टैक्स डेडलाइन – 2025 की कर फाइलिंग गाइड
जब टैक्स डेडलाइन वित्तीय वर्ष के भीतर करदाता को अपना टैक्स रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि. Also known as कर डेडलाइन, यह समय‑सीमा न केवल आयकर बल्कि GST और अन्य अप्रत्यक्ष करों को भी कवर करती है। सही समय‑सारणी जानने से आपको पेनाल्टी और आधे‑साल के दंड से बचाव मिलता है, साथ ही वित्तीय योजना में स्थिरता आती है। नीचे हम प्रमुख संबंधित इकाइयों को विस्तार से देखें‑
पहला मुख्य इकाई आयकर व्यक्तियों और कंपनियों पर लगने वाला सीधे‑सिद्ध कर है। आयकर की डेडलाइन आमतौर पर वित्तीय वर्ष के बाद के 31 जुलाई को होती है, लेकिन अगर आप बही‑खाते का ऑडिट करवाते हैं तो यह 30 सितंबर तक बढ़ सकती है। 2025 में आयकर फाइलिंग के दो बिंदु खास हैं: (1) फ्रीसमान दोनों के लिए 31 जुलाई, (2) ऑडिटेड लाब के लिए 30 सितंबर। इन तिथियों को मिस करने पर अतिरिक्त 1% पेनाल्टी और ब्याज लागू होता है, इसलिए इंटर्नल कैलेंडर में इन्हें हाईलाइट करना जरूरी है।
दूसरी प्रमुख इकाई GST वस्तु एवं सेवा कर, जो व्यापारिक लेन‑देन पर लगता है है। GST की डेडलाइन फिफ्थ‑डेज़ (ग्लोबल और स्टेट) पर बेस्ड होती है। उदाहरण के लिए, प्रतिमहीन टी‑आधारित रिटर्न (GSTR‑3B) को प्रत्येक महीने के 20 तारीख तक फाइल करना होता है; यदि 20 तारीख शनिवार‑रविवार या सार्वजनिक छुट्टी हो तो अगली कार्यदिवस तक विस्तार मिलता है। 2025 में कुछ विशेष क्वार्टरली रिटर्न की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है, इसलिए छोटे व्यापारियों को इन तिथियों के लिए अलार्म सेट रखने चाहिए। चूंकि GST जुड़ाव का प्रतिशत अक्सर बिक्री के साथ बदलता है, इसलिए रोटेशनल रिव्यू और रियल‑टाइम इनवॉइसिंग जरूरी हो जाती है।
तीसरी कड़ी वित्तीय वर्ष भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि, जिसमें सभी कर संबंधी गणना होती है है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद दो मुख्य डेडलाइन आती हैं: आयकर रिटर्न की और कॉर्पोरेट टैक्स फाइलिंग की। 2025 में कंपनियों को 30 सितंबर तक स्वतंत्र ऑडिटेड फॉर्म 26AS अपलोड करना अनिवार्य है, जबकि छोटे व्यवसायों को 31 जुलाई तक अपना फॉर्म 3B जमा करना चाहिए। इस अवधि के भीतर टैक्स प्लानिंग करना लाभदायक होता है; आप अपने निवेश, हाउस प्रॉपर्टी की डिप्रिसिएशन, और बीमा प्रीमियम को व्यवस्थित कर कम आयकर का लाभ ले सकते हैं।
पेनाल्टी से बचने के लिए टैक्स प्लानिंग सिर्फ डेडलाइन याद रखने से नहीं, बल्कि समय पर दस्तावेज़ों की तैयारी से जुड़ी है। अगर रिटर्न देर से जमा होता है तो 1% की पेनाल्टी के साथ साथ ब्याज भी लग सकता है, जो सालाना 18% तक बढ़ सकता है। कई बार टैक्स कंसल्टेंट्स की सलाह से आप एक्सपायरी‑डेडलाइन से पहले अपना टैक्स डॉक्यूमेंट तैयार कर सकते हैं, जिससे अंतिम क्षण के तनाव से बचा जा सके। इसके अलावा, आयकर विभाग ने ई‑फाइलिंग पोर्टल का उपयोग आसान बना दिया है; आप अपने प्री‑फिल्ड फॉर्म को सीधे निर्यात कर सकते हैं और डिजिटल सिग्नेचर के साथ तुरंत सबमिट कर सकते हैं।
डिजिटलीकरण ने टैक्स डेडलाइन के प्रबंधन को और सरल बनाया है। इ‑फाइलिंग सिस्टम, UPI‑आधारित टैक्स पेमेंट, और मोबाइल एप्प्स से रीयल‑टाइम नोटिफिकेशन अब उपलब्ध हैं। इन टूल्स को अपनाने से आप न केवल फाइलिंग के समय घटा सकते हैं, बल्कि टैक्स रिव्यू के दौरान किसी भी विसंगति को तुरंत पकड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका GST इनवॉइस डुप्लिकेट है, तो प्लेटफ़ॉर्म आपको अलर्ट देगा, जिससे आप समय पर संशोधन कर सकेंगे। इसी तरह, आयकर पोर्टल पर “Pre‑Check” फीचर आपके आय विवरण को स्वचालित रूप से गणना करके संभावित टैक्स कटौती दिखाता है।
इन सब बिंदुओं को समझते हुए, आप अब तैयार हैं कि 2025 की टैक्स डेडलाइन को बिना किसी परेशानी के पार कर सकें। अगले सेक्शन में हमने सबसे प्रासंगिक लेख, सरकारी अपडेट, और विशेषज्ञ टिप्स को इकट्ठा किया है—जिन्हें पढ़कर आप अपनी कर फाइलिंग प्रक्रिया को तेज़, सटीक और पेनाल्टी‑फ़्री बना सकते हैं। अब आगे बढ़िए, और देखें कि कैसे ये जानकारी आपके टैक्स गेम को बदल सकती है।
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ITR दाखिल करना: CBDT ने नई अंतिम तिथि तय की, जुलाई 31 नहीं रहे आखिरी दिन
CBDT ने आयुक्त वर्ष 2025-26 के लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि को जुलाई 31 से बढ़ा कर 16 सितम्बर कर दी। तकनीकी गड़बड़ी के चलते कई बार विस्तार हुआ, अब विभिन्न वर्गों के लिए अलग‑अलग समयसीमा तय की गई है। देर से जमा करने पर सेक्शन 234F और 234A के तहत जुर्माना व ब्याज लगेगा। विभाग 24×7 सहायता प्रदान कर रहा है।