भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ट्रेकोमा जैसी गंभीर आंख की बीमारी को सफलतापूर्वक उन्मूलित करने के लिए मान्यता मिलना एक बेहद महत्वपूर्ण घटना है। इस बीमारी को रोकने तथा जनस्वास्थ्य में सुधार लाने की दिशा में भारत के निरंतर प्रयासों की सफलता का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ट्रेकोमा, जो कि दुनियाभर में रोके जाने योग्य अंधता का एक प्रमुख कारण है, पुरानी आंखों की बीमारियों में से एक है और मुख्यतः गरीब स्वास्थ्य स्थितियों और निकट व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से फैलता है।
भारत में ट्रेकोमा उन्मूलन की दिशा में उठाए गए कदमों का निश्चिततः स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ग्रहण के रूप में योगदान है। इसके पीछे की कहानी में केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं, गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की विशेष मेहनत शामिल है। स्वास्थ्य विभाग ने जन-शिक्षा पर बल दिया और स्वच्छता की जागरूकता को बढ़ाकर इस बीमारी के खिलाफ एक बंदिश बनाई। साथ ही, नियमित आई चेक-अप और दवाओं का वितरण भी इसका हिस्सा था।
ट्रेकोमा, जो कि संक्रमित उत्तकों की सूजन के कारण होने वाला एक प्रतिकूल स्वास्थ्य मुद्दा है, भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य की ओर सुधार की दिशा में एक आवश्यक उपलब्धि है। स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रभावित गावों और क्षेत्रों में जाकर आंखों की देखभाल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई, जिससे इस रोग की घटना में काफी कमी आई। इस प्रकार के कार्यक्रम ने ग्रासरूट स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
त्रेकोमा उन्मूलन के इस विशाल प्रयास के लिए भारत की ग्लोबल हेल्थ बॉडी को धन्यवाद देना लाजमी है। भारत सरकार की स्वास्थ्य नीतियाँ लगातार सुधार के लिए प्रतिबद्ध रही हैं और इसमें स्वास्थ्य कर्मचारियों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। इसके अलावा, विभिन्न कार्यशालाओं और कैम्प्स का आयोजन कर स्थानीय समुदायों में शिक्षा का प्रसार किया गया। इनमें सावधानीपूर्वक स्वच्छता उपायों पर जोर दिया गया और आंखों की नियमित जांच को बढ़ावा दिया गया।
अनेक दवाओं और एंटीबायोटिक्स की मुफ्त उपलब्धता ने बीमारी के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और अच्छे स्वास्थ्य रखरखाव की प्रेरणा ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां बीमारी का प्रकोप ज्यादा था, वहां स्वास्थ्य सेवाओं का पहुंचना एक बड़ा बदलाव साबित हुआ।
ट्रेकोमा के खिलाफ इस लड़ाई में भारत की सफलता उस सामूहिक प्रयास का परिणाम है जिसने सरकारी कार्यक्रमों और गैर-सरकारी संगठनों के समन्वय के जरिये न केवल ट्रेकोमा बल्कि विभिन्न संक्रामक रोगों के खिलाफ राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया। यह प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को स्वास्थ्य सेवा और जागरूकता में अग्रणी बनाता है।
सरकार और निजी क्षेत्र ने मिलकर जागरूकता अभियानों का आयोजन किया, समुदाय के बीच स्वच्छता और स्वास्थ्य की बुनियादी जानकारी प्रदान की गई। इन अभियानों के माध्यम से रोग के लक्षणों और निदान के बारे में लोगों को समझाया गया और साथ ही, बिना किसी भेदभाव के इलाज की सुविधाएं बढ़ाई गई। ये कदम निश्चिततः भारत को स्वास्थ्य उन्नति की दिशा में एक नया मुकाम हासिल करने में मददगार साबित हुए हैं।
WHO द्वारा प्राप्त यह मान्यता, स्वास्थ्य एवम् प्रगति के क्षेत्र में भारत की अपार संभावनाओं को उजागर करती है। इससे यह बढ़ती हुई आशा उत्पन्न होती है कि आने वाले समय में भारत अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ भी इसी प्रकार की महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त करेगा।