AI प्रतिस्पर्धा: भारत में नई तकनीकी दौड़
आपने सुना होगा कि आजकल हर कंपनी AI के बिना नहीं चल सकती। यही वजह है कि देश भर में startups, बड़ी कंपनियां और सरकार सब एक ही लक्ष्य पर धक्का दे रहे हैं – बेहतर AI समाधान बनाना। तो फिर सवाल ये उठता है: भारत में AI प्रतिस्पर्धा कैसे चल रही है?
स्टार्टअप्स का बूम
पिछले दो सालों में लगभग 500 नई AI स्टार्टअप्स ने फंडिंग ली है। इनमें से बहुत सारी कंपनियां हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर और फ़िनटेक जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर एक दिल्ली‑आधारित कंपनी ‘HealthAI’ ने रोग पहचान में 95% सटीकता वाला मॉडल लॉन्च किया है, जबकि ‘AgriSense’ किसान को मौसम की भविष्यवाणी और फसल रोगों का पता लगाने वाली ऐप देती है। इन स्टार्टअप्स को वेंचर कैपिटलिस्ट काफी आकर्षित कर रहे हैं क्योंकि AI के साथ स्केलेबिलिटी आसान हो जाती है।
सरकारी पहल और नीतियां
भारत सरकार ने ‘National AI Strategy’ जारी किया है, जिसमें 2025 तक AI इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए ₹10,000 करोड़ का बजट तय किया गया है। इस फंड से मुख्यतः शोध संस्थानों, प्रशिक्षण केंद्रों और डेटा सेंटरों की स्थापना होगी। साथ ही NITI Aayog ने ‘AI for All’ कार्यक्रम शुरू किया ताकि छोटे व्यवसाय भी AI टूल्स अपनाकर अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें। इन पहलों का सीधा असर स्टार्टअप इकोसिस्टम पर पड़ रहा है – अधिक डेटा, बेहतर बुनियादी ढांचा और आसान नियामकीय प्रक्रिया ने नवाचार को तेज़ कर दिया है।
एक दिलचस्प बात यह भी है कि कई बड़े कंपनियों ने भारत में AI लैब्स स्थापित की हैं। Google, Microsoft और Amazon जैसी मल्टीनेशनल फर्में स्थानीय टैलेंट को स्काउट करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाती हैं। इससे भारतीय इंजीनियर्स को अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुभव मिलता है और साथ ही देश की तकनीकी शक्ति भी बढ़ती है।
कौनसे अवसर उभर रहे हैं?
यदि आप AI में करियर या बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो यहाँ कुछ संभावनाएं हैं:
- डेटा एनोटेशन सेवाएँ – बड़े मॉडल ट्रेनिंग के लिए डेटा की जरूरत है। छोटे स्तर पर लेबलिंग काम जल्दी से स्केलेबल हो सकता है।
- AI‑अधारित कस्टमर सपोर्ट – चैटबॉट और वॉइस असिस्टेंट्स को स्थानीय भाषा में विकसित करना अभी भी कम प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है।
- साइबर सुरक्षा समाधान – AI से हमलावरों की पहचान जल्दी हो सकती है, इसलिए इस सेक्टर में निवेश बढ़ रहा है।
इन अवसरों को पकड़ने के लिए आपको सही स्किल सेट चाहिए – मशीन लर्निंग बेसिक्स, Python या R, और क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म (AWS, GCP, Azure) की समझ। कई ऑनलाइन कोर्सेज़ अब हिंदी में भी उपलब्ध हैं, जिससे सीखना आसान हो गया है।
संक्षेप में, AI प्रतिस्पर्धा भारत में सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं रही। स्टार्टअप्स, सरकारी नीतियां और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग ने इस क्षेत्र को एक जीवंत इकोसिस्टम बना दिया है। अगर आप सही दिशा में कदम रखेंगे तो आगे के वर्षों में बढ़ती हुई संभावनाएं आपके इंतजार में हैं।
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गूगल में बड़े पैमाने पर छंटनी: सुंदर पिचाई ने प्रबंधकीय भूमिकाओं में 10% कटौती का किया ऐलान
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कंपनी में महत्वपूर्ण छंटनी की घोषणा की है, जहां 10% प्रबंधकीय भूमिकाएं समाप्त की जाएंगी। यह कदम गूगल की रणनीतिक पुनर्संरचना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दक्षता में सुधार करना है। छंटनी का उद्देश्य एआई-केंद्रित प्रतिस्पर्धियों से निपटना और अधिक कुशल संरचना विकसित करना है।