बिहार दौरे पर RSS चीफ मोहन भागवत: चुनावी साल में संगठन की ताकत बढ़ाएंगे

बिहार दौरे पर RSS चीफ मोहन भागवत: चुनावी साल में संगठन की ताकत बढ़ाएंगे
के द्वारा प्रकाशित किया गया Manish Patel 12 जुलाई 2025 14 टिप्पणि

बिहार में RSS की हलचल तेज, मोहन भागवत का बड़ा दौरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत इस साल दूसरी बार बिहार जा रहे हैं। चार महीने में ये उनका दूसरा दौरा है और ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जब पूरे राज्य में चुनावी माहौल तेज है। पिछली बार मार्च 2025 में वे जब बिहार पहुंचे थे, तब उन्होंने मुजफ्फरपुर और सुपौल में लगातार पांच दिन तक संगठन के लोगों के बीच वक्त बिताया था। वहां उन्होंने स्थानीय और क्षेत्रीय स्वयंसेवकों से संगठन के विस्तार और जमीन पर RSS की पकड़ मजबूत करने को लेकर लंबी बातचीत की थी।

अबकी बार उनके पटना आने की चर्चा है। माना जा रहा है कि वे यहां दो दिन रुकेंगे। सूत्रों के मुताबिक, RSS के कई अंदरूनी मीटिंग्स और रणनीतिक चर्चाएं इस दौरान होंगी। संगठन आगे कैसे बढ़े, खासकर गांव स्तर पर क्या नए कदम उठाए जाएं, इन मुद्दों पर मंथन होगा। बिहार आरएसएस के लिए कभी कमजोर कड़ी माना जाता था, लेकिन हाल के सालों में कार्यकर्ता संख्या खूब बढ़ी है और अब चुनावी साल में शीर्ष नेतृत्व खुद संगठन को दिशा दिखाने पहुंच रहा है।

सुरक्षा के इंतजाम सख्त, राजनीतिक मायने गहरे

भागवत के दौरे के साथ-साथ प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड में हैं। स्थानीय पुलिस, खुफिया एजेंसियां और सीमा सुरक्षा बलों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। खासकर भारत-नेपाल सीमा के आसपास सघन निगरानी की जा रही है, क्योंकि पिछली यात्रा के वक्त भी सुरक्षा इनपुट्स पर फोकस रहा था। बड़े होटलों, RSS दफ्तरों और उनके संभावित कार्यक्रम स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

मोहन भागवत का बिहार दौरा यूं ही सामान्य नहीं है। संघ का एजेंडा आमतौर पर पर्दे के पीछे चलता है, मगर चुनावी साल में इसकी सक्रियता राजनीति के सबसे बड़े संकेतों में शामिल मानी जाती है। RSS बिहार के हर जिले में अपनी मौजूदगी मजबूत करने में लगा है। चूंकि BJP समेत अन्य हिंदुत्व समर्थक दलों की रणनीति संघ के इनपुट से काफी हद तक जुड़ी है, इसलिए भागवत की पटना में रणनीतिक बैठकें आने वाले महीनों में राज्य की चुनावी तस्वीर पर असर डाल सकती हैं।

अभी इस दौरे की सटीक तारीखें और मीटिंग्स का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन संघ के अंदरूनी सूत्र यह मानते हैं कि इस बार संगठन विस्तार, युवाओं को जोड़ना और जमीनी मुद्दों पर संवाद मुख्य एजेंडा रह सकता है।

14 टिप्पणि

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    Janki Mistry

    जुलाई 12, 2025 AT 18:58

    RSS के स्ट्रेटेजिक ग्रोथ प्लान में ग्रासरूट एंगेजमेंट मॉड्यूल प्रमुख भूमिका निभाएगा।

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    Akshay Vats

    जुलाई 19, 2025 AT 17:38

    इसे देखना बहुत जरूरी है कि किसी भी राजनयिक कार्रवाई में राष्ट्रीय एकजुटता को प्राथमिकता दी जाए। मोहन भागवत का यह दौरा राजनीतिक दिशा‑निर्देशन को परिभाषित कर सकता है। हम सब को सतर्क रहना चाहिए।

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    Anusree Nair

    जुलाई 26, 2025 AT 16:18

    बिहार में RSS की सक्रियता को देखते हुए कई युवा संगठित हो रहे हैं। यह ऊर्जा स्थानीय समस्याओं के समाधान में मददगार हो सकती है। आशा है कि यह सकारात्मक बदलाव लाएगा।

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    Bhavna Joshi

    अगस्त 2, 2025 AT 14:58

    संगठन की स्थायी शक्ति सामाजिक संरचना के साथ गहरी अंतःक्रिया से आती है; अतः जमीनी स्तर पर संवाद को सुदृढ़ करना आवश्यक है। इसके बिना रणनीतिक योजनाएँ केवल कागज़ पर रह सकती हैं।

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    Ashwini Belliganoor

    अगस्त 9, 2025 AT 13:38

    यह दौरा बस एक औपचारिक इवेंट जैसा लग रहा है।

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    Hari Kiran

    अगस्त 16, 2025 AT 12:18

    भाई, इस तरह के कार्यक्रम से grassroots में नई ऊर्जा आ सकती है। साथ ही सुरक्षा का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।

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    Hemant R. Joshi

    अगस्त 23, 2025 AT 10:58

    बिहार में RSS की बढ़ती उपस्थिति को समझने के लिए हमें पहले इतिहास की एक झलक देखनी चाहिए। पुरानी समय में इस क्षेत्र में संगठन की जड़ें अपेक्षाकृत कमजोर थीं, परन्तु सामाजिक परिवर्तन के साथ साथ असहयोगी वर्गों के बीच उनका प्रभाव भी बढ़ा। इस परिवर्तन का मुख्य कारण स्थानीय स्वयंसेवकों की सक्रियता और नेतृत्व की स्पष्ट दिशा था। मोहन भागवत का यह दौरा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि रणनीतिक पुनर्निर्देशन का संकेत है। वह भूमि-स्तर पर संवाद स्थापित करने के लिए विभिन्न समुदायों से मिलेंगे, जिससे नीतियों का निर्माण अधिक समावेशी हो सके। इसके साथ ही युवा वर्ग को जोड़ना, उनका ऊर्जा और विचारधारा को मुख्यधारा में लाना, पार्टी और संघ दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा। सुरक्षा उपायों की कड़ी व्यवस्था यह दर्शाती है कि प्रशासन भी इस आंदोलन को गंभीरता से लेकर कदम उठा रहा है। सीमा के निकट सघन निगरानी का उद्देश्य संभावित बाहरी हस्तक्षेप को रोकना है, जो इस समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सभी पहलें एक साथ मिलकर आगामी चुनाव में राजनैतिक परिदृश्य को पुनः आकार दे सकती हैं। संगठित निकायों की क्षमता जब जमीनी स्तर पर पहुँचती है, तो वे न केवल वोट बैंक को प्रभावित करते हैं बल्कि सामाजिक सुधारों को भी गति देते हैं। इस प्रकार का परिवर्तन कालानुक्रमिक रूप से सामाजिक संरचना को नई दिशा देता है। अंततः, यह देखा जाएगा कि भागवत की नीतियों का कार्यान्वयन किस हद तक स्थानीय जरूरतों के साथ मेल खाता है, और क्या यह बिहार के विकास में स्थायी योगदान दे सकता है।

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    guneet kaur

    अगस्त 30, 2025 AT 09:38

    इतनी बड़ी योजनाएँ अक्सर केवल भाषण में ही रहती हैं; वास्तविक पहल नहीं दिखती। हमें यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

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    PRITAM DEB

    सितंबर 6, 2025 AT 08:18

    बिहार में इस नई ऊर्जा को देखते हुए आशा है कि स्थानीय समस्या‑समाधान तेज़ी से होगा।

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    Saurabh Sharma

    सितंबर 13, 2025 AT 06:58

    ऊर्जा का सही उपयोग ही भविष्य को बदल सकता है। इसे सकारात्मक दिशा में ले चलें।

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    Suresh Dahal

    सितंबर 20, 2025 AT 05:38

    राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से यह पहल सराहनीय है; तथापि, सभी पक्षों को संतुलित रखना आवश्यक है।

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    Krina Jain

    सितंबर 27, 2025 AT 04:18

    फिर भी समय है, और उम्मीद है कि इस बार कुछ बड़ा बदलाव देखेंगे

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    Raj Kumar

    अक्तूबर 4, 2025 AT 02:58

    यह सब सिर्फ राजनीतिक नाटक है-सभी को उतना ही बकवास देखना पड़ेगा जितना पहले देखा।

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    venugopal panicker

    अक्तूबर 11, 2025 AT 01:38

    अभिनव शब्दों की झंकार के साथ, इस पहल को एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की तरह देखना चाहिए, जहां विचारों की बहार लगे।

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