अभिनेता से राजनेता बने सुरेश गोपी ने केरल की राजनीति में एक नया अध्याय लिख दिया है। उन्होंने केरल से भाजपा के पहले लोकसभा सांसद के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह बना ली है। यह उपलब्धि इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि केरल लंबे समय से वामपंथी दलों के कब्जे में रहा है। सुरेश गोपी की इस जीत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केरल में एक नया मुकाम हासिल कर लिया है।
सुरेश गोपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई के वीएस सुनील कुमार और कांग्रेस के के मुरलीधरन को हराकर भाजपा के लिए पहला सीट जीता। उन्होंने सीपीआई उम्मीदवार को 74,000 वोटों के अंतर से मात दी। यह जीत केरल में भाजपा के विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सुरेश गोपी ने थ्रिसुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बावजूद पार्टी ने उनके प्रयासों को सराहते हुए उन्हें राज्यसभा में नामांकित किया था। राज्यसभा सांसद के रूप में गोपी ने अपने सांसद निधि का उपयोग सामाजिक कार्यों के लिए किया, जिसने 2024 के चुनाव में उनको फायदा दिलाया।
सुरेश गोपी ने मतदाताओं का भरोसा जीता जिसमें मसीही समुदाय भी शामिल था। उन्होंने सीपीएम के कथित सहकारी बैंक फंड घोटाले के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध किया, जिससे जनता में उनकी छवि और निखरी। उन्होंने जमीनी स्तर पर अपनी मेहनत से मतदाताओं का दिल जीता।
सुरेश गोपी का राजनीतिक सफर भी आकर्षक है। कॉलेज दिनों में वे सीपीएम के स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य थे और कम्युनिस्ट विचारधारा का समर्थन करते थे। बाद में वे केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरण और उनके परिवार के करीब आ गए। दिलचस्प बात यह है कि 2024 के चुनाव में उनका प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के करुणाकरण का बेटा, के मुरलीधरन था। साथ ही करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल ने कांग्रेस छोड़ भाजपा जॉइन कर अपने भाई के विरोध में गोपी का समर्थन किया।
सुरेश गोपी की नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में शामिल होने से भाजपा ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि वे 2026 में होने वाले केरल विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर हैं। उनकी इस नियुक्ति से पार्टी केरल में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तत्पर है।
आने वाले वर्षों में सुरेश गोपी का रोल और बढ़ सकता है। वे अपनी सक्रियता और मेहनत से केरल में भाजपा की जड़ें और गहरी कर सकते हैं। उनकी राजनीतिक समझ और जनसंपर्क का लाभ पार्टी को अवश्य मिलेगा। अब देखना होगा कि 2026 के चुनावों में भाजपा केरल में कितना प्रभाव डालती है।