प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल की ओर नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी, जो प्रधानमंत्री के पद पर तीसरी बार काबिज होने जा रहे हैं, ने दिल्ली में भव्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेताओं, एल. के. आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से महत्वपूर्ण मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए भी खास थी क्योंकि मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद ही इन वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की।
यह मुलाकात दिल्ली में सम्पन्न हुई NDA की सभा के बाद हुई, जिसमें मोदी ने आने वाली सरकार के फैसलों में सर्वसम्मति बनाने की अपनी मंशा का इज़हार किया और इस बात पर जोर दिया कि NDA एक स्वाभाविक गठबंधन है जिसका उद्देश 'राष्ट्र पहले' का सिद्धांत है। मोदी ने आगामी सरकार के मुख्य पहलुओं जैसे सुशासन, विकास, जनजीवन की गुणवत्ता में सुधार और आम जनता के दैनिक जीवन में कम से कम हस्तक्षेप का वादा किया।
NDA की बैठक और मोदी के विचार
NDA की सभा में NDA के प्रमुख सदस्य N. चंद्रबाबू नायडू (TDP), नितीश कुमार (JDU), H. D. कुमारस्वामी (JDS), एकनाथ शिंदे (शिवसेना), चिराग पासवान (LJP-RV), अजित पवार (NCP), अनुप्रिया पटेल (अपना दल-S), और पवन कल्याण (जन सेना) ने हिस्सा लिया। मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि आने वाले दस वर्षों में NDA सरकार का प्रमुख लक्ष्य रहेगा सुशासन और विकास।
तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ
नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। BJP के नेतृत्व वाले NDA ने 543 सदस्यीय लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, जहां BJP ने अकेले 240 सीटें जीती हैं और बाकी साथी दलों के समर्थन से सरकार बनाने की स्थिति में है।
आगामी सरकार की प्राथमिकताएं
मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं बेहतर शासन, राष्ट्रीय विकास, जनता की जीवन गुणवत्ता में सुधार और न्यूनतम राज्य हस्तक्षेप। इस दृष्टिकोण से, यह सरकार समग्र विकास और सुशासन को प्रमुख मानते हुए आगे बढ़ेगी। मोदी का कहना है कि हर निर्णय में सर्वसम्मति और राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता दी जाएगी।
मोदी के इस दृष्टिकोण को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि उनकी पिछली नीतियों को और अधिक मजबूती मिलेगी और सरकार हर संभव प्रयास करेगी कि जनता को अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में क्या नई योजनाएं और कार्यक्रम लेकर आते हैं।
मोदी ने अपने संबोधन में जोर दिया कि 'राष्ट्र पहले' का सिद्धांत सभी राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए सबसे अधिक महत्व रखता है। उन्होंने सभी गठबंधन दलों से अपील की कि वे एक साथ मिलकर देश की सेवा करें और जनता की भलाई के लिए काम करें।
Vakil Taufique Qureshi
जून 7, 2024 AT 19:08वकील तौफ़ीक ने कहा कि इस मुलाकात में वास्तव में कुछ नया नहीं दिखा। दो बार सरकार ने वही वादा दोहराया है। जनता को तो बस भरोसा चाहिए।
Jaykumar Prajapati
जून 17, 2024 AT 01:21भाईसाहब, इस "राष्ट्र पहले" की बात तो बहुत पुरानी है, पर क्या आप जानते हैं कि इस मंत्र का इस्तेमाल अंदरूनी गठजोड़ को छुपाने के लिए किया गया है?
वास्तव में, कुछ एलीट लोग यह तय कर रहे हैं कि कौन किन राजनैतिक जालों में फंसना है।
समय आ गया है कि हम इन गुप्त योजनाओं को उजागर करें।
नहीं तो वही पुरानी राजनीति फिर से दोहराएंगे।
उम्मीद है कि इस बार कुछ अलग नहीं होगा।
PANKAJ KUMAR
जून 26, 2024 AT 07:35सहयोगी दिल से कहा जाए तो ये मुलाकात राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। लेकिन हमें देखना होगा कि शब्दों में क्या और कार्रवाई में क्या है।
Anshul Jha
जुलाई 5, 2024 AT 13:48देशभक्तों का खून अभी भी गरम है
Anurag Sadhya
जुलाई 14, 2024 AT 20:01सभी को नमस्ते! 😊 इस नई सरकार के विज़न को समझना बहुत ज़रूरी है।
आगे बढ़ते हुए हमें एक-दूसरे को सुनना चाहिए और मिलजुल कर काम करना चाहिए।
समावेशी सोच ही हमें प्रगति की ओर ले जाएगी।
Sreeramana Aithal
जुलाई 24, 2024 AT 02:15ओह, क्या शानदार शब्दों की धुन है! बिल्कुल चमचमाते शब्दों में ढके हुए वादे-वाकई, ऐसा ही तो बैरागी राजनैतिक शोभा करते हैं। :)
पर असली मायने में तो अब देखना बाकी है कि निष्ठा कहाँ तक जाएगी।
Anshul Singhal
अगस्त 2, 2024 AT 08:28हम सभी ने देखा है कि राजनीतिक इतिहास में कई बार वही वादे दोहराए गए हैं, पर इस बार परिस्थिति कुछ अलग लगती है।
सबसे पहले, "राष्ट्र पहले" की अवधारणा को समझना जरूरी है-क्या यह वास्तव में जनता के हित में है या सिर्फ एक रेटोरिक है?
दूसरा, तीसरे कार्यकाल में सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर कई प्रश्न उठते हैं-क्या विकास के साथ-साथ सच्ची सुशासन भी संभव होगा?
तीसरा, गठबंधन दलों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता; उनकी सहयोगिता या टकराव ही नीति दिशा तय करेगा।
चौथा, आर्थिक नीतियों में किस हद तक बाजार की स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा को संतुलित किया जाएगा, यह देखना महत्वपूर्ण है।
पाँचवाँ, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं में सुधार के लिए बजट आवंटन कितना प्रभावी रहेगा, इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
छठा, डिजिटल इंडिया और तकनीकी इनोवेशन को कितना समर्थन मिलेगा, यह भी इस सरकार की प्रगति को प्रभावित करेगा।
सातवाँ, पर्यावरणीय मुद्दों की हैंडलिंग-क्या यह सरकार स्थायी विकास की ओर कदम बढ़ाएगी या केवल अत्यधिक औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करेगी।
आठवाँ, ग्रामीण और शहरी अंतर को कम करने के लिए क्या सख्त कदम उठाए जाएंगे, यह भी महत्वपूर्ण है।
नवां, सामाजिक समावेशिता-क्या अल्पसंख्यकों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के अधिकारों को मजबूती मिलेगी, इस पर नज़र रखनी होगी।
दसवाँ, विदेश नीति में संतुलन-कइस प्रकार भारत की रणनीतिक स्थिति अंतरराष्ट्रीय मंच पर होगी, यह भी प्रश्न बनता है।
ग्यारहवाँ, वित्तीय सुधार और कर नीति में क्या बदलाव आएंगे, यह आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करेगा।
बारहवाँ, भ्रष्टाचार के खिलाफ कितनी कड़ी कार्रवाई होगी, यह न केवल सरकार की विश्वसनीयता बल्कि सार्वजनिक भरोसे को भी निर्धारित करेगा।
तेरहवाँ, तकनीकी शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाएगा या नहीं, यह युवा generation के भविष्य को आकार देगा।
चौदहवाँ, राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी उपायों की प्रभावशीलता-क्या यह सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी?
पन्द्रहवाँ, अंत में, जनता की आकांक्षाओं और सरकार के वादों के बीच वास्तविक अंतर को कैसे मापा जाएगा, यह हमारे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मूल है।
इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, हमें आगे देखना होगा कि वास्तविक कार्यान्वयन में कौन से वादे साकार होते हैं और कौन से केवल शब्दों की भरमार रहते हैं।
DEBAJIT ADHIKARY
अगस्त 11, 2024 AT 14:41आदरणीय सदस्यों, यह मुलाकात राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में देखी जा सकती है। हमें इस भावना को सच्चे कार्यों से समर्थित करना चाहिए।
abhay sharma
अगस्त 20, 2024 AT 20:55ओह, ये तो बहुत ही रोचक है: फिर से वही पुराने वादे
कोई नया नहीं
Abhishek Sachdeva
अगस्त 30, 2024 AT 03:08नया कार्यकाल और वही पुरानी राजनीती-हमारी नजरें अब हर कदम पर हैं। सरकार को वास्तविक सुधार दिखाने की ज़रूरत है। वरना आवाज़ें गँवाती रहेंगी।
Janki Mistry
सितंबर 8, 2024 AT 09:21बायोमेट्रिक-डेटा इंटीग्रेशन के साथ, नीति‑निर्माण में एआई‑ड्रिवन एनालिटिक्स का उपयोग बढ़ेगा। इससे लक्ष्य‑नियोजित विकास संभव हो सकता है।
Akshay Vats
सितंबर 17, 2024 AT 15:35मेरा मानना है कये इस बवक्य में थोडा टाइपो है, पर निष्कर्ष वही है-देश को आगे बढ़ना है।
Anusree Nair
सितंबर 26, 2024 AT 21:48आइए इस नई शुरुआत को सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपनाएँ! सब मिलकर विकास की राह पर चलें, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
Bhavna Joshi
अक्तूबर 6, 2024 AT 04:01विस्तृत नीतियों के दायरे में जटिल शब्दावली का उपयोग आवश्यक है, लेकिन कार्यान्वयन की स्पष्टता भी उतनी ही महत्वपूर्ण।
Ashwini Belliganoor
अक्तूबर 15, 2024 AT 10:15विचारों की बुनियाद पर सवाल उठाए बिना केवल स्वागत किया गया। वास्तव में परिणाम क्या होंगे?
Hari Kiran
अक्तूबर 24, 2024 AT 16:28हम सब का सहयोग जरूरी है। इस दिशा में एक-दूसरे को समर्थन देना ही बेहतर होगा।
Hemant R. Joshi
नवंबर 2, 2024 AT 22:41सच में, इस मुलाकात के बाद हमें कई दार्शनिक प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा।
पहला प्रश्न यह है कि अधिकारियों के इरादे कितने वास्तविक हैं।
दूसरा, क्या विकास के नाम पर सामाजिक असमानता को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा?
तीसरा, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे?
आखिरकार, यह सब नीति‑निर्धारण के पीछे के मूल्यों पर निर्भर करता है।
guneet kaur
नवंबर 12, 2024 AT 04:55इस सरकार की बातों में बहुत नकली चमक है, असली काम तो अभी दूर है। हमें कठोर निगरानी रखनी चाहिए।
PRITAM DEB
नवंबर 21, 2024 AT 11:08आइए हम सभी मिलकर इस नई योजना को समर्थन दें और देश को आगे बढ़ाएँ। विवरणों को स्पष्ट रूप से देखना महत्वपूर्ण है।