हेमा समिति रिपोर्ट से उभरे तीव्र भावनाएँ; महिला आयोग और WCC ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की

हेमा समिति रिपोर्ट से उभरे तीव्र भावनाएँ; महिला आयोग और WCC ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की

हेमा समिति रिपोर्ट से उभरी समाज की तीव्र प्रतिक्रियाएं

हेमा समिति रिपोर्ट ने समाज में गहन प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार और समस्याओं पर केंद्रित इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद, महिला सिनेमा कलेक्टिव (WCC) और राज्य महिला आयोग ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह रिपोर्ट दिसंबर 2019 में प्रस्तुत की गई थी, और इसके पांच साल बाद इसे जारी किया गया है। रिपोर्ट ने व्यापक यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों को उजागर किया है, जिन्हें लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा था।

2017 की घटना और हेमा समिति का गठन

2017 में एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री के साथ हुए यौन हमले के बाद, फिल्म उद्योग में गहरे जड़ जमाए लैंगिक मुद्दों को एक बार फिर से सामने ला दिया गया। इस घटना ने समाज में आक्रोश उत्पन्न किया और इसके परिणामस्वरूप हेमा समिति का गठन किया गया। यह समिति इन मुद्दों की जांच और समाधान के लिए बनाई गई थी। समिति की रिपोर्ट में इस बात का भी विवरण है कि किस प्रकार महिलाओं को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है और उन्हें उद्योग से बाहर कर दिया जाता है।

महिला आयोग और WCC की प्रतिक्रियाएं

रिपोर्ट के जारी होने के बाद, राज्य महिला आयोग और WCC ने तुरंत इस पर प्रतिक्रियाएं दीं। महिला आयोग ने सिफारिश की है कि शूटिंग सेटों पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायत निवारण समितियों की स्थापना की जाए, जो पाश (POSH) अधिनियम के तहत हों। इस प्रकार की समितियों के गठन से महिलाओं को उनके कार्यस्थलों पर अधिक सुरक्षित एवं सम्मानजनक वातावरण मिल सकेगा। WCC ने समिति के सदस्यों का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट उनकी लंबे समय से चली आ रही न्याय और सुरक्षित कार्य स्थान पाने की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें और आरोप

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि एक 'संगठित अपराधी गिरोह' फिल्म उद्योग पर नियंत्रण स्थापित किए हुए है, जिसमें निर्माता, निर्देशक और अभिनेता शामिल हैं। इस गिरोह का मुख्य उद्देश्य उन महिलाओं को उद्योग से बाहर करना है जो उनकी मांगों को मानने से इनकार करती हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सत्ता और संसाधनों का दुरुपयोग कैसे किया जा रहा है, जिससे यौन उत्पीड़न और शोषण की घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है।

कड़े कदम उठाने की जरूरत

इस रिपोर्ट के आधार पर, केरल सरकार से आग्रह किया गया है कि वे इसमें दी गई सिफारिशों का अध्ययन करें और उन पर तुरंत कार्रवाई करें। यदि सरकार ने समय पर और कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो इससे ऐसी और भी घटनाओं के होने का खतरा रहेगा, और महिलाएं हमेशा के लिए असुरक्षित महसूस करती रहेंगी। अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, सरकार को इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं को सुरक्षित और समान कार्य वातावरण मिले।

सुरक्षित कार्य स्थान का महत्व

अंततः, यह रिपोर्ट एक बड़ा प्रतिबिंब है कि कैसे कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता को खत्म किया जा सकता है। सरकार, उद्योग और समाज को मिलकर आगे आना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक महिला को उसकी कार्यस्थल पर सम्मान और सुरक्षा मिले। यह केवल कानूनों और नीतियों का मामला नहीं है, बल्कि मानसिकता बदलने का भी है, जिससे हम एक बेहतर और समान समाज का निर्माण कर सकें।