रेखा गुप्ता का दिल्ली की मुख्यमंत्री बनना अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है। वह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के तहत दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनके करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई, और सिस्टम में कई सालों की मेहनत के बाद वे इस मुकाम पर पहुंचीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या उनके पास असली शक्ति है या वे केवल प्रतीकात्मक नेता बनकर रह गई हैं?
अपने कार्यकाल में रेखा गुप्ता ने कई महत्वर्पूण पहल की हैं, जिनमें से प्रमुख हैं पर्यावरण संबंधी मुद्दे। उनका लक्ष्य है कि 2027 तक दिल्ली के लैंडफिल में 80-90% की कमी लाई जाए। यमुना नदी की सफाई भी उनकी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसके लिए उन्होंने तीन सालों का लक्ष्य निर्धारित किया है।
रेखा गुप्ता का कहना है कि पर्यावरणीय सुधारों को लागू करने के लिए केंद्रीय सरकार के साथ मिलकर काम करना बेहद जरूरी है। उनके ये प्रयास दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए अत्यावश्यक हैं।
महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में, रेखा की नियुक्ति एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि भाजपा की राजनीतिक मंशा उनके कार्यकाल को कैसे प्रभावित करती है। भाजपा के निर्णयों का उनके एजेंडा पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखने की बात होगी।
यह कहना जल्दबाजी होगी कि रेखा गुप्ता अपनी योजनाओं को कितना सफलता से लागू कर पाएंगी। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अपनी योजनाओं और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की योजनाओं के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।