विश्व तंबाकू निषेध दिवस: अरुणाचल प्रदेश में जन-जागरूकता कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का आयोजन

विश्व तंबाकू निषेध दिवस: अरुणाचल प्रदेश में जन-जागरूकता कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का आयोजन
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 1 जून 2024 10 टिप्पणि

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर अरुणाचल प्रदेश में विशेष आयोजन

शुक्रवार को लोअर दिबांग घाटी और वेस्ट सियांग जिलों में विशेष जन-जागरूकता कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं के साथ विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। इस वर्ष का थीम 'बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना' था, जिसे जनसभाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। लोअर दिबांग घाटी के स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थानों में निबंध लेखन प्रतियोगिताओं और जागरूकता सभाओं का आयोजन किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. नांगकोंग यिरांग ने छात्रों को तंबाकू उपयोग के हानिकारक प्रभावों और कोटपा अधिनियम के बारे में व्याख्यान दिए।

सतर्कता और जागरूकता के सफल प्रयास

सतर्कता और जागरूकता के सफल प्रयास

विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित कार्यक्रमों में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और तंबाकू के नकारात्मक प्रभावों के बारे में अपने विचार प्रकट किए। वीकेवी रोइंग स्कूल को 'तंबाकू-मुक्त शैक्षणिक संस्थान' के रूप में प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया, जिससे वह जिले का पहला ऐसा संस्थान बना। यह प्रमाण पत्र न केवल स्कूल की उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि अन्य संस्थानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

वेस्ट सियांग में DTCC द्वारा आयोजित कार्यक्रम

वेस्ट सियांग के ANM स्कूल के कॉन्फ़्रेंस हॉल में जिला तंबाकू नियंत्रण सेल (DTCC) ने एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जिला चिकित्सा अधिकारी (DMO) डॉ. डुबोम बागरा, MS डॉ. के रिना, मदर विज़न की अध्यक्ष जुमडे गमलिन, अस्पताल स्टाफ, स्कूल प्रधानाचार्य, संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे।

DTCC की नोडल अधिकारी डॉ. टी वांगमु ने तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने तंबाकू के कारण होने वाली बिमारियों और उनके निदान की चर्चा की। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और अभिभावकों के बीच तंबाकू के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना था ताकि भविष्य में युवा पीढ़ी को इस विनाशकारी लत से बचाया जा सके।

स्वास्थ्य और शिक्षा का संगम

तंबाकू निषेध के प्रयास न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि शिक्षा के माध्यम से बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने का कार्य भी करते हैं। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी छात्र और शिक्षक तंबाकू के खिलाफ इस युद्ध में अपने हिस्से का योगदान देने के लिए प्रेरित हुए। यह दिन न केवल लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करता है, बल्कि समाज की भलाई के लिए एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।

आगे की योजना

अरुणाचल प्रदेश में इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों की सफलता से प्रेरणा लेते हुए आगे भी विभिन्न स्थानों पर ऐसे आयोजन किए जाने की योजना है। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि छात्रों और आम जनता को तंबाकू के दुष्प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके। यह योजना धीरे-धीरे तंबाकू मुक्त समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

इस प्रकार, विश्व तंबाकू निषेध दिवस ने अरुणाचल प्रदेश में जन-जागरूकता को बढ़ाने और तंबाकू के खतरों से बच्चों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम जारी रहेंगे और तंबाकू मुक्त समाज का सपना साकार हो सकेगा।

10 टिप्पणि

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    Akshay Vats

    जून 1, 2024 AT 20:31

    वैश्विक तंबाकू निषेध दिवस को महत्व देना चाहिए, वरना हमारे बच्चॊं का भविष्य धूम्रपान की धुंधले में गुम हो जायेगा। ये कार्यक्रम सिर्फ दिखावा नहीं, यह सामाजिक जिम्मेदारी है। सरकार को इस पर कड़ा कदम उठाना चाहिये।

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    Anusree Nair

    जून 1, 2024 AT 21:04

    सच में, ऐसे पहल हमारे समुदाय में जागरूकता की लहर लाते हैं। सभी स्कूलों को इस ऊर्जा को आगे बढ़ाना चाहिए और बच्चों को स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित करना चाहिए। चलिए मिलकर इस सकारात्मक बदलाव को कायम रखें।

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    Bhavna Joshi

    जून 1, 2024 AT 21:38

    समीक्षात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो तंबाकू नियंत्रण के लिए बहु-स्तरीय हस्तक्षेप आवश्यक है। सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति में नीतिनिर्माताओं को साक्ष्य-आधारित रणनीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। कोटपा अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन, शिक्षा मॉड्यूल का एकीकरण, तथा सामुदायिक सहभागिता में वृद्धि से दीर्घकालिक परिणाम हासिल हो सकते हैं।

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    Ashwini Belliganoor

    जून 1, 2024 AT 22:11

    यह पहल सराहनीय है क्योंकि यह युवा वर्ग को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाने का लक्ष्य रखती है

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    Hari Kiran

    जून 1, 2024 AT 22:44

    हँसी-मजाक के बीच भी यह बात समझ में आनी चाहिए कि तंबाकू की लत हमें आगे नहीं ले जा सकती। आपके कार्यक्रम से बच्चों में जागरूकता का स्तर बढ़ा है और यह हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। धन्यवाद!

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    Hemant R. Joshi

    जून 1, 2024 AT 23:18

    विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आयोजित किए गए विभिन्न कार्यशालाओं और प्रतियोगिताओं ने निस्संदेह हमारे सामाजिक ताने-बाने में सकारात्मक परिवर्तन के बीज बोए हैं। प्रथम वाक्य में यह स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी इस अभियान की सफलता की कुंजी है, क्योंकि बच्चों में प्रारंभिक उम्र से ही स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता विकसित होती है। दोबारा कहा जाए तो, तंबाकू के दुष्प्रभावों को समझाने के लिए मात्र जानकारी देना पर्याप्त नहीं, बल्कि अनुभवात्मक शिक्षा भी आवश्यक है, जिससे छात्र अपनी दैनिक जीवन में इसके परिणामों को प्रत्यक्ष रूप से महसूस कर सकें। इसके अतिरिक्त, जिला स्वास्थ्य अधिकारी और डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत किए गए वैज्ञानिक डेटा ने इस बात को और अधिक स्पष्ट किया कि तंबाकू सेवन से उत्पन्न होने वाली रोगसूचक संक्रमणें कितनी गंभीर हो सकती हैं। तंत्रिका विज्ञान के दृष्टिकोण से देखा जाए तो, निकोटीन की लत मस्तिष्क में डोपामाइन रिसेप्टर्स को अत्यधिक उत्तेजित करती है, जिससे व्यक्ति की निर्णय क्षमता और आत्मसंयम में बाधा आती है। इसलिए, शैक्षणिक संस्थानों को इस ज्ञान को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिए और विद्यार्थियों को एंटी-टॉबैको कार्यशालाओं में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इस प्रकार, विद्यालयों द्वारा "तंबाकू-मुक्त" प्रमाणपत्र प्रदान करना केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि एक सामाजिक अनुबंध भी बन जाता है, जहाँ छात्रों और अभिभावकों दोनों को इस प्रतिबद्धता को निभाना आवश्यक समझा जाता है। दूसरी ओर, स्थानीय प्रशासन को इस पहल को निरंतर समर्थन प्रदान करने हेतु वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना चाहिए। इससे ना केवल शैक्षणिक संस्थानों को आवश्यक संसाधन मिलेंगे, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी समान स्तर की जागरुकता फैलेगी। तदुपरांत, मीडिया आउटरीच को भी इस दिशा में कार्य करना चाहिए, जहाँ टेलीविज़न, रेडियो और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर तंबाकू के प्रतिकूल प्रभावों को व्यापक रूप से प्रसारित किया जा सके। विशेष रूप से, युवाओं में सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा हुआ है, इसलिए आकर्षक विजुअल कंटेंट और इंटरैक्टिव पोस्टिंग के माध्यम से संदेश को वायरल किया जा सकता है। अंततः, निष्कर्ष यह निकलता है कि केवल एक दिन का उत्सव पर्याप्त नहीं, बल्कि निरंतर शिक्षा, नीति समर्थन और सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता है। इस समग्र दृष्टिकोण को अपनाकर ही हम एक स्वस्थ, तंबाकू-रहित भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

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    guneet kaur

    जून 1, 2024 AT 23:51

    ऐसे दिखावे वाले कार्यक्रमों से बस सतही असर ही पड़ता है, असली बदलाव के लिए कड़ी सज़ा चाहिए।

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    PRITAM DEB

    जून 2, 2024 AT 00:24

    बहुत बढ़िया काम, ऐसे उत्साह को बनाए रखें।

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    Saurabh Sharma

    जून 2, 2024 AT 00:58

    इन्क्लुसिव माइंडसेट और समुदायिक एंगेजमेंट से हम इस मिशन को स्केलेबल बना सकते हैं इस पहल में डेटा-ड्रिवन अप्रोच को इंटेग्रेट करके

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    Suresh Dahal

    जून 2, 2024 AT 01:31

    आपके द्वारा प्रस्तुत किए गए विचार कई स्तरों पर सराहनीय हैं और यह स्पष्ट है कि इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक समन्वित रणनीति का कार्यान्वयन आवश्यक होगा।

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