मनमोहन सिंह अंत्यसंस्कार: निगामबोध घाट पर राज्य शोक का मार्च

मनमोहन सिंह अंत्यसंस्कार: निगामबोध घाट पर राज्य शोक का मार्च
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 27 सितंबर 2025 0 टिप्पणि

मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की मुख्य झलकियां

न्यू दिल्ली के काश्मीरे गेट के पास स्थित निगामबोध घाट पर 28 दिसंबर को मनमोहन सिंह अंत्यसंस्कार बड़े श्रद्धांजलि एवं सम्मान के साथ संपन्न हुआ। 92 साल की उम्र में 26 दिसंबर को एआईएमएस में उनका देहांत हो गया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सात दिनों की राष्ट्रीय शोक अवधि घोषित की। सुबह 11:45 बजे कांस्य के मंच पर उनका पितृसत्कार किया गया, जहाँ उनके सबसे बड़े पुत्री ने लकड़ी के चूल्हे को प्रज्वलित किया।

समारोह में 21‑गन सलामी, सैंडलवुड की बत्ती और सिख रीतियों का विशेष गौरवपूर्ण प्रयोग देखा गया। आरती योगेश कुमार शर्मा ने अंत्यसंस्कार की हर बारीकी से देखभाल की, जबकि सभी प्रमुख राजनैतिक हस्तियों को वह जिस स्थान पर आना सुनिश्चित कर रहा था, उसी पर उन्हें श्रद्धांजलि देने का प्रस्ताव रखा।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस शोक को राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मंचों पर जताया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धंकड़, और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने क़रीब‑क़रीब एक साथ इस शोक को साक्षी बनाया। गृह मंत्री अमित शाह स्वयं उपस्थित थे और कांस्य पर झुका कर सम्मान प्रकट किया। कांग्रेस के नेता मलिकरज्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा प्रिया गांधी भी वीआईपी घाट पर शोक व्यक्त करने पहुंचे।

भौतिक क्षेत्र से परे, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी गहरा शोक व्यक्त किया। भूटान के महाराजा जिगमे खेसर नाम्गेल वांगचुक और मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय राफ़ुल ने व्यक्तिगत तौर पर भाग लेकर श्रद्धांजलि दी। भूटान ने पूरे देश में ध्वज नीचे करके 20 ज़ोंगखाग में प्रार्थना कार्यक्रम आयोजित किए।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, "डॉ. सिंह की मृत्यु न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्व के लिए एक बड़ा नुक़सान है।" पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने उन्हें "असाधारण बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और विवेक का धनी" कहा। भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग टोबगाय ने औपचारिक बयानों में उनके साथ गहरा व्यक्तिगत बंधन दर्शाते हुए कहा, "डॉ. सिंह एक महान राजनेता और हमारे मित्र थे, जिनकी दूरदर्शी नीति ने दो देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ किया।"

कांग्रेस के भी कई नेता, जैसे मधुसूदन मिस्त्री, ने उनके आर्थिक सुधारों की प्रशंसा की और कहा कि उनका योगदान करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल चुका है। मलिकरज्जुन खड़गे ने अंत्यसंस्कार के दौरान उनके एक आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए कहा, "इतिहास निस्संदेह आपको समझदार और द युग्मानुसार न्याय करेगा।"

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधान मंत्री के रूप में दो लगातार कार्यकाल पूरे किए। उन्होंने पहली बार भारत को आर्थिक उदारीकरण के पथ पर लाने का साहसिक कदम उठाया और 1991 के आर्थिक सुधारों को विश्वसनीयता दी। वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी उल्लेखनीय रहा, जहाँ उन्होंने मौद्रिक पॉलिसी को स्थिर करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मुख्य भूमिका निभाई। उनकी शांत स्वभाव और सिद्धान्त‑परक नेतृत्व शैली ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा स्थापित की।

उन्हीं कारणों से, चाहे वह राष्ट्रीय शोक हो या अंतर्राष्ट्रीय श्रद्धांजलि, हर ईच्छा यह रही कि इस महान विद्वान और राजनीतिज्ञ को यादगार स्थान पर स्मृति स्थापित की जाए। कांग्रेस ने अभी तक स्मारक के स्थान को लेकर स्पष्ट बिंदु नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर एक उपयुक्त स्थल की माँग की है, जहाँ भविष्य की पीढ़ियाँ उनके योगदान को याद रख सकें।