कान्स 2024: पायल कापड़िया की 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' ने रचा इतिहास; मिली आठ मिनट की स्टैंडिंग ओवेशन

कान्स 2024: पायल कापड़िया की 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' ने रचा इतिहास; मिली आठ मिनट की स्टैंडिंग ओवेशन
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 24 मई 2024 5 टिप्पणि

कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारतीय सिनेमा की धूम

2023 का कान्स फिल्म फेस्टिवल भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बना, जब पायल कापड़िया की फिल्म 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' ने इतिहास रच दिया। फिल्म के विश्व प्रीमियर के बाद इसे सभागृह में उपस्थित सभी दर्शकों ने आठ मिनट तक खड़े होकर सराहा। यह सम्मान न केवल कापड़िया के लिए बल्कि पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए गर्व का विषय है।

भारतीय महिलाओं के सिनेमा में कदम

यह पहली बार था कि किसी भारतीय महिला फिल्मकार ने कान्स में अपनी फिल्म प्रदर्शित की हो। पायल कापड़िया ने अपनी उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इसका महत्व केवल उनके नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए भी बड़ा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा की समृद्धि और विविधता को दुनियाभर में पहचान मिलनी चाहिए और यह उपलब्धि उसी दिशा में एक छोटा कदम है।

फिल्म की अद्भुत कहानी

'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' दो महिलाओं की कहानी है, जो एक बीच टाउन की सैर पर निकलती हैं। यह यात्रा उनके लिए एक प्रकार की आत्मखोज और स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होती है। फिल्म की कहानी न केवल गहराई से जुड़ी है, बल्कि दर्शकों को एक नये दृष्टिकोण से सोचने पर मजबूर करती है। यही कारण है कि इसे प्रारंभिक समीक्षाओं में 'गॉर्जियस एंड एब्सॉर्बिंग', 'ड्रीमलाइक एंड जेंटल' और 'ग्लोइंग पोर्ट्रेट ऑफ अर्बन कनेक्शन एंड अनएक्सपेक्टेड सिस्टरहुड' जैसे तारीफों से नवाजा गया है।

सफलता का पर्याय

फिल्म के रेड कार्पेट प्रीमियर के अवसर पर पायल कापड़िया सहित फिल्म की पूरी कास्ट और क्रू को अत्यंत खुशी और गर्व महसूस हुआ। सभी के चेहरों पर मुस्कान और उत्साह का माहौल था। फिल्म की शुरुआती समीक्षा से ही यह स्पष्ट है कि 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' ने एक नई दिशा और मानक स्थापित किए हैं।

पायल कापड़िया का सफर

पायल कापड़िया की यह फिल्म उनकी डॉक्यूमेंट्री 'ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग' की सफलता के बाद आई है। उनकी डॉक्यूमेंट्री को भी कान्स फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था, जहां उसे गोल्डन आई अवार्ड से नवाजा गया था। पायल कापड़िया की यह नयी फिल्म उनके उत्कृष्ट फिल्म निर्देशकीय प्रतिभा का एक और प्रमाण है।

इस प्रसिद्धि और उपलब्धि ने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है, जो केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि भारतीय सिनेमा की गहराई और विविधता को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी शुरू हो गई है और यह केवल शुरुआत है।

भावी आने वाले वक्त में, पायल कापड़िया जैसी कई भारतीय महिला फिल्मकार और भी ऊँचाइयों को छुएंगी और भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दिलाएंगी।

कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपने नाम को सुनहरे अक्षरों में दर्ज करने के बाद, अब पायल कापड़िया की यह फिल्म आगे की कई महत्वपूर्ण चुनौती और उपलब्धियों के लिए तैयार है। उम्मीद है कि 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट' आने वाले कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी समान पहचान और सराही जाएगी।

5 टिप्पणि

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    Sreeramana Aithal

    मई 24, 2024 AT 19:15

    पायल की ये सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, ये सामाजिक आँधियों के खिलाफ करुणा और साहस की ज्वाला है 😤; भारत की महिलाओं को अब भी कई बाधाओं से जूझना पड़ता है, और इस तरह की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति उनका हक़ीक़त में प्रकाशस्तम्भ बनती है। यह एक प्रेरणा है जो हमारी संस्कृति में बदलाव लाने की शक्ति रखती है।

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    Anshul Singhal

    मई 27, 2024 AT 02:49

    कान्स में पायल की फिल्म का स्टैंडिंग ओवेशन भारतीय सिनेमा के आत्मविश्वास की नई परत खोलता है।
    यह दर्शाता है कि छोटे-छोटे आवाज़ें भी विश्व मंच पर गूँज सकती हैं।
    जैसे दो बहनें समुद्र तट की सैर में अपने आप को फिर से खोजती हैं, वैसे ही हमारी फिल्में भी अपने मूल में लौटती हैं।
    वह यात्रा केवल दृश्य नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक दीपस्तंभ है।
    जब दर्शक थर थर के उठते हैं, तो वही तो सच्ची कला की शक्ति है।
    पायल ने संवेदनशीलता को साहस के साथ बुनकर एक नई कहानी गढ़ी है।
    ऐसे समय में जब कई फिल्में केवल व्यावसायिक लाभ के लिए बनाई जाती हैं, यह फिल्म एक शुद्ध प्रायश्चित के रूप में उभरी।
    उसकी शैली में जटिलता और सरलता का संतुलन हमें अपने भीतर के प्रकाश को पहचानने की प्रेरणा देता है।
    हर फ्रेम में नजाकत और प्रत्येक संवाद में सच्चाई का मेल है।
    इस मेहनत का फल न केवल पुरस्कार में, बल्कि दर्शकों के दिलों की गहरी सराहना में भी है।
    समुदाय के रूप में हमें इस तरह की उपलब्धियों को और अधिक समर्थन देना चाहिए।
    हमारी सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक मंच पर लाने के लिए और अधिक महिला निर्देशक की आवाज़ें जरूरी हैं।
    फिल्म की सफलता हमें याद दिलाती है कि सीमाओं को तोड़कर ही सच्ची प्रगति संभव है।
    आगे की चुनौतियों का सामना करते हुए, पायल का हौसला युवा फिल्मकारों के लिए एक मार्गदर्शक बन जाएगा।
    आइए इस ऊर्जा को अपने सिनेमाई कार्यों में भी प्रतिबिंबित करें और विश्व को हमारे अद्भुत कहानियों से प्रभावित करें।

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    DEBAJIT ADHIKARY

    मई 29, 2024 AT 10:22

    पायल कापड़िया ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ स्थापित किया है। इस उपलब्धि से भारतीय महिलाओं की सृजनात्मक क्षमता को वैश्विक मंच पर मान्यता मिली है। हमें इस सफलता पर गर्व होना चाहिए और आगे के विकास के लिए सहयोग जारी रखना चाहिए।

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    abhay sharma

    मई 31, 2024 AT 17:55

    ओह अब तो हर कोई कान्स में सिग्नेचर के साथ राज करता है

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    Abhishek Sachdeva

    जून 3, 2024 AT 01:29

    कहना तो आसान है कि यह फिल्म सिर्फ एक ट्रेंड है लेकिन आंकड़े खुद ही दर्शाते हैं कि दर्शकों का प्रतिक्रिया गहरे स्तर पर है। आठ मिनट की खड़े होने की ओवेशन सिर्फ दिखावा नहीं यह दर्शकों की वास्तविक सराहना है। यदि आगे भी ऐसी ही सामग्री नहीं लाई गई तो यह केवल एक झलक होगी। हमें इस मोमेंट को एक निरंतर प्रवाह में बदलना चाहिए न कि एक एकबारगी घटना में। इसलिए फिल्म उद्योग को अधिक ऐसी साहसी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।

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