रात के 11 बजे के आसपास, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टीलिन, अभिनेता अजित कुमार, अरविंद स्वामी और अभिनेत्री खुशबू के घरों के लिए बम धमकी भरे ईमेल तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी कार्यालय को मिले। यह घटना रविवार, 16 नवंबर, 2025 को हुई, और इसके बाद चेन्नई के इन घरों के आसपास तुरंत सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस ने बम निष्क्रियकरण टीम और स्निफर डॉग्स को भेजकर हर जगह की बारीकी से जांच की — लेकिन कहीं भी कोई विस्फोटक नहीं मिला। ये सभी धमकियाँ झूठी साबित हुईं।
एक अनुक्रम जो बढ़ रहा है
यह घटना किसी अचानक घटना नहीं है। पिछले हफ्ते, 11 नवंबर को, अजित कुमार के तिरुवन्मियूर निवास पर भी एक बम धमकी आई थी। उस बार भी पुलिस ने घर के आसपास की जांच की, स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल किया, और कुछ भी नहीं पाया। इससे पहले, अक्टूबर 2025 में, प्रसिद्ध संगीतकार इलैयाराजा के टी नगर स्टूडियो को भी बम धमकी का लक्ष्य बनाया गया था। उस दौरान भी पुलिस ने जांच की, लेकिन कोई खतरा नहीं था।
इस तरह के झूठे धमकी ईमेलों का आंकड़ा चौंका देने वाला है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पिछले सात महीनों में चेन्नई में कुल 343 झूठे बम धमकी ईमेल दर्ज किए गए। इनमें से कई राजनीतिक नेताओं और फिल्मी व्यक्तित्वों के लिए थे — जिनमें डीएमके के तीन मंत्री शामिल थे, जिनमें से एक सेकर बाबू, हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल एंडोमेंट्स मंत्री थे।
अन्य लक्ष्य और अज्ञात आरोपी
16 नवंबर की धमकियों में केवल चार नाम नहीं थे। न्यूसटुडे नेट के अनुसार, फिल्म निर्देशक मुरुगदोस, अभिनेत्री राम्या कृष्णन और निर्माता एस वी शेखर के घरों के लिए भी इसी रात ईमेल भेजे गए। सभी की जांच की गई — सभी झूठी साबित हुईं। पुलिस आयुक्त ए अरुण ने कहा, "हम किसी भी धमकी को हल्के में नहीं लेते। चाहे वह झूठी हो या असली, हम जांच करते हैं।"
लेकिन यहाँ का वास्तविक सवाल यह है — कौन है ये लोग? पुलिस का मानना है कि ये आरोपी अज्ञात हैं, लेकिन उनकी तकनीकी योग्यता बहुत अच्छी है। वे वीपीएन और डार्क वेब का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके ईमेल ट्रैक करना लगभग असंभव है। एक अधिकारी ने कहा, "ये लोग शायद फिल्म उद्योग या राजनीति के खिलाफ कुछ अपना विरोध जताना चाहते हैं। या फिर बस शोर मचाना चाहते हैं।"
सुरक्षा बढ़ाई गई, लेकिन डर नहीं
इन सभी घटनाओं के बाद, चेन्नई के इन व्यक्तियों के घरों के आसपास सुरक्षा बहुत कड़ी हो गई है। पुलिस अब रात-दिन नियमित गश्त कर रही है। जिन घरों को धमकी मिली है, उनके आसपास अब निगरानी कैमरे लगाए गए हैं। पुलिस ने इन घरों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भी तैनात किए हैं।
लेकिन यहाँ कुछ अजीब है — इन लोगों में कोई डर नहीं दिख रहा। खुशबू ने सोशल मीडिया पर लिखा, "पुलिस की तेज़ प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।" अजित कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा, "हम लोगों को इन बातों से डरना नहीं है। अगर ये लोग शोर मचाना चाहते हैं, तो हम उनकी आवाज़ को बुझा देंगे — अपनी नियमित जिंदगी जीकर।"
पुलिस का अनुसंधान और भविष्य का खतरा
तमिलनाडु पुलिस ने इन घटनाओं के लिए एक विशेष टीम बनाई है। उनका लक्ष्य ये नहीं कि बस धमकी का पता लगाया जाए — बल्कि ये समझना है कि ये धमकियाँ किस तरह के लोगों के लिए भेजी जा रही हैं। क्या ये एक व्यक्ति है? एक समूह? या कोई अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क?
एक अधिकारी ने बताया, "इनमें से कुछ ईमेल बहुत विस्तार से लिखे गए हैं। उनमें व्यक्तिगत विवरण हैं — घर का नक्शा, गार्ड की शिफ्ट, अक्सर बाहर जाने का समय। ये लोग इन लोगों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं।"
इस बारे में एक चिंता यह है कि अगर ये धमकियाँ बंद नहीं हुईं, तो कोई वास्तविक खतरा भी हो सकता है। एक बार जब लोगों को लगने लगे कि "ये तो झूठ है", तो अगली बार कोई असली धमकी आ सकती है — और तब लोग उसे नजरअंदाज कर सकते हैं।
क्या ये राजनीतिक बदलाव से जुड़ा है?
एमके स्टीलिन के खिलाफ ये धमकियाँ नए नहीं हैं। पिछले कुछ सालों में, उनके घर और राजनीतिक इकाइयों को भी बम धमकियाँ मिल चुकी हैं। लेकिन अब ये धमकियाँ राजनीतिक नेताओं से बढ़कर फिल्म उद्योग तक फैल गई हैं। क्या ये एक नया रुझान है? क्या फिल्मी व्यक्तित्व अब राजनीति के हिस्से बन गए हैं?
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "जब एक अभिनेता जनता के बीच इतना लोकप्रिय हो जाता है कि उसकी आवाज़ भी एक राजनीतिक बल बन जाए, तो उसे निशाना बनाना आसान हो जाता है।" अजित कुमार और खुशबू दोनों ही राजनीति में अपनी आवाज़ उठा चुके हैं। यही शायद इन धमकियों का असली कारण है।
अगला कदम क्या है?
पुलिस अब इन ईमेलों के सोर्स को ट्रैक करने के लिए आईटी एक्सपर्ट्स की मदद ले रही है। वे जांच कर रहे हैं कि क्या ये ईमेल एक ही सर्वर से भेजे गए हैं। अगर हाँ, तो उस सर्वर की पहचान लगाना संभव हो सकता है।
लेकिन अगर ये लोग डार्क वेब पर रहते हैं, तो उन्हें पकड़ना सालों ले सकता है। अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इन धमकियों ने लोगों को डराया नहीं। उन्होंने अपनी जिंदगी जारी रखी। और वही बात है जो ये आरोपी नहीं समझ पाए — डर का इस्तेमाल लोगों को शांत करने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें एकजुट करने के लिए किया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या ये बम धमकियाँ वास्तविक थीं?
नहीं, सभी धमकियाँ झूठी साबित हुईं। तमिलनाडु पुलिस ने अजित कुमार, एमके स्टीलिन, खुशबू, अरविंद स्वामी और अन्य लोगों के घरों की बारीकी से जांच की, जिसमें स्निफर डॉग्स और बम निष्क्रियकरण टीम शामिल थीं। कहीं भी कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
इन धमकियों का पीछे कौन हो सकता है?
पुलिस का मानना है कि ये आरोपी डार्क वेब और वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान छिपाई जा रही है। एक अधिकारी ने बताया कि ईमेलों में व्यक्तिगत जानकारी है — जैसे घर के नक्शे और गार्ड शिफ्ट — जिससे लगता है कि ये लोग इन व्यक्तियों के बारे में अच्छी तरह जानते हैं।
क्या ये धमकियाँ राजनीतिक कारणों से हो रही हैं?
हाँ, ज्यादातर लक्ष्य राजनीतिक नेता या उनके समर्थक फिल्मी व्यक्तित्व हैं। एमके स्टीलिन और अजित कुमार दोनों ही राजनीति में आवाज़ उठा चुके हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ये धमकियाँ उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक प्रभाव के खिलाफ हैं।
चेन्नई में ऐसी धमकियों का कितना इतिहास है?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पिछले सात महीनों में चेन्नई में 343 झूठी बम धमकी ईमेल दर्ज किए गए। इनमें तीन डीएमके मंत्रियों, फिल्म निर्देशकों और कलाकारों के घर शामिल थे। इस तरह की घटनाएँ अक्टूबर 2025 से तेजी से बढ़ रही हैं।
इन धमकियों के बाद सुरक्षा में क्या बदलाव हुए हैं?
सभी लक्ष्यित व्यक्तियों के घरों के आसपास अब 24x7 पुलिस गश्त हो रही है। निगरानी कैमरे लगाए गए हैं, और बम निष्क्रियकरण टीम तैनात है। पुलिस ने अपनी जागरूकता को बरकरार रखा है, भले ही धमकियाँ झूठी साबित हो गईं।
क्या ये घटनाएँ अन्य राज्यों में भी हो रही हैं?
अभी तक ये घटनाएँ तमिलनाडु में ही सीमित हैं, लेकिन अन्य राज्यों में भी फिल्मी व्यक्तित्वों के खिलाफ धमकियाँ आई हैं — जैसे कर्नाटक और महाराष्ट्र में। लेकिन चेन्नई में इनकी आवृत्ति और विस्तार अभी तक अनोखा है।