पाएंगे और बाजार में नकदी का प्रवाह बेहतर होगा। भारतीय कंपनियों के लिए यह अच्छा संकेत है क्योंकि कई बड़ी फर्में यूरोप से कच्चा माल लेती हैं, जिससे उनके खर्चों पर दबाव कम हो सकता है।
ECB की नीतियां भारत को कैसे प्रभावित करती हैं?
जब ECB ब्याज दर घटाता है, तो डॉलर के मुकाबले यूरो कमजोर होता है। इससे भारतीय निर्यातियों को यूरोप में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है क्योंकि उनका प्रोडक्ट सस्ता दिखता है। दूसरी तरफ, आयात की कीमतें भी घट सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा मिल सकता है।
इसी तरह, अगर ECB महँगाई कंट्रोल करने के लिए दर बढ़ाता, तो यूरो मजबूत हो जाता है। तब भारतीय निर्यातियों को चुनौती मिलती है, लेकिन विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है क्योंकि यूरोप में स्थिर अर्थव्यवस्था दिखती है। यह प्रवाह भारतीय शेयर मार्केट पर भी असर डाल सकता है, खासकर उन कंपनियों के जो यूरोपीय बाजार में काम करती हैं।
साथ ही, ECB की क्वांटिटेटिव इज़िंग (QE) जैसी नीतियां वैश्विक लिक्विडिटी को प्रभावित करती हैं। जब यूरोप में पैसा ज्यादा उपलब्ध होता है, तो ग्लोबल बैंकों से उधारी आसान होती है और भारत जैसे विकासशील देशों को भी सस्ते ऋण मिलने की संभावना बढ़ती है।
समाप्ति में, ECB के निर्णय सिर्फ यूरोप तक सीमित नहीं रहते; उनका असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार, मुद्रा बाजार और यहां तक कि भारतीय उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ता है। इसलिए जब आप वित्तीय खबरें पढ़ते हैं, तो हमेशा देखें कि यूरोपीय सेंट्रल बैंकर ने क्या कहा और उसका आपके रोज़मर्रा के खर्चों पर क्या असर हो सकता है।
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आज का शेयर बाजार: नैस्डैक और एस एंड पी 500 में इजाफा
18 जुलाई, 2024 को शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखा गया, जिसमें नैस्डैक और एस एंड पी 500 इंडेक्स में इजाफा हुआ। यूरोपियन सेंट्रल बैंक के ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने के फैसले ने यूरोपीय शेयरों में वृद्धि को समर्थन दिया। डोमिनोज पिज्जा ने मुनाफे में 30% वृद्धि की सूचना दी लेकिन उन्होंने संभावित नये स्टोर खुलने के मामले में चेताया। ब्लैकस्टोन के मुनाफे में कमी आई।