विधानसभा चुनावों से पहले हेमंत सोरेन की JMM ने लिखी वापसी की कहानी

विधानसभा चुनावों से पहले हेमंत सोरेन की JMM ने लिखी वापसी की कहानी

विधानसभा चुनावों से पहले हेमंत सोरेन की नेतृत्व में JMM की ताकत में विस्तार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अपने राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत किया है। सोरेन, जो फरवरी 1 को गिरफ्तार हुए थे और 18वें लोकसभा चुनाव के दौरान पांच महीने की न्यायिक हिरासत में थे, अब पार्टी को एक नई दिशा दे रहे हैं।

जब हेमंत सोरेन जेल में थे, तब उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पार्टी के लिए मोर्चा संभाला। कल्पना ने न केवल JMM का नेतृत्व किया, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक गठबंधन (आईएनडीआईए) के सहयोगियों को भी साथ लाने का काम किया। विशेषकर आदिवासी समुदायों से मिली सहानुभूति ने कल्पना के प्रयासों को और कौशल प्रदान किया।

चुनावी परिणाम और भाजपा की स्थिति

2024 के चुनाव में JMM ने पांच सीटें जीतकर अपनी स्थिति को मजबूत किया। इसकी तुलना में, 2019 में पार्टी ने दो सीटें ही जीती थीं। वहीं भाजपा को तीन सीटों का नुकसान झेलना पड़ा, जो कि उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।

सोरेन की 28 जून को जमानत पर रिहाई के बाद पार्टी की चुनावी संभावनाएं और भी बेहतर हो गईं। JMM ने आदिवासियों में अपनी पकड़ को मजबूत किया, जो कि झारखंड की जनसंख्या का 26.5 प्रतिशत हैं। पार्टी ने 12-सदस्यीय मंत्री मंडल में पांच आदिवासी चेहरों को जगह दी है, जिससे आदिवासी समुदायों में पार्टी का समर्थन और बढ़ गया है।

मुण्डा और हो जनजातियों का समर्थन

JMM को विशेषरूप से छोटानागपुर और कोल्हान क्षेत्रों में मुण्डा और हो जनजातियों का भी समर्थन मिल रहा है। इन समुदायों के समर्थन ने पार्टी को राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत फायदे में रखा है।

भाजपा ने JMM को तोड़ने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन इन सबके बावजूद JMM ने मजबूती से अपना स्थान बनाए रखा। भाजपा के ये प्रयास विफल रहे और पार्टी अपने सामर्थ्य में कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा पाई।

हेमंत सोरेन की नेतृत्व क्षमता

हेमंत सोरेन का नेतृत्व अपने आप में एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की भूमिका ने इसे और भी मजबूती दी। जेल में रहने के बावजूद, सोरेन ने अपने समर्थकों के हौंसले को टूटने नहीं दिया।

आदिवासी समुदायों का समर्थन, जो कि झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, JMM के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इसके साथ ही, विधानसभा चुनावों में पार्टी की प्रदर्शन को देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि JMM ने वापसी की कहानी को सफलता के साथ लिखा है।

आगे की चुनौतियां और संभावनाएं

आने वाले समय में, JMM को कई अहम चुनौतियों का सामना करना होगा। विपक्ष के संगठित प्रयासों के बावजूद, पार्टी को अपनी स्थिति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।

हेमंत सोरेन और उनकी टीम को यह सुनिश्चित करना होगा कि आदिवासी समुदायों का समर्थन हमेशा उनकी पार्टी के साथ बना रहे। इसके लिए उन्हें और ठोस योजनाएं और नीतियां अपमानित करनी होंगी।

विधानसभा चुनावों के परिणाम निश्चित रूप से झारखंड की राजनीति को नई दिशा देंगे। हेमंत सोरेन की JMM ने इसके लिए मजबूत आधार तैयार किया है और अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों में पार्टी कितनी सफलता प्राप्त करती है।