मदर'स डे 2025: Jagran, TheFirstParents, JanSatta, Herzindagi की नई शायरी और कोट्स

मदर'स डे 2025: Jagran, TheFirstParents, JanSatta, Herzindagi की नई शायरी और कोट्स
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 28 सितंबर 2025 12 टिप्पणि

जब मदर'स डे 2025भारत की सुबह आई, तो देश के प्रमुख हिंदी लाइफ़स्टाइल पोर्टल्स ने भावनात्मक कोट्स, शायरी और मैसेज की बौछार कर दी। Jagran.com ने विशेष रूप से तैयार किए गए छह‑पार्ट संदेशों की श्रृंखला लॉन्च की, जबकि TheFirstParents.com, JanSatta.com और Herzindagi.com ने अपने‑अपने शायरी संग्रह से सोशल मीडिया को भर दिया। यह सामूहिक प्रयास इस बात का संकेत है कि डिजिटल युग में भी भारतीय मातृभक्ति ने नए रूप ले लिए हैं।

मदर'स डे 2025 का सांस्कृतिक महत्व

भारत में मदर'स डे पहली बार 1950 के दशक में लोकप्रिय हुआ, लेकिन 2020 के बाद डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने इसे हर साल एक बड़े शौक़ीन उत्सव में बदल दिया। इस साल की तारीख 12 मई तय की गई, जो कई प्रमुख स्कूलों और कंपनियों में माताओं के सम्मान में विशेष कार्यक्रमों की भी मेजबानी करती है।

Jagran.com की विशेष कोट्स श्रृंखला

Jagran.com ने "माँ, आप मेरा आज भी हैं और मेरा हर कल भी" जैसे कोट को प्रमुखता दी। पूरी श्रृंखला में कुल छह संदेश थे, जिनमें से एक में लिखा है, "मां है तो क्या फिकर हमारा। हैप्पी मदर'स डे 2025!" यह लाइन जल्दी ही व्हाट्सएप स्टेटस और इंस्टाग्राम रील्स पर ट्रेंड बन गई।

  • पहला संदेश: "मां, आप मेरा आज भी हैं और मेरा हर कल भी। आपके बिना ये ज़िंदगी अधूरी सी लगती है।"
  • दूसरा संदेश: "मां है तो क्या फिकर हमारा। हैप्पी मदर'स डे 2025!"
  • तीसरा संदेश: "जब भी कोई मुश्किल आई, मां ने सबसे पहले आवाज़ लगाई। उसके आँचल में छिपकर, हमने राहत की सांस पाई।"

जागरन की इन पंक्तियों ने लाइव चैट में 2.3 लाख व्यूज़ और 15 हज़ार रीशेयर हासिल किए।

दूसरे प्लेटफ़ॉर्म की शायरी संग्रह

TheFirstParents.com ने "माँ के कदमों में ही जन्नत बसती है" जैसी शायरी को शीर्षक किया। इस शायरी को फॉलोअर्स ने चित्र में लिखकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, और अब तक 7 हज़ार लाइक्स मिल चुकी हैं। वहीँ JanSatta.com ने "हर मर्ज की दवा होती है मां" को उत्सव का मंत्र बना दिया। इन पंक्तियों को कई लोग अपने बीते हुए दर्द और संघर्ष को साझा करने के लिए उपयोग कर रहे हैं।

Herzindagi.com ने विशेष रूप से "चलती फिरती हुई आँखों से अज़ां देखी है मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है, माँ देखी है" को आकर्षक फ़ॉन्ट में प्रकाशित किया। इस शायरी को एक छोटे वीडियो में बदला गया, जिसे यूट्यूब पर 120 हजार व्यूज मिले।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया और उपयोग

इन पोर्टल्स के कंटेंट को देखते ही भारतीय उपयोगकर्ता अपनी स्टेटस, बायो और डिप्लायमेंट ग्राफ़िक में नकल करने लगे। ट्विटर पर #MothersDay2025 हैशटैग ने 48 हज़ार टवीट्स और 1.2 मिलियन इम्प्रेशन्स पार कर ली। इंस्टाग्राम पर #मदरडे2025 ट्रेंड में शीर्ष 10 में रहा, जहाँ सबसे अधिक लाइक्स वाले पोस्ट ने 95 हज़ार लाइक्स हासिल किए।

काफी मॉडरेटर्स ने बताया कि ये शायरी और कोट्स विशेष रूप से छोटे शहरों और गांवों में लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि वे सादा भाषा में गहरी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।

भविष्य में कोट्स और शायरी ट्रेंड

विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल तक AI‑जनित शायरी और निजीकरण किए गए मैसेज भी इस फॉर्मेट में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इस साल के डेटा से साफ़ है कि मूल, भावनात्मक भाषा अभी भी सबसे प्रभावी माध्यम है।

  • वृद्धि: इस वर्ष कोट्स पर 37 % वृद्धि दर्ज हुई।
  • उपयोगकर्ता सहभागिता: औसत शेयरिंग टाइम 22 सेकंड।
  • भौगोलिक वितरण: उत्तर भारत में 58 % उपयोग, दक्षिण में 27 %।

अगले कदम

जागरन, द फर्स्ट पैरेंट्स, जांसत्ता और हर्ज़िंदगी ने अगले महीने तक नई थीम‑आधारित शायरी लॉन्च करने का वादा किया है, जिसमें "माँ के साथ पहली नौकरी" और "घर से बाहर पहली बार" जैसे विषय शामिल होंगे। इस तरह की पहल से उम्मीद है कि अगले साल मदर'स डे का डिजिटल जश्न और भी विस्तृत रहेगा।

Frequently Asked Questions

मदर'स डे 2025 के कोट्स कौन-कौन से पोर्टल्स ने शेयर किए?

Jagran.com, TheFirstParents.com, JanSatta.com और Herzindagi.com ने प्रमुख कोट्स और शायरी प्रकाशित किए। प्रत्येक साइट ने अपने‑अपने शैलियों में मातृभक्ति को उजागर किया, जिससे सोशल मीडिया पर बड़ी प्रतिक्रिया मिली।

क्या ये शायरी केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध हैं?

ज्यादातर सामग्री डिजिटल रूप में जारी की गई है, लेकिन कुछ वेबसाइट्स ने प्रिंटेड बैनर और पोस्टर्स भी स्थानीय पुस्तक दुकानों और स्कूलों में वितरित किए हैं।

इन कोट्स का सोशल मीडिया पर क्या प्रभाव रहा?

#MothersDay2025 हैशटैग ने 48 हज़ार ट्वीट्स और 1.2 मिलियन इम्प्रेशन्स हासिल किए। इंस्टाग्राम पर सबसे लोकप्रिय पोस्ट को 95 हज़ार लाइक्स मिले, जो दर्शाता है कि ये शायरी भावनात्मक जुड़ाव के लिए बहुत प्रभावी हैं।

मदर'स डे 2025 के कोट्स में सबसे ज़्यादा कौन सा थीम देखा गया?

सुरक्षा और सतत समर्थन की थीम प्रमुख रही, जैसे "माँ के कदमों में ही जन्नत बसती है" और "हर मर्ज की दवा होती है मां"। ये पंक्तियाँ मातृस्नेह को जीवन के मूल स्तंभ के रूप में दर्शाती हैं।

भविष्य में मदर'स डे की शायरी में क्या बदलाव आने की उम्मीद है?

विशेषज्ञों का मानना है कि AI‑जनित शायरी और व्यक्तिगत मैसेज अगले साल के ट्रेंड में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इस साल के डेटा से ऐसा स्पष्ट है कि भावनात्मक और सादे स्वर अभी भी सबसे अधिक पसंद किए जा रहे हैं।

12 टिप्पणि

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    DEBAJIT ADHIKARY

    सितंबर 28, 2025 AT 21:43

    यह देखकर हर्ष होता है कि विभिन्न हिंदी प्लेटफ़ॉर्म मातृभक्ति को डिजिटल रूप में कितनी समृद्धि से प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रत्येक शायरी और कोट्स ने सामाजिक जुड़ाव को मजबूत किया है और माँ के सम्मान में नई पहल को उजागर किया है।

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    abhay sharma

    अक्तूबर 2, 2025 AT 18:31

    वाह फिर से वही पुरानी शायरी, नया क्या है

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    Abhishek Sachdeva

    अक्तूबर 6, 2025 AT 15:19

    ये सब शायरी क्या दिल को छूती हैं, लेकिन वास्तविकता में माँ की क़ीमत को केवल सोशल मीडिया पर दिखाने से कुछ नहीं बदलता। असली सम्मान तो रोज़मर्रा के छोटे‑छोटे कार्यों में दिखना चाहिए, न कि सिर्फ ट्रेंड में। जो लोग सिर्फ लाइक्स के पीछे भागते हैं, वे समझते नहीं माँ की वास्तविक मेहनत को।

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    Janki Mistry

    अक्तूबर 10, 2025 AT 12:07

    डेटा‑ड्रिवन एन्गेजमेंट मैट्रिक्स दर्शाता है कि शायरी के वैरिएंट्स का एंगेजमेंट रेट 22‑सेकंड औसत पर स्थिर है; KPI बेस्ड इम्प्रेशन कोऑर्डिनेट करने हेतु रियल‑टाइम एनालिटिक्स आवश्यक है।

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    Akshay Vats

    अक्तूबर 14, 2025 AT 08:55

    सच कहूँ तो समाज में अब भी बहुत लोग माँ को सिर्फ़ एक भूमिका तक सीमित रखते हैं, जबकी असली मूल्य तो उनका अटूट त्याग है। इस तरह की शायरी को अगर सही समझ में लाया जाए तो शायद लोगों को उनके वास्तविक योगदान का अहसास हो सकेगा। लेकिन अभी भी कई जगहें इसको हल्के में ले रही हैं।

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    Anusree Nair

    अक्तूबर 18, 2025 AT 05:43

    माँ के लिए इस तरह की सुंदर अभिव्यक्तियाँ साझा करना हमारे सामाजिक बंधनों को और भी मजबूत बनाता है। चलिए हम सब मिलकर इस उत्सव को केवल ऑनलाइन नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के कामों में भी उजागर करें।

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    Bhavna Joshi

    अक्तूबर 22, 2025 AT 02:31

    फ़िलॉसफ़िकल दृष्टिकोण से देखे तो मातृस्नेह एक प्रतिफलित सर्कल है जहाँ भावनात्मक एंटीबॉडीज़ उत्पन्न होती हैं। यह शायरी इस सर्कल को सामाजिक रूप से वैध बनाती है, परन्तु हमें इस विचार को वास्तविक कार्यों में परिवर्तित करना चाहिए।

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    Ashwini Belliganoor

    अक्तूबर 25, 2025 AT 23:19

    अच्छी बात

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    Hari Kiran

    अक्तूबर 29, 2025 AT 20:07

    माँ का प्यार शब्दों से परे है, लेकिन ये शायरी उनके प्रति हमारा सम्मान व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है। धन्यवाद सभी प्लेटफ़ॉर्म को इस भावना को प्रसारित करने के लिए।

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    Hemant R. Joshi

    नवंबर 2, 2025 AT 16:55

    मदर'स डे 2025 के इस उत्सव में हमने देखा कि विभिन्न डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म कैसे अपनी-अपनी शैली में मातृभक्ति को अभिव्यक्त कर रहे हैं। सबसे पहले, Jagran.com ने अपनी छह‑पार्ट कोट श्रृंखला के माध्यम से भावनात्मक गहराई को छुआ, जिससे उपयोगकर्ता जुड़ाव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। दूसरा, TheFirstParents.com ने "माँ के कदमों में ही जन्नत बसती है" जैसे शायरी को विज़ुअल एन्हांसमेंट के साथ प्रस्तुत किया, जिससे इंस्टाग्राम पर अनुयायियों की सहभागिता बढ़ी। तीसरा, JanSatta.com ने "हर मर्ज की दवा होती है माँ" का उपयोग सामाजिक चुनौतियों के संदर्भ में किया, जिससे कई छोटे शहरों में इसे प्रेरणा का स्रोत माना गया। चौथा, Herzindagi.com ने वीडियो फ़ॉर्मेट में शायरी को रेंडर किया, जिससे यूट्यूब पर 120 हज़ार व्यूज़ प्राप्त हुए। इन सभी प्रयासों ने डिजिटल युग में मातृभक्ति की नई परिभाषा स्थापित की।
    संपूर्ण डेटा यह दर्शाता है कि उत्तर भारत में 58 % उपयोगकर्ता इन शायरी को प्राथमिकता देते हैं, जबकि दक्षिण में यह प्रतिशत 27 % है। इस भौगोलिक वितरण को देखते हुए, भविष्य में क्षेत्र‑विशिष्ट सामग्री का विकास आवश्यक होगा।
    इसके अलावा, त्रुटिरहित कोट्स के उपयोग ने सामाजिक नेटवर्क पर शेयरिंग टाइम को 22 सेकंड तक घटा दिया, जिससे कंटेंट की वायरलिटी में वृद्धि हुई।
    भविष्य के दृष्टिकोण में, विशेषज्ञों ने AI‑जनित शायरी की संभावनाओं को उजागर किया है, लेकिन वर्तमान में मूल, भावनात्मक भाषा अभी भी सबसे प्रभावी माध्यम बनी हुई है।
    अंततः, इस साल की मौसमी अभियानों ने न केवल डिजिटल एंगेजमेंट को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक एकता और मातृ सम्मान की भावना को भी सुदृढ़ किया।

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    guneet kaur

    नवंबर 6, 2025 AT 13:43

    आपकी यह शायरी बस कॉपी‑पेस्ट है, वास्तविक रचनात्मकता कहां है? मैं तो कहूँगा, अगर आप नहीं समझते तो इंटरनेट पर सर्च कर लीजिए, नहीं तो बकवास मत फैलाईए।

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    PRITAM DEB

    नवंबर 10, 2025 AT 10:31

    बहुत बढ़िया प्रयास, इस तरह की सांस्कृतिक पहल को हम सभी को सराहनी चाहिए।

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