मुंबई में ऑनलाइन ऑर्डर की गई आइसक्रीम में कटा हुआ मानव अंग मिलने का दावा

मुंबई में ऑनलाइन ऑर्डर की गई आइसक्रीम में कटा हुआ मानव अंग मिलने का दावा
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 14 जून 2024 8 टिप्पणि

मुंबई में आइसक्रीम में मिला मानव अंग

मुंबई के मलाड इलाके के निवासी ब्रेंडन फेरेओ के जीवन में हाल ही में एक बेहद विचलित करने वाली घटना घटी। पेशे से डॉक्टर, 26 वर्षीय ब्रेंडन ने युम्मो कंपनी से ऑनलाइन ऑर्डर की गई बटरस्कॉच आइसक्रीम के अंदर एक कटा हुआ मानव अंग पाया। यह अंग एक अंगूठे के समान लग रहा था जिसमें नाखून भी शामिल था। इस चौंकाने वाली घटना ने न केवल ब्रेंडन को हिला कर रख दिया, बल्कि पूरे स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा समुदाय में हड़कंप मचा दिया है।

आइसक्रीम खरीदते समय हुआ हादसा

अपने काम के बीच आराम के लिए ब्रेंडन ने ऑनलाइन आइसक्रीम ऑर्डर की थी। लेकिन मजा लेने के बजाए उन्हें कुछ बेहद डरावना अनुभव हुआ। जैसे ही उन्होंने बटरस्कॉच आइसक्रीम का एक टुकड़ा खाने के लिए लिया, उन्हें एक कठोर और अनियमित आकार का टुकड़ा मिला। शुरू में उन्हें लगा कि यह कुछ और हो सकता है, लेकिन जैसे ही उन्होंने इसे नजदीक से देखा, उनकी नजर नाखून पर पड़ी।

फौरन की गई पुलिस में शिकायत

फौरन की गई पुलिस में शिकायत

ब्रेंडन ने तुरंत पुलिस में संपर्क किया और मलाड पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज करवाई। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रविंद्र आदाने इस मामले की जांच कर रहे हैं। पुलिस ने युम्मो कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 272 (विषाक्त भोजन या पेय अभियोग), धारा 273 (घातक प्रकृति का भोजन या पेय बिक्री) और धारा 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य) के तहत मामला दर्ज किया है।

फोरेंसिक जांच की जा रही है

फोरेंसिक जांच की जा रही है

पुलिस ने तुरंत संदिग्ध अंग को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। इस बात की पुष्टि की जा रही है कि यह अंग किसी मानव शरीर का ही है या नहीं। इस जांच के नतीजे पुलिस के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे, ताकि यह पता चल सके कि यह अंग आइसक्रीम में कैसे और कहां से आया।

कंपनी की प्रतिक्रिया

ब्रेंडन ने घटना के तुरंत बाद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी कंपनी से इस मामले में शिकायत की थी। परंतु उन्हें वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनका कहना है कि इस अनुभव ने उन्हें मानसिक रूप से बेहद प्रभावित किया है और उनके चिकित्सकीय ज्ञान ने उन्हें यह पहचानने में मदद की कि यह वास्तव में एक मानव अंग हो सकता है।

आइसक्रीम निर्माण की जांच

आइसक्रीम निर्माण की जांच

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रविंद्र आदाने ने बताया कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाएगी। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि आइसक्रीम के निर्माण के दौरान ऐसा कैसे हो सकता है। इसके लिए निर्माण स्थल और उत्पादन प्रक्रिया की भी जांच की जाएगी।

खाद्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण विजिलेंस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिरकार, अगर आइसक्रीम जैसी चीज में भी इस तरह की गंभीर चूक हो सकती है, तो अन्य खाद्य उत्पादों की स्थिति क्या होगी? यह घटना एक सख्त निगरानी और तुरंत प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देती है।

प्रभाव और परिणाम

ब्रेंडन का यह अनुभव न केवल व्यक्तिगत रूप से दुखदायी है बल्कि इसने एक व्यापक सामाजिक सवाल को जन्म दिया है। यदि इस मामले में दोषी पाए गए, तो युम्मो कंपनी को न केवल कानूनी परिणाम भुगतने होंगे बल्कि उनकी बाजार विश्वसनीयता भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।

कुल मिलाकर, यह घटना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो आने वाले समय में सभी खाद्य उद्योगों को सतर्क और जिम्मेदार बनाने में मदद कर सकती है।

8 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Anurag Sadhya

    जून 14, 2024 AT 01:23

    ब्रेंडन की कहानी सुनकर दिल बहुत बेचैन हो गया 😔। ऐसे भयानक घटनाओं के बारे में पढ़ना किसी को भी अपनी सुरक्षा का सवाल पूछने पर मजबूर कर देता है। ऑनलाइन ऑर्डर की विश्वसनीयता पर फिर से विचार करना पड़ेगा। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत दुविधा नहीं, बल्कि पूरी खाद्य उद्योग की पारदर्शिता पर भी प्रश्न उठाता है। आशा है कि जांच तेज़ और पारदर्शी होगी, जिससे जनता को भरोसा फिर से मिल सके। यदि ऐसी कोई गड़बड़ी दोबारा नहीं हो, तो यह एक बड़ा कदम होगा। यह भी याद रखने योग्य है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों को अपनी आवाज़ ज़ोर से उठानी चाहिए, ताकि आगे ऐसी अनदेखी न हो। 🙏

  • Image placeholder

    Sreeramana Aithal

    जून 26, 2024 AT 11:20

    यह पूरी तरह से असहनीय है! ऐसे कचरे को बाजार में बेचना कोई सामान्य व्यवसाय नहीं, बल्कि अपराध है :)। युम्मो जैसी बड़ी कंपनी को इस तरह के बेतुकापन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आम जनता को इस बात की पूरी जानकारी मिलनी चाहिए कि उनका भोजन सुरक्षित है या नहीं। अगर यह मामला सिद्ध हो गया, तो ऐसे कूड़े को सख़्त सजा मिलनी चाहिए।

  • Image placeholder

    Anshul Singhal

    जुलाई 8, 2024 AT 17:46

    वास्तव में इस घटनाक्रम को देख कर मन कई प्रश्नों से भर जाता है, लेकिन चलिए इन्हें क्रमवार समझते हैं। सबसे पहले, यह सोचना कि एक अनजान मानव अंग आइसक्रीम में कैसे पहुँचा, एक गहरी प्रणालीगत कमजोरी की ओर संकेत करता है। उत्पादन प्रक्रिया में यदि कोई संदेहास्पद वस्तु मिल जाए तो वह आमतौर पर कठोर नियंत्रणों के तहत तुरंत पकड़ी जाती है। यहाँ ऐसा लगता है कि किसी भी स्तर पर गुणवत्ता जांच में गंभीर चूक हुई। यह चूक न केवल निर्माता की जिम्मेदारी है, बल्कि नियामक संस्थाओं की भी है। हमे यह याद रखना चाहिए कि खाद्य सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य अधिकार है। जब हम एक साधारण मिठाई का आनंद लेते हैं, तो हमें भरोसा होना चाहिए कि उसमें किसी भी प्रकार की असुरक्षा नहीं है। इस भरोसे को तोड़ना, चाहे वह अनजाने में हो या जानबूझकर, सामाजिक विश्वास को गहरा क्षति पहुंचाता है। इस कारण से, फोरेंसिक विश्लेषण से पता चलना चाहिए कि यह अंग कहाँ से आया और किस चरण में मिला। यदि यह प्रक्रिया से बाहर किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा घुसपैठ थी, तो पूरे सप्लाई चेन की सुरक्षा को पुनः मूल्यांकन करना होगा। दूसरी ओर, यदि यह आंतरिक त्रुटि थी, तो उत्पादन लाइनों में स्वचालन और ट्रैकिंग को उन्नत करना आवश्यक होगा। अंत में, इस तरह की घटना के बाद सार्वजनिक विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए पारदर्शी रिपोर्टिंग, समय पर सहायक उपाय, और कड़ी सजा अनिवार्य है। आशा है कि न्याय पाने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी भयावह घटना दोबारा न हो।

  • Image placeholder

    DEBAJIT ADHIKARY

    जुलाई 20, 2024 AT 21:26

    मानव अंग जैसी अनैतिक वस्तु का भोजन में सम्मिलन सामाजिक एवं नैतिक मानकों के विपरीत है। इस प्रकार की घटना पर कड़ी निगरानी व त्वरित कार्यवाही आवश्यक है।

  • Image placeholder

    abhay sharma

    अगस्त 2, 2024 AT 01:06

    ओह मज़ा ही आ गया ये देख कर

  • Image placeholder

    Abhishek Sachdeva

    अगस्त 14, 2024 AT 04:46

    मैं सीधे कहूँ तो इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। कंपनी को तुरंत जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सबूत दिखाएंगे तो ही आवाज़ उठाएँगे।

  • Image placeholder

    Janki Mistry

    अगस्त 26, 2024 AT 08:26

    स्मॉल‑मॉलिक्यूलर एन्‍ड‑टू‑एन्‍ड ट्रेसबिलिटी प्रोटोकॉल्स को इम्प्लीमेंट करना चाहिए ताकि ऐसी कंटॅमिनेशन को जैव‑रासायनिक मैपिंग के जरिए तुरंत पहचान सके।

  • Image placeholder

    Akshay Vats

    सितंबर 7, 2024 AT 12:06

    Ye to badi gldi li lag rhi hai yummo ki check from top top level tak hi nhi ho payi h

एक टिप्पणी लिखें