बिहार दौरे पर RSS चीफ मोहन भागवत: चुनावी साल में संगठन की ताकत बढ़ाएंगे

बिहार दौरे पर RSS चीफ मोहन भागवत: चुनावी साल में संगठन की ताकत बढ़ाएंगे
के द्वारा प्रकाशित किया गया Ayaan Pathak 12 जुलाई 2025 0 टिप्पणि

बिहार में RSS की हलचल तेज, मोहन भागवत का बड़ा दौरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत इस साल दूसरी बार बिहार जा रहे हैं। चार महीने में ये उनका दूसरा दौरा है और ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जब पूरे राज्य में चुनावी माहौल तेज है। पिछली बार मार्च 2025 में वे जब बिहार पहुंचे थे, तब उन्होंने मुजफ्फरपुर और सुपौल में लगातार पांच दिन तक संगठन के लोगों के बीच वक्त बिताया था। वहां उन्होंने स्थानीय और क्षेत्रीय स्वयंसेवकों से संगठन के विस्तार और जमीन पर RSS की पकड़ मजबूत करने को लेकर लंबी बातचीत की थी।

अबकी बार उनके पटना आने की चर्चा है। माना जा रहा है कि वे यहां दो दिन रुकेंगे। सूत्रों के मुताबिक, RSS के कई अंदरूनी मीटिंग्स और रणनीतिक चर्चाएं इस दौरान होंगी। संगठन आगे कैसे बढ़े, खासकर गांव स्तर पर क्या नए कदम उठाए जाएं, इन मुद्दों पर मंथन होगा। बिहार आरएसएस के लिए कभी कमजोर कड़ी माना जाता था, लेकिन हाल के सालों में कार्यकर्ता संख्या खूब बढ़ी है और अब चुनावी साल में शीर्ष नेतृत्व खुद संगठन को दिशा दिखाने पहुंच रहा है।

सुरक्षा के इंतजाम सख्त, राजनीतिक मायने गहरे

भागवत के दौरे के साथ-साथ प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड में हैं। स्थानीय पुलिस, खुफिया एजेंसियां और सीमा सुरक्षा बलों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। खासकर भारत-नेपाल सीमा के आसपास सघन निगरानी की जा रही है, क्योंकि पिछली यात्रा के वक्त भी सुरक्षा इनपुट्स पर फोकस रहा था। बड़े होटलों, RSS दफ्तरों और उनके संभावित कार्यक्रम स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

मोहन भागवत का बिहार दौरा यूं ही सामान्य नहीं है। संघ का एजेंडा आमतौर पर पर्दे के पीछे चलता है, मगर चुनावी साल में इसकी सक्रियता राजनीति के सबसे बड़े संकेतों में शामिल मानी जाती है। RSS बिहार के हर जिले में अपनी मौजूदगी मजबूत करने में लगा है। चूंकि BJP समेत अन्य हिंदुत्व समर्थक दलों की रणनीति संघ के इनपुट से काफी हद तक जुड़ी है, इसलिए भागवत की पटना में रणनीतिक बैठकें आने वाले महीनों में राज्य की चुनावी तस्वीर पर असर डाल सकती हैं।

अभी इस दौरे की सटीक तारीखें और मीटिंग्स का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन संघ के अंदरूनी सूत्र यह मानते हैं कि इस बार संगठन विस्तार, युवाओं को जोड़ना और जमीनी मुद्दों पर संवाद मुख्य एजेंडा रह सकता है।