प्रियंका गांधी: विरोधियों का उत्साह जब विनेश फोगाट ने पेरिस में टॉप सीड युई सुसाकी को हराकर बनाया इतिहास

प्रियंका गांधी: विरोधियों का उत्साह जब विनेश फोगाट ने पेरिस में टॉप सीड युई सुसाकी को हराकर बनाया इतिहास
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 7 अगस्त 2024 10 टिप्पणि

विनेश फोगाट की एतिहासिक जीत

विनेश फोगाट, जो 29 वर्ष की भारतीय पहलवान हैं, ने अपने कुश्ती करियर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। पेरिस 2024 ओलंपिक में उन्होंने जापान की युई सुसाकी को हराया, जो वर्तमान में गोल्ड मेडलिस्ट और चार बार की विश्व चैंपियन हैं। यह जीत केवल खेल की दृष्टि से नहीं बल्कि व्यक्तिगत संघर्ष और संकल्प की भी कहानी है।

फोगाट का संघर्षमय सफर

विनेश फोगाट का सफर कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने न केवल कुश्ती में उत्कृष्टता पाई, बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी कठिनाइयों का सामना किया। पूर्व भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर वे सुर्खियों में आईं। इस प्रकरण ने उन्हें खेल से एक वर्ष की बड़ी दूरी पर साबित किया। जंतर मंतर की सड़कों पर बिताए गए रातों और अपने अधिकारों के लिए किए गए संघर्ष ने उन्हें और भी मजबूत बनाया।

प्रतिभाओं से भरा करियर

हालांकि, विनेश फोगाट ने अपने कुश्ती करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें तीन कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक, दो विश्व चैंपियनशिप्स के कांस्य पदक और एक एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक शामिल हैं। इन पदक के माध्यम से उन्होंने साबित किया है कि वह विश्व की श्रेष्ठ पहलवानों में से एक हैं।

सुसाकी के खिलाफ ऐतिहासिक जीत

पेरिस 2024 ओलंपिक में सुसाकी के खिलाफ हुई जीत को खेल के जानकार और प्रशंसकों ने सराहा है। यह मैच विनेश फोगाट के लिए एक बड़े माइलस्टोन के तरह रहा। युई सुसाकी को हराना न केवल जीत की दृष्टि से बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक बड़ी उपलब्धि है।

विरोधी दलों का उत्साह

फोगाट की इस जीत पर विरोधी दलों ने भी खुशी जाहिर की है। विपक्षी दल कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने इसे विनेश फोगाट की संघर्ष की विजय कहा है। उन्होंने बताया कि फोगाट का संघर्ष उनको और भी विस्तृत ऊचाइयों तक ले जाएगा।

आगामी सेमीफाइनल मुकाबला

अब विनेश फोगाट के सामने अगली चुनौती क्यूबा की गुज़मैन लोपेज़ के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला है। यह मैच भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस जीत के साथ ही विनेश अपने पहले ओलंपिक पदक से बस एक कदम दूर हैं।

विनेश फोगाट की यह जीत और उनकी कहानी हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। यह दिखाती है कि किसी भी बाधा के बावजूद, दृढ़ संकल्प और मेहनत के साथ हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं। आइए, हम सभी उनके इस असाधारण सफर को सलाम करते हैं और उनके सेमीफाइनल मुकाबले में भी सफलता की कामना करते हैं।

10 टिप्पणि

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    Anusree Nair

    अगस्त 7, 2024 AT 00:43

    विनेश फोगाट की जीत सच में भारत के लिए गर्व की बात है।

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    Bhavna Joshi

    अगस्त 18, 2024 AT 11:23

    इस उपलब्धि ने न केवल तकनीकी कौशल को दिखाया, बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी प्रमाण दिया है। इसे देखते हुए हम कहना चाहेंगे कि एथलेटिक परफ़ॉर्मेंस में पोषण और मनोवैज्ञानिक समर्थन को बराबर महत्व देना चाहिए। इस प्रकार की जीतें भविष्य की पीढ़ी को ऊर्जा देती हैं।

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    Ashwini Belliganoor

    अगस्त 29, 2024 AT 22:03

    फोगाट की कहानी दर्शाती है कि व्यक्तिगत संघर्षों को पार करके भी विश्व स्तर पर जीत हासिल की जा सकती है। यह एक सराहनीय उपलब्धि है

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    Hari Kiran

    सितंबर 10, 2024 AT 08:43

    विनेश की जीत से मुझे बहुत प्रेरणा मिली है, खासकर उन युवाओं के लिए जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। हम सभी को उनके साहस का जश्न मनाना चाहिए और उनका समर्थन जारी रखना चाहिए।

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    Hemant R. Joshi

    सितंबर 21, 2024 AT 19:23

    विनेश फोगाट की पेरिस में जीत केवल एक खेल की उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक संघर्षों का प्रतीक है। उनका सफर हमें याद दिलाता है कि व्यक्तिगत कठिनाइयों को पार करके भी महान सफलता हासिल की जा सकती है। भारतीय खेल संस्थानों की कमियों को उजागर करते हुए, इस जीत से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रणालीगत समर्थन की जरूरत है। कई युवा पहलवान अभी भी उचित प्रशिक्षण सुविधाओं और वित्तीय सहायता से वंचित हैं। फोगाट की कहानी यह बताती है कि दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत से बाधाओं को तोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही, उनके द्वारा झेले गए यौन उत्पीड़न के मामले ने खेल जगत में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम और त्वरित जांच प्रणाली आवश्यक है। लेकिन इसका सबसे बड़ा संदेश यह है कि समाज में हाशिए पर रहने वाले लोग भी शीर्ष पर पहुँच सकते हैं। जब एक छोटे शहर की महिला विश्व मंच पर जीतती है, तो यह पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा बन जाता है। हमें उनके जैसे एथलीटों को प्रोमोशन और मान्यता देने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए। सरकार को न केवल पदक जीतने वाले खिलाड़िय़ों को, बल्कि उनके प्रशिक्षण और पुनर्वास में भी निवेश करना चाहिए। यह प्रकार का निवेश भविष्य में और अधिक मीट्स, एथलेटिक्स और कुश्ती प्रतिभाओं को जन्म देगा। साथ ही, मीडिया को भी ऐसी सफल कहानियों को व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए। यह न केवल प्रतिस्पर्धी भावना को बढ़ावा देगा, बल्कि सामाजिक बंधुत्व को भी सशक्त करेगा। अंत में, विनेश फोगाट का उदाहरण यह साबित करता है कि दृढ़ता, आत्मविश्वास और समर्थन मिलकर इतिहास रच सकते हैं। आशा है कि उनका अगला सेमीफाइनल मुकाबला भी इसी जोश और लगन से भरपूर रहेगा।

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    guneet kaur

    अक्तूबर 3, 2024 AT 06:03

    विनेश ने जो साबित किया है वह सिर्फ स्किल नहीं, बल्कि सिस्टम की कमियों को भी उजागर करता है; हमें अब तुरंत परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

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    PRITAM DEB

    अक्तूबर 14, 2024 AT 16:43

    इतनी बड़ी जीत के बाद अगला मुकाबला भी सफल रहेगा, यही मेरी दुआ है।

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    Saurabh Sharma

    अक्तूबर 26, 2024 AT 03:23

    विनेश की प्रेरणा से हम सब को अधिक मेहनत करनी चाहिए और युवा एथलीट्स को समर्थन देना चाहिए।

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    Suresh Dahal

    नवंबर 6, 2024 AT 13:03

    ऐसी उपलब्धियों से राष्ट्रीय खेल नीति में सुधार की आवश्यकता स्पष्ट होती है; हमें त्वरित कदम उठाने चाहिए।

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    Krina Jain

    नवंबर 17, 2024 AT 23:43

    विनेश की जीत हम सबके लिए गर्व की बात है

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