इसराइल-लेबनान में बढ़ता तनाव: हिज़बुल्लाह पर जारी हवाई हमले

इसराइल-लेबनान में बढ़ता तनाव: हिज़बुल्लाह पर जारी हवाई हमले
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 24 सितंबर 2024 14 टिप्पणि

इसराइल-लेबनान संकट: क्या है ताजा घटनाक्रम?

इसराइल और लेबनान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी ने अब और अधिक हिंसक मोड़ ले लिया है। इसराइल ने हाल ही में हिज़बुल्लाह पर व्यापक और घातक हवाई हमले शुरू किए हैं, जिससे लेबनान में विशेष रूप से तनाव बढ़ गया है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, इन हमलों में सोमवार को कम से कम 492 लोग मारे गए और लगभग 1,600 अन्य घायल हो गए।

इसराइली सेना का कहना है कि उन्होंने लेबनान में हिज़बुल्लाह के 1,600 ठिकानों को निशाना बनाया है। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि यह अभियान उत्तर सीमांत क्षेत्र में 'शक्ति के संतुलन' को बदलने के लिए किया जा रहा है और यह लेबनानी लोगों के खिलाफ नहीं बल्कि हिज़बुल्लाह के खिलाफ है। उन्होंने लेबनानी निवासियों से कहा कि वे उन क्षेत्रों को खाली कर दें जहां हिज़बुल्लाह के हथियार या लड़ाके हो सकते हैं।

इसराइली चेतावनियों पर विवाद

इसराइली चेतावनियों पर विवाद

इसराइली रक्षा बल (IDF) ने स्वचालित फोन कॉल, टेक्स्ट मैसेज और लेबनानी रेडियो स्टेशनों पर प्रसारण के माध्यम से नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे लक्षित क्षेत्रों को छोड़ दें। मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि नागरिकों के लिए यह जान पाना संभव नहीं है कि सैन्य लक्ष्यों की सही स्थान कहां हैं।

इसके जवाब में, हिज़बुल्लाह ने भी उत्तरी इसराइल पर रॉकेट हमले किए। हालांकि, अधिकांश प्रक्षेपास्त्र या तो अवरोधित हो गए या फिर निर्जन क्षेत्रों में गिर गए। हिज़बुल्लाह के दूसरे-इन-कमांड ने इन झड़पों को 'सीमा रहित युद्ध' का नया अध्याय करार दिया है।

ईरान की चेतावनी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ईरान की चेतावनी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ईरान ने भी चेतावनी दी है कि इसराइल के इन कार्यों के 'खतरनाक परिणाम' हो सकते हैं, और यह चिंता बढ़ रही है कि यह संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी चिंता व्यक्त की है। फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक की मांग की है, जबकि अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है।

पेंटागन ने इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार को पुनः पुष्टि की है, हालांकि साथ ही उन्होंने तनाव को कम करने का आग्रह भी किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने चेतावनी दी है कि लेबनान दूसरा गाज़ा बन सकता है, जो पूरे क्षेत्र को अपने चपेट में ले सकता है।

इसराइली राष्ट्रपति की अपील और विस्थापितों की स्थिति

इसराइली राष्ट्रपति की अपील और विस्थापितों की स्थिति

इसराइली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने इस बात पर जोर डाला है कि इसराइल युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और शांति बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिज़बुल्लाह ने अपने हमले जारी रखे, तो इसराइल के पास और भी ज्यादा शक्ति है जिसे वह उपयोग में ला सकता है।

इन हालातों के बीच, दोनों पक्षों के हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। इसराइली नेतृत्व ने वादा किया है कि उत्तर इसराइल के बेघर लोग, खतरा समाप्त होने के बाद अपने घर लौट सकेंगे।

इसराइल-लेबनान संघर्ष की ये ताज़ा स्थितियाँ न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंताओं का कारण बन रही हैं। यह जरूरी है कि सभी पक्ष जल्द से जल्द समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं ताकि निर्दोष नागरिकों की जान और उनका जीवन सुरक्षित रह सके।

14 टिप्पणि

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    Anusree Nair

    सितंबर 24, 2024 AT 23:15

    इस जटिल स्थिति में शांति की आवाज़ सुनना बहुत ज़रूरी है। हम सभी को मानवतावादी दृष्टिकोण से सोचना चाहिए, ताकि निरपराध लोग बच सकें। छोटे‑छोटे सहयोग जैसे दान या राहत सामग्री देने से बड़ा फर्क पड़ता है। आशा है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रयास जल्द ही सतत समाधान की ओर बढ़ेंगे।

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    Bhavna Joshi

    अक्तूबर 3, 2024 AT 17:42

    वर्तमान में स्पष्ट रूप से यह एक स्थलीय‑वायु रणनीतिक प्रतिज्ञा का परिदृश्य है, जहाँ हवाई बल द्वारा लक्षित सटीकता को अभियांत्रिकी के आयाम में स्थान दिया गया है। इस भौगोलिक‑राजनीतिक फ्रेमवर्क को समझने के लिये हमें सुरक्षा वैरिएबल्स और सिविलियन‑प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल का विश्लेषण करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, मानवीय‑सुरक्षा द्वन्द्व में एलिट‑ड्रोन एंटी‑स्ट्रेटेजी का प्रभावी कार्यान्वयन अपरिहार्य बन गया है।

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    Ashwini Belliganoor

    अक्तूबर 12, 2024 AT 12:10

    ऐसे हवाई हमले निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की सीमाओं को चुनौती देते हैं

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    Hari Kiran

    अक्तूबर 21, 2024 AT 06:38

    भाईसाहब, ये सब सुनकर दिल बहुत दुखता है। आम लोग बस सुरक्षित रहना चाहते हैं, कोई भी संघर्ष नहीं। अगर दोनों पक्ष संवाद अपनाएँ तो शायद इस दर्द को कम किया जा सके। चलो, हम सब मिलकर शांति की आवाज़ बढ़ाएँ।

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    Hemant R. Joshi

    अक्तूबर 30, 2024 AT 01:05

    इज़राइल और लेबनान के बीच तेज़ी से बढ़ता तनाव वास्तव में मध्य पूर्व के सुरक्षा तंत्र पर गहरा प्रभाव डालता है।
    ऐसे समय में ऐतिहासिक ग्रंथों और अंतर्वादी सिद्धांतों का पुनः अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
    पहला बिंदु यह है कि राष्ट्रीय हितों का संरक्षण और साथ ही मानवता की मूलभूत जरूरतों को संतुलित करना चाहिए।
    दूसरा, अंतरराष्ट्रीय कानून ने स्पष्ट तौर पर नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है।
    तीसरा, सशस्त्र समूहों की रणनीतिक आकांक्षा अक्सर तेज़ी से अनपेक्षित नुकसान का कारण बनती है।
    चौथा, मीडिया की भूमिका को नहीं भुलाया जा सकता, क्योंकि सूचना का प्रसार जनजागृति को प्रभावित करता है।
    पाँचवाँ, मानवीय सहायता के तंत्र को मजबूत करने के लिये विश्वस्तर पर सहयोग आवश्यक है।
    छठा, आर्थिक प्रतिबंधों का उपयोग केवल दबाव के साधन के रूप में नहीं, बल्कि संवाद के प्रेरक के रूप में किया जाना चाहिए।
    सातवाँ, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर वे अपने क्षेत्रों की रक्षा स्वयं कर सकते हैं।
    आठवाँ, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान से तनाव कम करने में दीर्घकालिक स्थिरता आती है।
    नवाँ, साइबर डिफेन्स की क्षमता को बढ़ाकर खतरों की पहले से पहचान की जा सकती है।
    बारहवाँ, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए संसाधनों की बंटवारे में भी सावधानी बरतनी चाहिए।
    तेरहवाँ, स्वास्थ्य सेवाओं की त्वरित पुनर्स्थापना से आपदा के बाद का जीवन पुनः सामान्य हो सकता है।
    चौदहवाँ, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ जैसे यूएन का सक्रिय मध्यस्थता सफल समाधान के लिये अहम है।
    पंद्रहवाँ, अंततः हमें यह समझना होगा कि शांति एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें सभी पक्षों का सक्रिय योगदान अनिवार्य है।

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    guneet kaur

    नवंबर 7, 2024 AT 19:33

    देखिए, इस युद्ध में दोनों तरफ़ की सरकारें ही नहीं, बल्कि जो खरबों डॉलर का मुनाफ़ा देख रहे हैं, वही असली वर्चस्व चाहते हैं। अगर आप नहीं सोच रहे तो यह मंच आपका नहीं है। तुरंत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में केस दर्ज करवाई जाय।

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    PRITAM DEB

    नवंबर 16, 2024 AT 14:01

    शांति की राह में छोटे‑छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। सभी को मिलकर मदद करनी चाहिए। यही हमारा कर्तव्य है।

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    Saurabh Sharma

    नवंबर 25, 2024 AT 08:28

    ट्रांसनेशनल फोकस समूहों की एंगेजमेंट से सिविलियन प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क को बूस्ट किया जा सकता है
    इंटेग्रेटेड लॉजिस्टिक्स मॉड्यूल्स को डिप्लॉय करने से राहत कार्य तेज़ हो जाएगा
    डेटा‑ड्रिवन इंटेलेंस इस प्रक्रिया को सपोर्ट करेगा

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    Suresh Dahal

    दिसंबर 4, 2024 AT 02:56

    सम्पूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह अपेक्षित है कि वह इस संकट में संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए, मानवीय सहायता को शीघ्रता से उपलब्ध कराए। इस दिशा में उठाए गए प्रत्येक कदम का गंभीर मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अंततः, शांति स्थापित करने में सभी पक्षों का सहयोग अनिवार्य होगा।

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    Krina Jain

    दिसंबर 12, 2024 AT 21:24

    मेरे ख्याल से सरकार को शान्ति के लिये जल्दी ही कदम उठाने चहिये क्योंकि लोग तो परेशान है बहुत है
    अगर मदद ना मिली तो स्थिति और बिगड़ सकती है
    आशा है सब कुछ ठीक हो जाए जल्दी

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    Raj Kumar

    दिसंबर 21, 2024 AT 15:51

    क्या ये सब सिर्फ एक बड़े राज़ की साज़िश नहीं है! हर बार वही कहानियाँ, वही झूठी बहाने-जैसे कोई फिल्म का क्लिफ़हैंगर। असल में तो पावर प्ले के पीछे की तोड़फोड़ ही दिखती है, और हम सब दर्शक बेतहाशा देखते रह जाते हैं।

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    venugopal panicker

    दिसंबर 30, 2024 AT 10:19

    चलो, थोड़ा रंगीला अंदाज़ में कहें तो यह संघर्ष एक धुंधली परछाई जैसा है-जिसमें नज़र नहीं आती, पर कोई नज़र सोचता है। हमें चाहिए कि हम सब अपने-अपने हिस्से की रोशनी फैलाएँ, ताकि अंधकार चीरे। मैं मानता हूँ कि सहयोगी आवाज़ें इस धुंध को साफ़ कर सकती हैं।

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    Vakil Taufique Qureshi

    जनवरी 8, 2025 AT 04:47

    जटिल स्थिति को समझने के लिए गहरी पढ़ाई आवश्यक है, हल्के‑फुल्के विचार अक्सर ग़लत निष्कर्ष देते हैं। मैं सुझाव दूँगा कि स्रोतों की विश्वसनीयता को पहले जांचा जाये।

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    Jaykumar Prajapati

    जनवरी 16, 2025 AT 23:15

    देखो भाई, हर बार जब आपका 'विश्वसनीय स्रोत' सामने आता है, तो वह वही पुरानी कथा होती है जो बड़े लोग छिपाते हैं। एक रहस्य है कि इस क्षेत्र में कई गुप्त एजेंसियां छड़ी-छाड़ कर अपनी एजेंडा चला रही हैं। उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए आवाज़ें हमेशा एक ही दिशाः-शक्ति के लिए। अगर हम इस सच्चाई को नहीं देखेंगे तो इतिहास दोहराएगा। इसलिए हमें खुली आँखों से देखना चाहिए और फर्जी खबरों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

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