स्वदेशी अभियान – भारत की आत्मनिर्भरता की राह
जब हम स्वदेशी अभियान, देशी सामान और सेवाओं को प्राथमिकता देने की नीति. Also known as आत्मनिर्भर भारत, it देश की आर्थिक शक्ति को बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और विदेशी निर्भरता घटाने में मदद करता है तो पहला सवाल यही बनता है – इस पहल को कौन से मुख्य घटक जोड़ते हैं? सबसे पहले स्थानीय उत्पादन, घर के पास ही बनायीं वस्तुएँ और सेवाएँ को मुख्य आधार माना जाता है। दूसरा प्रमुख स्तम्भ Make in India, विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश और उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। तीसरा, आर्थिक विकास, सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात में वृद्धि से जुड़ा है। इन तीनों से जुड़ी साजिश इस तरह बनती है: स्वदेशी अभियान स्थानीय उत्पादन को बढ़ाता है, स्थानीय उत्पादन आर्थिक विकास को तेज करता है, और आर्थिक विकास राष्ट्रीय समर्थन को मजबूत बनाता है। ये संबंध हमें यह समझाते हैं कि आत्मनिर्भरता सिर्फ नारा नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में एक ठोस योजना है।
स्वदेशी पहल के प्रमुख पहलू
पहला पहलू है ऊर्जा स्वावलंबन – सौर पैनल, पवन टरबीन और बायोमास जैसी तकनीकों से बिजली बनाना। जब घर और उद्योग अपनी ऊर्जा खुद बनाते हैं, तो पेट्रोलियम आयात घटता है और देश की मुद्रा बचती है। दूसरा पहलू है खाद्य सुरक्षा – स्थानीय खेती, जैविक उर्वरक और शोधन प्रक्रिया से खुदरा बाजार में ताज़ा उत्पाद उपलब्ध होते हैं। इससे किसान का मुनाफा बढ़ता है और आयातित अनाज पर निर्भरता कम होती है। तीसरा पहलू है उद्योगिक नवाचार – छोटे‑मध्यम उद्यम (SME) को तकनीकी सहायता और आसान ऋण प्रदान करना। इससे नई नौकरियाँ बनती हैं, जैसे कि टेलीकोम, एग्रीटेक और हेल्थ‑टेक के क्षेत्र में, और ये सब हमारे पोस्ट में दिखे खेल‑वित्त‑सांस्कृतिक सफलता की कहानियों से जुड़ा है।
इन सभी बिंदुओं को समझते हुए आप नीचे दिए गए लेखों में देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों ने स्वदेशी विचार को अपनाया है। क्रिकेट में घरेलू कप, स्टॉक मार्केट में स्थानीय कंपनी की सफलता, आकाशीय घटनाओं में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान – सब एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इस संग्रह में आपको खेल‑वित्त‑सांस्कृतिक खबरें मिलेंगी जो आत्मनिर्भर भारत की विविधता को दिखाती हैं। अब आगे पढ़िए और देखें कि स्वदेशी अभियान ने आपके पसंदीदा क्षेत्र को कैसे नया रंग दिया है।
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