हरियाणा अम्बाला विधानसभा चुनाव परिणाम 2024: अनिल विज बनाम परविंदर पाल पर विशेष लेख

हरियाणा अम्बाला विधानसभा चुनाव परिणाम 2024: अनिल विज बनाम परविंदर पाल पर विशेष लेख

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: अम्बाला कैंट सीट पर चुनाव परिणाम

हरियाणा के राजनीतिक माहौल में 2024 के विधानसभा चुनाव विशेष महत्व रखते हैं। इस चुनाव में अम्बाला कैंट सीट पर खास ध्यान केंद्रित हुआ, जहां से बीजेपी के अनुभवी नेता अनिल विज चुनावी मुकाबले में थे। छह बार विधायक और पूर्व हरियाणा गृह मंत्री के रूप में अपने राजनीतिक करियर में अनेक उपलब्धियाँ हासिल करने वाले विज का सामना कांग्रेस के परविंदर पाल और स्वतंत्र उम्मीदवार चित्रा सरवारा से था। जब शुरुआती रुझानों में अनिल विज पिछड़ते दिखाई दिए, तब कई सवाल उठे, लेकिन अंततः विज ने अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखते हुए 7,248 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।

अनिल विज की राजनीतिक जड़ें और चुनाव प्रचार

अनिल विज हरियाणा में एक अनुभवी राजनीतिक हस्ती हैं। 1990 में अम्बाला कैंट से उप-चुनाव जीतकर उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। तब से, विज ने भारतीय जनता पार्टी में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। इस चुनाव ने उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा और उनकी पार्टी के लिए एक प्रमुख अवसर प्रस्तुत किया। अपने चुनाव प्रचार में, अनिल विज ने 'काम किया है, काम करेंगे' स्लोगन के साथ मतदाताओं के बीच अपनी छवि को काम-केंद्रित नेता के रूप में पेश किया। विज के इस नारे का आशय था कि वह केवल शब्दों पर नहीं, बल्कि काम पर विश्वास करते हैं।

राजनीतिक परिदृश्य और हरियाणा में बीजेपी की स्थिति

पूरे राज्य में, बीजेपी ने अपने प्रभाव को बढ़ाते हुए 46 सीटों पर बढ़त बनाई, जबकि कांग्रेस 37 सीटों पर आगे है। चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, यह रुझान सुबह 10:45 बजे के आसपास के हैं। राज्य में बीजेपी की प्रमुखता साफ दिखाई दे रही है, जिससे पार्टी समर्थकों में उत्साह है। इस चुनावी उत्साह के बावजूद, अनिल विज ने मुख्यमंत्री पद पर दावे का विवादास्पद बयान देकर चर्चा में रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी हरियाणा में सत्ता में आती है, तो वह मुख्यमंत्री पद का दावा करेंगे। पार्टी ने विज के दावे को खारिज कर, नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।

चित्रा सरवारा और परविंदर पाल की चुनौती

अम्बाला कैंट का यह चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गया था। कांग्रेस के परविंदर पाल और स्वतंत्र उम्मीदवार चित्रा सरवारा की चुनौती अनिल विज के लिए कोई साधारण प्रतियोगिता नहीं थी। चित्रा सरवारा ने विज को कड़ी चुनौती दी, परंतु अंततः विज का ही वर्चस्व कायम रहा। चुनाव के दौरान यह सीट स्थानीय राजनीति का केंद्र बन गई थी, जहां मतदाताओं का मत बहुत महत्वपूर्ण था।